-मुकेश पूनिया-
बीकानेर। शहर के आस पास अवैध कॉलोनिया बसा कर सस्ते भूखण्डों की आड़ में लोगों का ठगी का शिकार बना रहे भू-माफियाओं से जुड़े मामले की जांच पड़ताल में सामने आया है कि बेईमानी के इस खेल में जिला प्रशासन,नगर विकास न्यास और सब रजिस्टार ऑफिस अधिकारी और कर्मचारी भी बराबर के भागीदार है। बेईमानी यह खेल महज भूखण्डों की अवैध बिक्री और फर्जी रजिस्ट्रियों तक ही सिमित नहीं है,बल्कि हाईकोर्ट के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा कर राज्य सरकार को करोड़ो रूपये का नुकसान पहुंचाने का है।
जानकारी के अनुसार हाल ही कराये गये राजस्व सर्वेक्षण में खुलासा हुआ है कि बीकानेर में बीकाजी फैक्ट्री के आस पास सैंकड़ों ऐसी आवासीय कॉलोनियां मिली है जिनका न तो यूआईटी से अब तक भू-उपयोग परिवर्तन कराया गया है और न ही वहां 90ए और 90बी अप्रव्ड है। ऐसे में यहां काटे गए भूखंडों के न तो पट्टे मिल सकते हैं और न ही किसी तरह की एनओसी। इन कॉलोनियों में टाउनशिप पॉलिसी में निर्धारित सुविधाएं, सामुदायिक भवन, हॉस्पिटल, स्कूल आदि दी जाने वाली सुविधाओं के लिए भी कोई भूमि नहीं छोड़ी जा रही है तथा न ही किसी सार्वजनिक सुविधा का प्रावधान रखा गया। इन कॉलोनियों में बिजली-पानी, पक्की सड़क, सीवर लाइन आदि की सुविधाएं भी नहीं है। ऐसे में यहां के भूखंडों पर यूआईटी की ओर से न तो मोरगेज और विक्रय एनओसी जारी की जाएगी और न ही भवन निर्माण कराने की स्वीकृति दी जाएगी। इतना ही नहीं इन कॉलोनियों के लिए कोई भी बैंक और वित्तीय संस्थाएं किसी तरह का लोन देगी।
राजस्व सर्वेक्षण में जिन कॉलोनियों को प्रमुख रूप से शामिल किया गया उनमें महाराणा प्रताप नगर,अमरनाथ एन्क्लेव,अमन विहार,रामदेव नगर रोशननगर, बाबू नगर, बीकाणा नगर, मिल्कमैन नगर, मातेश्वरी नगर, पार्वती नगर, प्रीति एन्क्लेव, बजरंग विहार, गोरख नगर, गायत्री नगर, अपना सिटी, करणी विहार, गणेश विहार, गुडविल, प्रकाशनगर, सुन्दनविहार, सच्चियाय माता नगर कॉलोनियों के नाम प्रमुख रूप से शामिल है,इन अवैध कॉलोनियों में भूखंड बेचे जा रहे है,जो अवैध भूखंड़ों की श्रेणी में आते हैं। कॉलोनियों में स्टाम्प पेपर पर एक ही भूखण्ड पांच-सात जनों को बेच दिया गया है।
ऐसे में लाठी के जोर पर एक उस पर कब्जा जमाए बैठा है और शेष ठगी के शिकार होकर किस्मत को कोस रहे हैं। राज्य सरकार की सख्ती के बावजूद कॉलोनाईजर बने भूमाफियां अभी बड़े-बड़े सपने दिखाकर लोगों को भूखण्ड बेच रहे है। यह सारा खेल प्रशासनिक अधिकारियों की जानकारी में चल रहा है। यूआईटी ने तो बकायदा क्षेत्रवार सार्वजनिक सूचना प्रकाशित भी कराई थी, यानी उनकी जानकारी में है कि कहां-कहां, कौनसी अवैध कॉलोनी बसाई जा रही है। परन्तु वे केवल अखबारों में इश्तिहार छपाकर इतिश्री कर ली।
जानकारी में रहे कि बीकानेर में पिछले 10-15 सालों में शहर के आसपास जितनी भी कॉलोनियां बसाई गई हैं, उसमें 90 फीसदी कॉलोनियां अवैध हैं। ऐसी एक-दो नहीं, बल्कि हजारों बीघा में करीब 250 कॉलोनी बसाई गई है। इन्हें न्यास ने भी अवैध कॉलोनियों की श्रेणी में डाल रखा है। बीकानेर के मास्टर प्लान-2023 के नगरीय क्षेत्र के तहत 34 राजस्व ग्रामों की कृषि भूमि में शामिल है। इन कॉलोनियों को काटने से पहले भूमाफियों को कृषि भूमि का रूपांतरण और ले-आउट मानचित्र का अनुमोदन नगर विकास न्यास में कराना जरूरी है, लेकिन राजनीतिक पहुंच के बलबूते अभी भी अवैध कॉलोनी काटने का खेल चल रहा है। कुछ कॉलोनाइजर तो लोगों को अंधेरे में रखने के लिए न्यास में फाइल जमा करवाकर कॉलोनी प्रचार सामग्री पर प्रपॉज यूआईटी एप्रुव्ड भी लिखवाते हैं। यह सारा खेल जिला प्रशासन और यूआईटी की नाक के नीचे एक दशक से चल रहा है, लेकिन किसी ने इन पर कार्रवाई करना उचित नहीं समझा। न्यास को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान होने के साथ ही शहर के विकास पर भी इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है। जिम्मेदार आंख मूंदकर बैठे हैं, कहीं कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
न्यास सचिव सुनिता चौधरी का इस बारे में कहना है कि यूआईटी से बिना अनुमोदन करवाए कृषि भूमि पर काटी गई कॉलोनियां, अवैध कॉलोनी की श्रेणी में आती हैं। इन कॉलोनियों को पूर्व में चिन्हित किया जा चुका है जल्द ही न्यास नियमों के तहत जल्द कार्रवाई की जाएगी।