-मांस-मछली की दुकानें बांट रही बीमारी
-फुटपाथ पर पशु मांस बिक्री सामाजिक विकृति का द्योतक-
-लॉक डाउन में मनमाने दाम वसूलने में लगे मीट दुकानदार।
बिहार(सुपौल) ओम एक्सप्रेस ब्यूरों-जिले में चल रही मांस-मछली की दुकानें लोगों को बीमारी बांट रही हैं। दरअसल,त्रिवेणीगंज बाजार में ज्यादातर दुकानें गंदगी के ऊपर खोली गई हैं या उसके आस-पास। दुकानदार मानक की अनदेखी तो करते ही हैं साफ-सफाई का भी ख्याल नहीं रखते। धूल कण के बीच मांस-मछली काटने व बेचने से उसमें कई प्रकार के जीवाणु पनप जाते हैं। इसे खाने से आए दिन लोग पेट संबंधी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।
बीमार पशुओं के मांस की बिक्री-
बाजार में कई ऐसे दुकानदार हैं जो बीमार पशुओं के मांस को भी धड़ल्ले से बेच रहे हैं। जबकि पशु वध से पहले उसके स्वास्थ्य की जांच कराने का नियम है। पर इससे दुकानदारों को कोई मतलब नहीं। वे थोड़े से पैसे के लिए लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इधर, खुले में पशु मांस की बिक्री पर शासन व प्रशासन भी रोक नहीं लगा पा रहा है। जो व्यवस्था की बड़ी खामी है।
ज्यादातर दुकानों का निबंधन नहीं-
बाजार क्षेत्र में मांस-मछली की दो दर्जन से भी अधिक दुकानें हैं। शायद ही कोई ऐसी दुकान हो जहां नियम-कानून का पालन हो रहा हो। ज्यादातर ने तो अपनी दुकान का निबंधन तक नहीं कराया है। मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है।
फुटपाथ पर पशु मांस बिक्री सामाजिक विकृति का द्योतक-
सरकार ने माना है कि सड़क किनारे व फुटपाथ पर जगह-जगह पशु मांस उत्पादों की बिक्री सामाजिक विकृति का द्योतक है। जन मानस पर इसका कुप्रभाव पड़ रहा है। जबकि प्रावधानों के मुताबिक पशु मांस उत्पादों को निर्धारित मानकों के अनुरूप विक्रय की जांच के लिए प्रशासन को शक्ति दी गई है। बावजूद इसके मानकों को नजरअंदाज करने वाले विक्रेताओं पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा रही है।
मीट-मछली की दुकानों के लिए मानक
– बिक्री के लिए रखे गए पशु मांस उत्पादों को आवरण के पीछे रखा जाए।
– दुकान व वधशाला के ऊपर छत होनी चाहिए।
– दुकान में न्यूनतम 1.8 मीटर तक टाइल्स की व्यवस्था होनी चाहिए।
– मोनोलिथिक इपोक्सी युक्त फ्लोर होना चाहिए।
– स्टेनलेस स्टील वास बेसिन की व्यवस्था होनी चाहिए।
– सेप्टिक टेंक व व्यवस्थित ड्रेन सिस्टम जरूरी
– वेंटिलेशन सिस्टम के साथ एक्सहोस्ट भी आवश्यक
खुलेआम मानकों का उड़ाया जा रहा माखौल ,खुले मे बिक रही मांस-
बाजार क्षेत्र के मंगल हाट के नजदीक खुले मे मांस बेचने का धंधा जोर शोर से चल रहा है। सेहत के साथ आम लोगों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है़। इसके लिए आमलोग प्रशासन को दोषी मान रहे है। उनके पास बेचारगी भरी बातें व क्षोभ दिखाने के अलावा कुछ भी नहीं है।बता दें कि मीट बेचने वालों की भरमार है।खुलेआम बकरे और मुर्गे काटे जा रहे हैं। मीट की दुकान से गुजर रहे बच्चे भी सहम जाते है।साफ-सफाई की कमी से तेज दुर्गंध निकलती है।जिसके चलते आम लोगों को परेशानी हो रही है़ महिलाएं नाक बंद करके दुकानों के सामने से गुजरती हैं।शाकाहारी लोगों का तो बुरा हाल है़।मेला ग्राउंड स्थितअजगैबी काली मंदिर,शिव मंदिर के कुुुछ दूरी पर आगे ही मांस को खुले मे रख कर बेचा जा रहा है।