कथा में भगवान कृष्ण की बाल लीला सुन मंत्र मुग्ध हुए श्रद्धालुभामाशाह कुलरिया परिवार का हुआ आगमन, गोहितार्थ 11 लाख की घोषणाखाओ, पियो, मौज करो, झांसा दो की नीति पर न चले देश के युवा-महामण्डलेश्वरनागौर। ब्रह्मलीन गो सेवी संत दुलाराम कुलरिया सिलवा, नोखा (बीकानेर) वालो की पुण्यतिथि पर महामण्डलेश्वर स्वामी कुशालगिरी महाराज के सानिध्य में विश्व स्तरीय गो चिकित्सालय, नागौर द्वारा आयोजित गोहितार्थ भागवत कथा के पंचम् दिवस पर कथा वाचिका देवी ममता ने नटखट श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान की अद्धभुत लीलाएं मानव जीवन के लिए प्रेरणादायाक है। भगवान कृष्ण बचपन में अनेक लीलाएं करते हुए सभी का मन मोह लिया करते थे।
तत्पश्चात् कथा वाचिका ने बताया कि भगवान स्वयं रसरूप है। वे अपनी रसमयी लीलाओं से सभी को अपनी ओर खींचते है। इस लीला के दौरान भगवान 2-3 वर्ष के बच्चे थे और गोपियां अत्याधिक स्नेह के कारण उनकी ऐसी मधुर लीलाए देखकर आनन्दमग्न हो जाती।
तत्पश्चात् भक्त मीरा का वर्णन करते हुए कहा श्री कृष्ण की अनन्य भक्त करमा बाई का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु की निःस्वार्थ भाव सरलता से भक्ति करें तो ईश्वर हमारी जरूर सुनते है। जिस प्रकार करमा बाई भगवान को अपना मानकर श्री कृष्ण को खिचड़े का भोग लगाकर उन्हे खाने के लिए बुलाती है। इस दौरान कहा कि हमें भी करमा बाई की तरह भगवान की शुद्ध भाव से सरलता से ,सहजता से अनन्य भक्ति करनी चाहिए। इसी के साथ भगवान श्री गिरीराज को बृजवासियों द्वारा लगायंे गये 56 भोग का सुन्दर वृतांत सुनाया। कथा के प्रसंगानुसार जसंवतगढ़ से आयी प्रसिद्ध झाँकी टीम द्वारा ‘भगवान कृष्ण की नटखट बालरूप’ ‘कृष्ण भक्त मीरा के वीणा में श्री कृष्ण प्रकट’ एवं ‘छप्पन भोग’ की दिव्य सजीव झाँकी का प्रस्तुतिकरण दिया गया।कथा के दौरान संत दुलाराम कुलरिया की धर्मपत्नि श्रीमती रामप्यारी देवी, उनके पुत्र प्रसिद्ध उधोगपति एवं समाजसेवी पूनम कुलरिया, बबीता कुलरिया, भंवरी कुलरिया, शान्तिदेवी, जनक कुलरिया, तिलोक सुथार का आगमन हुआ। भामाशाह कुलरिया परिवार द्वारा पीड़ित गोहितार्थ 11 लाख की घोषणा की। व्यासपीठ की और से कुलरिया परिवार का तिलक लगाकर,पुष्पवर्षा कर, पुष्पमाला-साफा पहनाकर धूमधाम से स्वागत सम्मान किया गया।
महामण्डलेश्वर ने बताया की इस स्वार्थ युग में युवा खाओ, पीयो, मौज करो, झांसा दो, की नीति पर चल रहे है, लेकिन इस नीति से आप अल्प समय के लिए सुख भोग सकते है, लेकिन पुरूषार्थ से किये गये कर्म से आप जीवनभर सुखी रह सकते है अतः इस नीति पर युवाओं को नहीं चलना चाहिए, उन्हें कठिन परिश्रम करना चाहिए। संत हीरादास महाराज, दयाराम महाराज, संत गिरधारीराम महाराज व संत गोविंदराम महाराज का आगमन हुआ। संत हीरादास महाराज ने ‘चुनड़ली’ पर बहुत सुंदर भजन की प्रस्तुति दी।
एवाद महिला मण्डली, नरेन्द्र देवड़ा, अन्नाराम जाट, चांदमल नायक सहित अनेक दानदाताओं ने गोहितार्थ सहयोग किया। सभी दानदाताओं का व्यास पीठ की ओर से स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
कथा प्रभारी ने बताया कि यह सात दिवसीय कथा 19 अगस्त तक चलेगी, जिसका प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से सायं 4 बजे तक सिधा लाइव प्रसारण ‘देवी ममता’ यूट्यूब चैनल पर किया जा रहा है। कथा श्रवण करने आये श्रद्धालुओं को चाय, ठंडा मीठा शर्बत व छप्पन भोग का प्रसाद दिया गया।