बीकानेर। यू सी ई टी मैं कम्युनिकेशन और नेटवर्किंग विषय पर ऑनलाइन दो सप्ताह का फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आज शुभारम्भ हुआ, इस कॉर्यशाला में आईआईटी एनआईटी से विशेषज्ञ पहुंचे। बीटीयू के संगठक महाविद्यालय यूसीईटी के ई सी ई विभाग मैं रीसेंट ट्रेंड्स ऑन कम्युनिकेशन नेटवर्किंग एंड कंप्यूटिंग पैराडाइज विषय पर 2 सप्ताह ऑनलाइन फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम सोमवार से शुरू हुआ। इस कार्यक्रम में देश के एनआईटी और आईआईटी से विषय विशेषज्ञ प्रोफेसर ई मंच के जरिए व्याख्यान देंगे ‌। प्रोफेसर एच डी चारण कुलपति बीटीयू ने कम्युनिकेशन एंड नेटवर्किंग विषय का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मेहता बताते हुए कार्यक्रम में प्रतिभागियों को भाग लेकर इस विषय की गहनता से जानकारी लेने के लिए उत्साहित किया। यूसीईटी के प्रिंसिपल डॉ वाईएन सिंह ने आज के विषय विशेषज्ञ डॉक्टर छगन चारण एनआईटी कुरुक्षेत्र एवं डॉ प्रभात शर्मा वी एन आई टी नागपुर का अभिनंदन किया। इस कार्यक्रम के संयोजक श्री शंकर लाल शर्मा ने बताया की यह कार्यक्रम मुख्य रूप से ऑप्टिकल सेंसर, रेडियो नेटवर्क फॉर 5G और कम्युनिकेशन एंड सिगनल प्रोसेसिंग विषय पर आधारित है। श्री दिनेश कुमार सेन विभागाध्यक्ष ई सी ई ने सभी अतिथियों और प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।श्रीमती अनीता पवार और श्रीराजेश सुथार ने तकनीकी रूप से कार्यक्रम का सफल संचालन किया।

वहीं दूसरी और विश्वविद्यालय के एचईएएस विभाग द्वारा एक सप्ताह के फैकेल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के पोस्टर का विमोचन विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा संपन्न हुआ।यह कार्यक्रम हरित प्रौद्योगिकी का उपयोग करके स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए अंतः विषयदृष्टिकोण पर आधारित है। प्रोफेसरएच.डी. चारण वाइसचांसलर, BTU ने कहा कि हमअपने प्राकृतिक संसाधनों का दोहनकर रहे हैं ग्रीन टेक्नोलॉजी वह क्षेत्र है जो पर्यावरण और सौम्य उत्पादों और सेवाओं को बनाने के लिए प्रौद्योगिकीऔर विज्ञान के उपयोग का वर्णन करता है।इस उद्देश्य के साथ, हमारा वर्तमान प्रयास हमारे अंतःविषय संकायों को एक सामूहिक मंच प्रदान करना है जो भारत के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों और सम्मानित शिक्षाविदों से ज्ञान और अनुभव प्राप्त करके उनकी क्षमताओं और कौशल को बढ़ाताहै।डॉ मुकेश जोशी नेबीकहा कि यह कार्यक्रम इंजीनियरिंग और अनुप्रयुक्त विज्ञान के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण है।यह उन उत्पादों या सेवाओं को संदर्भित करता है जो लागत, ऊर्जा की खपत, अपशिष्ट, या पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभावों को कम करते हुए परिचालन प्रदर्शन में सुधार करते हैं।

डॉ एसके मेहला ने कहा कि दिन-प्रतिदिन के जीवन में सतत विकास के लिए हरित प्रौद्योगिकियों और दृष्टिकोणों के उपयोग के विचार को दुनिया भर में एक बड़ी क्षमता के साथ देखा गया प्है।मनुष्य का लालच व् प्राकृतिक दौहन पृथ्वी और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक है एवं स्वस्थ्य प्राकृतिक वातावरण हेतु पारिस्थितिक तंत्र का विशेष महत्व है।
डॉ अनु शर्मा ने कहा कि हमारी सभ्यता के लिए बड़े खतरे को देखते हुए, हमारी प्राथमिकता स्वयं को ठीक करने के लिए प्रकृति को पुनर्जीवित करना है।इसलिए, इस एफडीपी के माध्यम से हमअपने सहयोगियों, शिक्षकोंऔर नवोदित शोधकर्ताओं को उनकेभविष्य के अवसरों के साथ शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के उभरते क्षेत्रों की खोज करना चाहतेहैं। यहएफडीपी 16-20 सितंबर के दौरान आयोजित किया जाएगा।