पता चला कि नहा-धोकर दर्शन आदि के लिए निकलें कि सामने खुले में मांस की बिक्री देख मूड ऑफ हो जाता है़ भले ये कुछ लोगों के लिए स्वादिष्ट व्यंजन का शौक पूरा करते हों, लेकिन अधिकतर लोगों का खुले में मांस का लोथड़ा देख मन विचलित हो रहा है। वहीं मछली बेचने वाले भी अपनी मनमानी चला रहे हैं।कहीं भी दुकान लगाकर मछली बेच रहे है़ं कई लोगों ने बताया कि अगर मांस विक्रेताओं से होने वाली परेशानी के बारे में बात भी करना चाहो तो वे कुछ सुनने समझने को तैयार नहीं होते. वहीं कुछ लोगों का कहना कि उनके रोजी रोटी का जरिया है, थोड़ा समझदारी दिखाएं तो दूसरों को होने वाली परेशानी कम हो सकती है।नियमों का हो रहा खुला उल्लंघन पुलिस व प्रशासन के खुले संरक्षण के चलते ही मुख्य रोड में खुलेआम मांस बेचा जा रहा है़ खुले में जानवरों को काटने व कटे जानवर बेचने पर भी प्रतिबंध है़ नियमों के लागू न होने व बाइलॉज के अभाव में खुले में जानवरों के कटने से गंदगी तो फैलती ही है, साथ ही यह सुनिश्चित करने वाला भी कोई नहीं कि जो जानवर बिक रहे हैं वे स्वस्थ भी हैं या नहीं।नियमों के खिलाफ काम कर रहे दुकानदार, दुकानों के सामने टाट आदि लगाने की व्यवस्था नहीं करते़ सड़क से दुकान के अंदर की गतिविधि दिखाई नहीं देनी चाहिए़ मांस का टुकड़ा भी खुले में न हो. वह कपड़े आदि से ढंका हो़ औजारों को विसंक्रमित करने के बाद ही जानवरों काटा जाना चाहिए, ताकि किसी प्रकार का संक्रमण न हो़ मीट की बिक्री के लिए कड़े नियम अवश्य बनाये गये हैं, पर बाजार में उनका भी खुला उल्लंघन हो रहा है़ सड़क के किनारे फेंके गये अवशेष के सड़ने से वातावरण प्रदूषित हो रहा है, लोग संक्रमण फैलने की आशंका जता रहे हैं। सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार मौन साधे पड़े हैं।
रोड से होकर गुजरना हो रहा मुश्किल सड़कों पर बहाया जा रहा पानी –
मछलियों को जिन बरतन में रखा जाता है उसका पानी बीच सड़क पर ही बहाया जाता है।इससे लोगों को आवागमन में भी परेशानी होती है। खास बात यह है कि यहां पर अगल-बगल में धार्मिक स्थल भी हैं।उसका भी लोग ख्याल नहीं कर रहे हैं।सुबह के समय में लोग शिव मंदिर,व अजगैबी मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं. इस रोड से गुजरने पर उनका मन्न खिन्न हो जाता है. लोग रास्ता बदलकर मंदिर में पूजा करने के लिए जाते हैं. मछली व मांस की बदबू एवं उसकी गंदगी से लोगों को परेशानी हो रही है, पर इसकी चिंता न तो स्थानीय प्रशासन को है और न ही जिला प्रशासन को।
लॉक डाउन में मनमाने दाम वसूलने में लगे दुकानदार-
लॉक डाउन में दुकानदारों ने अपनी मनमानी करना शुरू कर दी है। दुकानदार के द्वारा अधिक कीमत वसूली जा रही है। उपभोक्ता दुकानदार से निर्धारित कीमतों बारे पूछताछ करता है, तो दुकानदार उससे अशिष्ट व्यवहार करने पर उतारू हो जाते हैं। नतीजतन उपभोक्ता को मजबूरन महंगे दामों पर खरीददारी करनी पड़ रही है।
बीमार पशुओं का मांस खाने से बढ़ सकता है कॉलेस्ट्रॉल, हो सकता है हार्ट अटैक
खुले में बेचे जा रहे मांस के सेवन से पेट संबंधी बीमारियों के होने का खतरा बना रहता है। बीमार पशुओं का मांस खाने से कॉलेस्ट्रॉल बढ़ने व हृदय रोग होने की संभावना रहती है। हार्ट अटैक भी हो सकता है।
– डॉ.आरपी सिन्हा, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ,अनुमंडलीय अस्पताल (त्रिवेणीगंज