जयपुर,26 जनवरी।स्वच्छता के इतिहास में पिछले 5 हजार साल से कभी शौचालय का नाम सुनने देखने में नहीं आया ऐसी स्थापित परंपरा को छोड़ कर अब लोग शौचालयों का प्रयोग करना सीखा है जो लगातार सार्थक मेहनत के परिणाम है।स्वच्छ भारत मिशन(ग्रामीण) के निदेशक पीसी किशन ने होटल जयपुर अशोक में आयोजित स्वच्छ एवम सुजल गांव टीओटी प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर ये विचार व्यक्त किये।किशन ने कहा कि जो सदियों पुरानी आदत थी उसमें बदलाव लाने की प्रक्रिया में देश में काफी जबरदस्त काम हुआ है और देश में ग्रामीण इलाके तीव्र गति से ओडीएफ़ हुए हैं।निदेशक ने कहा कि राजस्थान में स्वच्छ भारत मिशन के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य हुआ है और खुले में शौच पर नियंत्रण हुआ है,थोड़ी बहुत कमी अगर रह गई है तो वह भी शीघ्र पूरी होने वाली है।उन्होंने सुजल गांव की परिकल्पना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि स्वच्छ एवम पर्याप्त पेयजल न केवल हमारी जरूरत है बल्कि जिंदगी की प्राथमिकता भी है और इसके लिए स्वच्छता को अपनाते हुए आगे बढ़ना होगा।
प्राईमूव के महेश कोडगिरे ने प्रशिक्षण के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वस्तुतः ट्रेनिंग से जीवन में परिवर्तन आ जाता है,व्यक्तित्व में विकास को ला पाना ही प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य है।
यूनिसेफ के प्रतिनिधि गिरिराज सिंह जडेजा ने इस अवसर पर कहा कि यूनिसेफ एवम एसबीएम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस 5 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर में राजस्थान के विभिन्न जिलों से आये 60 से अधिक प्रतिभागियों ने सघन प्रशिक्षण प्राप्त किया है जो अब राज्य जे विभिन्न जिलों में पंचायत राज जन प्रतिनिधियों को अलग अलग समय एवम स्थान पर प्रशिक्षण देंगे।जडेजा ने प्रशिक्षण की प्रासंगिकता एवम जरूरत पर विस्तार से प्रकाश डाला।