” स्वदेशी संकल्प दिवस “की तैयारियों में जुटे आयोजक लोकडाउन के कारण चिंतातुर अधर झूले में झुल रहे थे। अनेक मत-अनेक चिंतन के बीच एक आवाज गुंजायमान हो उठी, सदैव की भांति चाईनीज मंझे का बहिष्कार किया जाएं।दुसरी ओर आजतक केTV चेनल पर बार बार पढ़ने को मिला। विदेशी किट किस काम की? ऐसे शब्द पढ़ते-पढ़ते मन विचलित होने लगा और गुढ चिंतन की खोज में महासागर की गहराइयों में विचलित मन गोते खाने लगा?
फिर मोतियों की सीप में निकला- आलेख! हम बहिष्कार किसका करें, बहिष्कार के नाम पर हम अपनी कमज़ोरियों को कब तक छिपाते रहेंगे।कब तक हम अपनी शक्ति को बहिष्कार करने में कमजोर करतें रहेंगे,क्यों न हम ही अपने देश में वो सबकुछ निर्माण का काम शुरू करें जिसके लिए हम दुसरे देशों पर निर्भर हैं।

समय आ गया है= सोच को बदलना सीखें
दुसरो को दोष देने की जगह कुछ करना सीखें!
“स्वदेशी संकल्प दिवस ” मनाने की परंपरागत औपचारिकताओं के ढ़ांचे को बदलें और जीवन निर्वाह का मजबुत आधार बनायें।
वर्तमान परिस्थितियों में पुरी दुनिया की
अर्थ व्यवस्था चरमरा गई हैं, प्रोडक्शन क्षमता चरमराई हुई हैं, खासकर खाद्य पदार्थों की मात्रा पर भी बहुत से बाहुबली चिंतित हैं और भविष्य को लेकर इस विनाशकारी महामारी से कोई पुर्ण रुप से आश्वस्त नहीं हैं।
दुनिया की 780 करोड़ आबादी में से भारत जैसे विशालकाय क्षेत्रफल में कर्मठवान, कुशल शम सम व श्रम के 135 करोड़ आबादी में से 65% पुरूषार्थी युवा शक्ति हमारे पास हैं, और एक शासनपति के आह्वान पर देशभक्तों की टोली देश के लिए समर्पित हैं,हम श्रमशील हैं, समृद्धिशाली हैं, कृषि प्रधान उर्वरा भूमि हैं, संप्रभुता की धरोहर हैं, चहुंओर समग्र एकता हैं, सेवा, संस्कार संगठन हमारी मिसाल हैं।
अपेक्षा है समय का मूल्यांकन करें और दुनिया में संभावित आने वाली 50% बेरोज़गारी की आंशका की जगह ‘हम और आप’ सरकार के साथ एक मंत्र से अभिमंत्रित होकर राष्ट्रीय उत्थान के लिए और भारत को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से ” भारत के नवनिर्माण “में अग्रसर बनें।

सर्वप्रथम आत्मचिंतन करना होगा कि क्या हम भारतीय संस्कृति के अनुरूप गतिशील हो रहें हैं या आज भी पुनः पूर्ववत विनाशकारी पाश्र्चात्य‌‌‌ संस्कृति को प्रश्रय देने जा रहें हैं।
हमारा लक्ष्य हो कि हम छोटे से बड़ा पेच हो या पेचकस,हवाई जहाज़ हो या लड़ाकू विमान,इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी हो या पार्ट्स आदि सभी प्रकार के आईटीमों का निर्माण हम स्वयं करेंगे और संकल्प पूर्वक हमारे स्वदेशी उत्पादों का ही हम उपयोग करेंगे,भले ही शुरुआती दौर में दामों से समझौता करना पड़े तो समझौता भी करेंगें।
यह योजना कारगर साबित हो सकती हैं, यदि सरकार की इच्छाशक्ति हमारे साथ हो,और प्रोफेशनल वर्ग,व्यापारी,वैज्ञानिक,रक्षा विशेषज्ञ, डॉक्टर आदि आमजनों का मनोबल सरकार के साथ हो तो हमारे सशक्त निर्णायक, प्रतिभावान शासक,”मेक इन इंडिया” के प्रसारक माननीय प्रधानमंत्री महोदय का हमें मार्गदर्शन मिलेगा।
सौभाग्य से शुद्ध जलवायु का संयोग मिला हैं,सौंदर्य से सुसज्जित प्रकृति दोनों हाथों से आशीर्वाद प्रदान करती हुई उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर आगे बढ़ने का कह रही हैं,कि आओ बच्चों नया इतिहास रचने का संकल्प करो, और आगे बढ़ो।
पुरानी कहानियों का सारांश:-
एक धर्मनिष्ठ राजा ने त्राहि त्राहि कर रही जनता पर Taxको कम करके मात्र@1%Taxलागु कर दिया,प्रसन्नता पूर्वक जनता ने ईमानदारी से पुरा का पुरा Tax चुकती कर दिया, और दुआएं दी, जिससे रिकॉर्ड तोड़ राज्य का खजाना भरने लगा,और कर संग्रह में कोई अतिरिक्त खर्चा भी नहीं हुआ और तो और—- भ्रष्टाचार,आगजनी,अकाल एवं महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का आवागमन तक नहीं हुआ।

