बीकानेर।‘बुलाकी शर्मा मेरे प्रिय लेखकों में से एक रहे हैं, इनकी व्यंग्य रचनाओं में विषय की नवीनता, भावों की सरलता और जीवन की सहजता जिस रूप में प्रकट होती है, वह अपने आप में एक प्रतिमान है। उन्होंने एक व्यंग्य लेखक के रूप में न केवल राजस्थान, वरन राष्ट्रीय स्तर पर विशिष्ट पहचान बनाई है।’
ये उद्गार प्रतिष्ठित कवि-शिक्षाविद भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ ने वरिष्ठ व्यंग्यकार-कथाकार बुलाकी शर्मा के राजस्थानी व्यंग्य संग्रह ‘तैरूंडै में किताब’ के लोकार्पण कार्यक्रम में व्यक्त किए।
साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था ‘सरोकार’ की ओर से पवनपुरी में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि बुलाकी शर्मा राजस्थानी और हिंदी दोनों भाषाओं में व्यंग्य विधा में निरंतर नवाचार करते रहे हैं, इसलिए उनका लेखन प्रभावित करता है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि सरल विशारद ने कहा कि बुलाकी शर्मा की व्यंग्य रचनाओं में आरंभ से लेकर अंत तक पाठकों को बांधे रखने की क्षमता है। उनमें आत्म व्यंग्य करने की असाधारण प्रतिभा है। बुलाकी शर्मा को पढ़ते हुए सामान्य सी घटना में से व्यंग्य रचने का हुनर सीख सकते हैं।

वरिष्ठ उपन्यास लेखिका आनंद कौर व्यास ने कहा कि बुलाकी शर्मा हिंदी और राजस्थानी में समान रूप से लोकप्रिय व्यंग्यकार और कहानीकार के रूप में वर्षों से सक्रिय हैं और उनकी साधना का प्रतिफल है कि उनकी हरेक किताब अनूठी होती है।

वरिष्ठ आलोचक और ‘नेगचार’ के संपादक डॉ नीरज दइया ने कहा कि यह किताब उनके लिए इसलिए भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण है कि व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने उन्हें समर्पित की है । डॉ. दइया ने कहा कि राजस्थानी साहित्य के इतिहास को देखेंगे तो पता चलेगा कि बुलाकी शर्मा ही ऐसे पहले लेखक हैं जिनका पहला व्यंग्य संग्रह पुस्तक रूप सामने आया और अब चार व्यंग्य संग्रह राजस्थानी में लिखने वाले भी वे पहले व्यंग्यकार हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी और राजस्थानी में उनके दस व्यंग्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और आज लोकार्पित व्यंग्य संग्रह ‘तैरूंडै में किताब’ उनका ग्यारहवां व्यंग्य संग्रह है, जो किताबगंज प्रकाशन सवाई माधोपुर से प्रकाशित है, जिसमें कोरोना काल में लिखे उनके राजस्थानी के चयनित व्यंग्यों को शामिल किया गया है।
वरिष्ठ कवि-कहानीकार नवनीत पांडे ने कहा कि कथाकार बुलाकी शर्मा अपने आसपास के जीवन और चरित्रों से जुड़ी हुई कथात्मक घटनाओं को परोटते हुए समकालीनता में सार्वजनिक और सार्वभौमिक विद्रूपताएं उजागर करते हैं।
लोकार्पित कृति के लेखक बुलाकी शर्मा ने अपने सृजन कर्म के बारे में बताया और कहा कि संवेदना और करुणा के बिना व्यंग्य लेखन संभव नहीं हो सकता।

युवा कवि विप्लव व्यास ने आगंतुकों के प्रति आभार प्रदर्शन करते हुए कहा कि बुलाकी शर्मा जैसे व्यंग्यकार की सधी हुई भाषा से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए कि राजस्थानी लोकजीवन की भाषा को व्यंग्य में किस प्रकार प्रयोग करते हैं।