-खाद्य सामग्री के नाम बड़े पैमाने पर कालाबाजारी बदस्तूर जारी।

-पान मसाला की कालाबाजारी करने वालों की पौ बारह

बिहार(सुपौल)ओम एक्सप्रेस-लॉकडाउन के कारण शहर में पान ठेले बंद हैं लेकिन पान मसाला बिकना बंद नहीं हुआ है।जिले के त्रिवेणीगंज बाजार व गली-मोहल्लों में मौजूद किराना दुकान से गुटखा, तंबाकू, आसानी से खरीदे जा सकते हैं।दुकानदार के द्वारा ग्राहकों को इसे तीन से चार गुना अधिक कीमतों पर बेचा जा रहा है। समय बीतने के साथ ही दुकानदार मुंहमांगी कीमतें वसूलने लगे हैं।कोरोना की महामारी की वजह से हुए लॉकडाउन में लोग पान मसाला एवं तम्बाकू के लिए भी तरस गए हैं। मद्य निषेध के बावजूद पान मसाला, बीड़ी, गुटखा, सिगरेट, तंबाकू खाने वाले शौकीनों की कमी नहीं हैं। लॉक डाउन की वजह से इन चीजों के दाम भी बढ़ गए हैं। बाजार क्षेत्र सहित कस्बे में कई जगहों पर चोरी छिपे भी इन उत्पादों की बिक्री के अलावा खाद्य सामग्री के नाम बड़े पैमाने पर कालाबाजारी बदस्तुर जारी है। कोरोना वायरस महामारी के बचाव के लिए चल रहे लॉकडाउन के तहत आमजन को आवश्यक सेवाएं सुनिश्चित कराने के लिए प्रशासन, पुलिस एवं चिकित्सक कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर काफी गंभीर होकर आमजन को सुरक्षित एवं स्वस्थ रखने के लिए तत्पर है।लॉकडाउन का असर हर क्षेत्र में हुआ है। प्रशासन ने खाद्य सामग्री और सब्जी पर अपना ध्यान फोकस किया है। इनकी कीमतें अधिक न हो इसलिए जांच और निगरानी की जा रही है। इसके अलावा भी कई ऐसी सामग्री हैं जो कि प्रतिबंध के बाबजूद भी बिक रही हैं। उनमें पान मसाला भी एक है। किराना दुकान और कुछ पान ठेला वाले अपने यहां से पान मसाला बेच रहे हैं, लेकिन ग्राहकों से वे अधिक कीमत वसूल रहे हैं। लॉकडाउन घोषित होने के बाद शुरुआती सप्ताह में ही सभी पान मसाला की कीमतों में एक से दो रुपये की बढ़ोतरी हो गई थी। समय बीतने के साथ ही कीमतें भी बढ़ने लगी हैं। लॉकडाउन का दूसरा दौर शुरू होने के पूर्व पान मसाला की कीमतें चौगुनी तक बढ़ चुकी हैं। आशंका जताई जा रही है कि जैसे-जैसे दिन बीतेंगे, वैसे-वैसे पान मसाला की कीमतें और बढ़ सकती हैं। प्रशासन की नजर फिलहाल इस व्यापार पर नहीं है। इसके कारण खुलेआम कालाबाजारी चल रही है। कहा जा रहा है कि पान मसाला की कीमतें स्टॉकिस्टों ने ही बढ़ा रखी है। उनके द्वारा दुकानदारों से अधिक कीमत वसूली जा रही है। दुकानदार भी अपना मुनाफा आम दिनों से तीन से चार गुना बढ़ाकर ग्राहकों से वसूली कर रहे हैं। ग्राहक भी लॉकडाउन और शार्टेज के कारण दुकानदारों को मुंहमांगी कीमत देने को मजबूर हैं।

पानमसाला की कालाबाजारी करने वालों की पौ बारह-

प्रशासन को धत्ता बताते हुए तम्बाकु एवं पानमसाला की कालाबाजारी करने वालों की पौ बारह हो रही है। जानकारी में आया है कि पानमसाला, बीड़ी, गुटखा, सिगरेट, तंबाकू के थोक विक्रेताओं ने लॉकडाउन का सुनते ही बड़े पैमाने पर स्टॉक कर लिया एवं अब रिटेल विक्रेताओं को माल नहीं मिलने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है, वहीं थोक विक्रेता मनमाने भाव में स्टॉक किये माल को अन्यत्र किराणें की आड़ में वाहनों द्वारा पार कर मालामाल हो रहे है। त्रिवेणीगंज में जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है तब से खाद्य पदार्थों की कालाबाजारी भी शुरू हुई थी।तम्बाकु उत्पाद जिसमें बीड़ी, सिगरेट, मधु,रजनीगंधा, राज निवास ,पान-पराग की कालाबाजारी बड़े पैमाने पर हो रही है। एक रजनीगंधा की पुडिय़ा 38 से 40 रूपये में बिक रही है, वहीं पान मसाला मय तम्बाकु पांच रूपये की पुडिय़ा 10 से 15 रूपये तक बिक रही है। वहीं बीड़ी व सिगरेट के दामों में भी शत प्रतिशत बढ़ोतरी कर दी गई है, इस प्रकार थोक विक्रेता चांदी काटने में लगे हुए हैं। लॉकडाउन में दुकानें बंद होने के बावजूद भी दूकानदार अपने घर पर उक्त सामान रख चोरी छिपे विक्रय करने से बाज नहीं आ रहे हैं। रिटेलर से पूछने पर बताया कि होलसेल विक्रेता दुगने से तीगुने दामों में तम्बाकु उत्पाद बेच रहे है, ऐसे में रिटेल में ये उत्पाद मंहगें बिकना लाजिमी है।

सीमाएं सील, किराणें की आड़ में – मजे की बात यह है कि प्रखण्ड सहित जिले की सभी सीमाएं सील होने के बावजुद ये तम्बाकु उत्पाद विक्रेता नाम मात्र के किराणा सामान के नीचे तम्बाकु उत्पाद दबाकर मिनी ट्रक में भरकर अलसुबह कहां से आते है एवं रातों-रात कहां पार हो जाते है? पुलिस व प्रशासन भी इससे बेखबर है? पुलिस व प्रशासन द्वारा ऐसे व्यापारियों को चिन्हित कर उनके गोदामों, घरों व प्रतिष्ठानों पर छापेमारी की जाए तो वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जायेगी। राज्य सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर पांबदी लगा रखी है।ऐसे में इस महामारी के संक्रमण काल में लोग तम्बाकु उत्पाद चबाकर सार्वजनिक स्थानों पर थूकतें है जिससे संक्रमण फैलने का अंदेशा काफी हद तक बढ़ जाता है।वहीं तम्बाकु व गुटखों के आदी हो चुके इनकी खोज में बाजारों में घूमते नजर आते है। किराणा व्यापारियों के छुट की आड़ में सुबह आठ से बारह बजे तक अनावश्यक वस्तुओं के दुकानदार भी बिना अनुमति के दुकानें खोल देते है, दुकानें बंद होती है फिर भी गोदामों से माल बदस्तूर बेच रहे है, जिसमें न तो सोशियल डिस्टेंस मैंटेन होती है और न ही नियमों की पालना।