-‘खास‘ बिगाड़ रहे कांग्रेस की आस

जयपुर,(हरीश गुप्ता )। आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण शुरू नहीं हुआ है, लेकिन कुछ स्वयंभू टिकट जेब में मान रहे हैं। ब्यूरोक्रेट्स भी मैदान में है, तो कांग्रेस का उन पर पूरा झुकाव है। क्या ब्यूरोक्रेट्स का कोई पार्टी पर कर्ज बाकी है? यह एक यक्ष प्रश्न है।
सूत्रों की मानें तो कांग्रेस नेता सचिन पायलट मेरिट की बात कर रहे हैं, वहीं एक गुट विशेष, जो पायलट का धुर विरोधी है, वह मेरिट की कोई परवाह ही नहीं कर रहा। उसका एक कारण यह भी है कि जब ‘आला‘ ही किसी की टेंशन नहीं करें, तो उनके ‘भक्तों’ को किस बात की चिंता। हाल ही में कांग्रेस के दिग्गज नेता मधुसुदन मिस्त्री यहां आए और प्रदेश अध्यक्ष के साथ कहीं और चल दिए।
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं जोरों पर है, पूर्व डीजी एमएल लाठर को आमेर और कर्मचारी अधीनस्थ चयन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हरिप्रसाद शर्मा को फुलेरा से चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी हो चुकी है। लाठर को बिना आवेदन के सूचना आयुक्त बनाया गया था। वह अलग बात है कि आमेर से प्रशांत शर्मा व कुछ स्थानीय नेता उम्मीद लगाए बैठे हैं। लाठर का नाम सामने आने के बाद भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ पड़ी है। उसके पीछे कारण यह है कि शुरू में आमेर से लालचंद कटारिया के चुनाव लड़ने की चर्चाएं आई थी। कटारिया आमेर से विधायक रह चुके हैं। ऐसे ही हरिप्रसाद शर्मा फुलेरा से लड़ने की पूरी तैयारी कर चुके हैं, इसीलिए उन्होंने समय से पूर्व बोर्ड अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। शर्मा ने एक आयोजन किया था जिसमें उम्मीद से अधिक भीड़ नहीं जुटा पाए। वह अलग बात है कि स्थानीय लोग खुश नहीं है। वहां से डॉ हरिसिंह के पुत्र विद्याधर सिंह चौधरी व बजरंग ककरालिया तैयारी कर रहे हैं। विद्याधर को पिछली बार 14 दिन पहले टिकट मिली थी और मात्र 16 सौ वोट से हारे थे। यहां से राजेश गिला और कैलाश कुमावत टिकट की दावेदारी कर रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं जोरों पर है, ‘लोकेश शर्मा पहले बीकानेर पश्चिम से तैयारी कर रहे थे, पुष्करणा ब्राह्मणों का भारी विरोध देख भीलवाड़ा का मन बना लिया। यहां आरसीए के कोषाध्यक्ष रामपाल शर्मा काफी समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ने की तैयारी इस कारण कर चुके हैं कि थी पंचायतें मांडलगढ़ से हटा कर शाहपुरा में शामिल कर दी। इसके अलावा लोकेश शर्मा की जाति का विश्लेषण भी होना शुरू हो गया है, क्योंकि कुछ लोग उन्हें शुद्ध ब्राह्मण मानने को तैयार नहीं है।
सूत्रों की मानें तो चर्चाएं यह भी है, ‘मुकेश वर्मा झोटवाड़ा से कांग्रेस की दावेदारी जता रहे हैं, लेकिन वे भूल रहे हैं कि जातिगत समीकरण उनके विपरीत है। ऐसे में उन्हें बड़ी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। कुछ इसी तरह अजमेर उत्तर से धर्मेंद्र राठौड़ कोशिश में है, लेकिन महेंद्र सिंह रलावता व विजय जैन उन्हें बानसूर का बता विरोध कर रहे हैं। वैसे भी बाहरी व्यक्ति को कुछ काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उधर शाहपुरा में मनीष यादव ने अपने पोस्टर बैनर से कांग्रेस का लोगो हटा दिया है। सूत्रों की माने तो रामनिवास गावड़िया और मुकेश भाकर ज्योति मिर्धा के लगातार संपर्क में हैं।
अधिकारियों का कैसा दबाव:
पूर्व डीजी एमएल लाठर को बिना आवेदन के सूचना आयुक्त बनाया। पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता की पत्नी वीणू गुप्ता को रेरा का अध्यक्ष बनाया, जबकि 3 महीने रिटायरमेंट को बचे थे। हरिप्रसाद शर्मा को कर्मचारी अधीनस्थ बोर्ड का अध्यक्ष बनाया। भूपेंद्र यादव को आरपीएससी का अध्यक्ष बनाया। यहां देखने वाली बात यह है कि लाठर और यादव दोनों हरियाणा मूल के रहने वाले हैं। इन सभी को देखते हुए चर्चाएं जोरों पर हैं, ‘अधिकारियों से ऐसा क्या करवा लिया जो इनका दबाव है?’