चंडीगढ़।दुतारांवाली गांव का रहने वाला लॉरेंस बिश्नोई किसी भी अन्य बच्चे की तरह बड़ा हुआ। पढ़ाई की। मां ने हमेशा उसके लिए मंहगे, फैशनेबल कपड़े खरीदे। उसे बहुत लाड़-प्यार से पाला। बिश्नोई एक अनुशासित बच्चा था और फाजिल्का में नियमित रूप से स्कूल जाता था। डीएवी कॉलेज में दाखिला लेने के बाद वह चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए। एक अमीर, अच्छा दिखने वाला बच्चा जल्दी ही कॉलेज में लोकप्रिय हो गया।
पंजाब के फाजिल्का में 22 फरवरी 1992 को एक बच्चे ने जन्म लिया। उसका शाइनी और खूबसूरत चेहरा देखकर गांव का हर शख्स उसे गोद में लेने के लिए आतुर रहता। मां ने बेटे का नाम प्यार से लॉरेंस रखा। एक पुलिसवाले के बेटे लॉरेंस के लिए उसके पिता ने बड़े सपने देखे। तीन दशक बाद लॉरेंस बिश्नोई एक आतंकवादी है, जिसके खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी और दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।
लॉरेंस बिश्नोई के पिता चाहते थे कि उनका बेटा बड़ा होकर आईपीएस ऑफिसर बने। शुरुआती पढ़ाई के बाद वह चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज पहुंचा। यहां लॉरेंस ने कॉलेज में छात्रसंघ का चुनाव लड़ा और हार गया। बचपने से उसे इस तरह पाला गया था कि उसे हार बर्दाश्त नहीं हुई। फरवरी 2011 में उसकी कॉलेज में हाथापाई हुई, इस दौरान उसने ओपन फायर किया और उसके खिलाफ पहली एफआईआर दर्ज हुई। 19 साल के लॉरेंस बिश्नोई ने गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया और रॉकी फाजिल्का का सपोर्ट मांगा। यहीं से युवा ने अपराध की दुनिया में कदम रखने की शुरुआत की। बिश्नोई कभी हिटमैन नहीं रहा, बल्कि क्राइम की प्लानिंग और उसे करवाने में माहिर रहा है। उसने पंजाब हरियाणा समेत उत्तर भारत में अपना मजबूत गैंग बनाया। बिश्नोई के पास लगभग 600 शूटर्स हैं। टारगेट किलिंग और जबरन वसूली में उसे 2014-15 में गिरफ्तार किया गया था। वह हिरासत से भागकर नेपाल चला गया था। बिश्नोई ने फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम समेत यूट्यूब का सहारा लेकर खुद की ब्रांडिंग की।