देश में इतने धार्मिक आयोजन होते हैं इतने सारे मंदिर है और करोड़ों अनन्य भक्त हैं। चाहे हिंदू समाज हो चाहे मुस्लिम समाज, चाहे बोहरा समाज, चाहे क्रिश्चियन समाज हो, चाहे जैन समाज या और भी चाहे जो समाज हो सब धर्मों में यही सिखाया गया है सत्य, अहिंसा, सेवा, रहम, त्याग और कर्तव्य के प्रति निष्ठा की राह पर चलो, मुश्किल में आए जिव और दीन दुखियों की रक्षा करो, दुष्ट एवं राक्षसी व्यवहार वालों का प्रतिकार करो।
आजकल कई लोगों का धर्म के प्रति प्रेम और आदर का अंदाज दिखावे एवं प्रदर्शन का ज्यादा हो गया समाज के मुखिया बनने के लिए बड़े-बड़े भव्य आयोजन भोज बढ़ते जा रहे हैं। कहीं दान और चंदे के बल कही इक्का-दुक्का स्वयं के खर्चे से।
करोड़ों अरबों रुपए का अनावश्यक खर्च हो रहा है काश इन रूपयो से और अधिक उच्च स्तरीय चैरिटी हॉस्पिटल और चैरिटी स्कूल व कॉलेज खुल जाते क्योंकि जनसंख्या को देखते हुए चैरिटेबल हॉस्पिटल और स्कूल व कॉलेज की बहुत कमी है।
बड़े कैंपस वाले मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा या चर्च हर जगह धर्म प्रेमी परिवारो के लिए स्वास्थ्य शिक्षा एवं आवास की व्यवस्था निश्चित कर दे और इन कामों के लिए जो पैसा लगता है वह दिखावटी खर्च बंद कर दे तो काफी पैसा इकट्ठा हो जाएगा। इन्हीं स्थानों पर ट्रेनिंग सेंटर भी हो जहां हस्तकला से लेकर घरेलू उपचार तक की ट्रेनिंग दी जाए ताकि व्यक्ति जब भी अपने कार्यक्षेत्र में उतरे तो उसमें आध्यात्मिकता का पूरा भाव रहे। आध्यात्मिकता का भाव से की सेवा एवं व्यापार ही धर्म प्रभावना है।
इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)