-जांच और धरपकड़ नहीं होने से त्रिवेणीगंज बना हब
-सरकारी अधिकारी बने हैं उदासीन,नहीं होती कार्यवाही
-प्रतिबंध के बाद भी बिक रहे हैं गुटखे और पान मसाला

बिहार(सुपौल)ओम एक्सप्रेस- हाल के दिनों में त्रिवेणीगंज बाजार नकली ,मिलावटी खाद्य पदार्थों, सौंदर्य प्रसाधन का सबसे महफूज हब बन गया है।हालात यह है कि यहां असली और नकली समानो में भेद करना मुश्किल हो गया है।ऐसा नहीं है कि इन नकली समानो के खरीद बिक्री की जानकारी प्रसासनिक महकमे को नहीं है ,उन्हें जानकारी भी है लेकिन वे जानबूझकर कर इन मामलों में हाथ डालने से परहेज करते हैं । नकली धंधे के कारोबारियो के हौसले इतने बुलंद है कि अब ये नकली खाद पदार्थ और सौंदर्य प्रशाधन से आगे नकली दूध और जीवनरक्षक दवाओं तक पहुंच गया है।

मिलावटी जांच और धरपकड़ नहीं होने से बना हब

खाद्य पदार्थों की केमिकल जांच नब्बे के दशक से बंद होने से अवैध कारोबार के धंधे में लगे इन व्यपारियो के सेहत पर कभी किसी तरह का असर नहीं पड़ता है।मालूम हो कि अस्सी के दशक तक मिलावटी खाध्य पदार्थों की नियमित जांच होती थी।सभी प्रखंड में स्वच्छता निरीक्षक का पदस्थापना थी।लेकिन प्रखंड की कौन कहे अब तो जिले में भी दशकों से स्वच्छता निरीक्षक का पद रिक्त है, जिससे न तो जांच होती है न ही किसी सामग्री का सेम्पलिंग की जाती है।

लॉकडाउन में महंगी हुई गृहस्थी

लॉकडाउन की पाबंदियों का असर अब रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने लगा है। तमाम सख्ती के बाद भी दैनिक उपयोग की सामग्री पर कृत्रिम महंगाई रोके नहीं रुक रही। मांग के अनुरूप आपूर्ति न हो पाने के कारण कुछ वस्तुएं वास्तव में महंगी हुईं हैं तो कई पर लॉकडाउन के बहाने बनावटी महंगाई थोप दी गई है। इसके चलते आम जनता की जेब ढीली की जाने लगी है।लॉकडाउन में सबसे ज्यादा महंगाई का असर खाने-पीने की चीजों पर देखने को मिला है। इससे तमाम साधारण परिवारों की रसोई का बजट हिलने लगा है।

रोजमर्रा की जरूरत के ज्यादातर सामान महंगे कर दिए गए हैं। सुबह 7 से 10 बजे के बीच विभिन्न बाजारों में दुकानें खुल रहीं हैं। उन पर खरीदारों की भीड़ लग रही है। लेकिन, लॉकडाउन में इस भीड़भाड़ को दुकानदारों ने मुनाफाखोरी के लालच में जमकर कैश कराना भी शुरू कर दिया है। स्थानीय स्तर पर ही सामान के दाम 20 से 25 तक बढ़ा दिए गए हैं। महंगाई के बाबत फुटकर दुकानदारों की दलील यह है कि थोक मार्केट में ही सामान महंगे मिल रहे हैं। इससे विवश होकर हमें मुनाफा रखकर महंगा बेचना पड़ रहा है। जबकि थोक दुकानदारों का कहना है कि पर्याप्त मात्रा में माल आ ही नहीं पा रहा। इससे परेशानी हो रही है।

सरकारी महकमा बना उदासीन,नहीं होती कार्रवाई-

शहर में मिलावटी और नकली खाद्य सामग्री के साथ ही नकली सौंदर्य प्रसाधनों के कारोबारी के हौसले को बल सरकारी महकमों के उदासीनता से भी मिला है।चूंकि शायद ही अधिकारी कभी इनकी जाँच पड़ताल करना मुनासिब समझते हैं।अगर कभी खानापूर्ति के लिए जाँच भी की जाती हैं तो लगता है इन्हें पहले से पता होता है। कई लोगों का कहना है कि शिकायत करने के बाद धंधेबाज का कुछ बिगड़ता नहीं है, अलबत्ता अधिकारी को आमदनी जरूर हो जाती हैं।

खुलेआम बिक रहे हैं प्रतिबंधित गुटके और पान मसाले

पिछले दिनों सेम्पल टेस्ट में फेल होने के बाद सरकार ने 12 प्रकार के पान मसाला और गुटका के बिक्री को प्रतिबंधित कर दिया था। जिससे व्यपारियो ने इसे कृत्रिम अभाव बताकर कीमत में भारी इजाफा कर दिया था।नतीजतन कई अन्य लोग भारी मुनाफा देख इस धंधे में खुलकर उतर गए और देखते देखते यह शहर गुटका और पान मसाला का हब बन गया और इसकी सफ्लाई बड़े बड़े मंडियों सहित नेपाल में भी होने लगी हैं।