ऐसा ही विशाल समर्थन हमारे प्रधानमंत्री महोदय को ” भारत के नवनिर्माण ” एवं भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्वदेशी आइटमों के निर्माण कार्यों को प्राथमिकता देने के लिए भारत सरकार द्वारा संचालित ढांचागत मौलिक परियोजनाओं में बदलाव करके आगामी 10 वर्षों के लिए नई योजनाओं को लागू करना होगा।
1,One time taxसिर्फ और सिर्फ प्रोडक्शन पर लागु करना वह टेक्स चाहें@5%की जगह 10%की दरों से लागू हो,किन्तु एक टैक्स हो!
2,प्रोडक्शन व संबन्धित पैकिंग सामग्री निर्माण के कार्यों में योग्यतानुसार प्रत्येक व्यक्ति को घर घर से जोड़ना होगा और कौशल कारीगरों को प्रोत्साहित करके कम से कम लागत से प्रोडक्शन क्षमताओं को विकसित करना होगा।
3, कारोबारियों को पेपरलेस प्रणाली से आधार कार्ड पर सरलीकरण से आवश्यकतानुसार पुंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करानी होगी।
4,सरकार द्वारा कारोबारियों को इंडस्ट्रीज,पानी, बिजली,सड़क, ट्रांसपोर्टर,मशीनरी,नई तकनीक व कच्चा माल आदि न्युनतम दामों में उपलब्ध कराने एवं प्रोडक्शन सुविधाओं की व्यवस्थाओं में सहभागिता निभानी होगी।
5,सरकारी स्तर पर राष्ट्रीय सुरक्षा,सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि आवश्यक सेवाओं के अतिरिक्त विज्ञापन,मंहगाई भत्ता,वेतन बढ़ोतरी, सब्सिडी, मुहावजा,प्रोत्साहन एवं मुफ्त में देना आदि VIP सुख सुविधाओं के लिए अनावश्यक खर्चों पर नियंत्रण करना होगा और इस विषम परिस्थिति से देश को उभारने के लिए अल्पकालीन कम संसाधनों को प्रश्रय देना होगा।
मानना होगा कि ऋषि मुनियों की तपोभूमि पर ” सतयुगी सृष्टि की संरचना ” करने का सौभाग्य हमें मिला हैं, जहां काला बाजारी, भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोरी का कोई स्थान ना हो। वहां स्वर्ग सा सौरमय वातावरण हो, प्रकृति का सम्मान हो, संतों व गुरुजनों का सम्मान हो, मां बाप का सम्मान हो, समर्पित कामगारों का सम्मान हो, देशभक्त यौद्धाओं का सम्मान हो।
आज प्रत्यक्ष हैं कि हमारा देश, दुनिया की आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सक्षम हैं, आयात व निर्यात की विदेश नीति अनुकूल हो तो बहुत ही जल्द भारत धर्मगुरु ही नहीं अपितु शक्तिशाली देश बन सकता हैं। सरकार के साथ हम और आप कंधे से कन्धा मिलाकर चलें तो हमें किसी को बहिष्कार करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। हम स्वयं स्वदेशी आइटमों के बल पर अंतराष्ट्रीय बाजार में बड़े से बड़ा ब्रांड बनाने मेंं सफल बनेंगे और भारत को आत्मनिर्भर बना देंगे और प्रत्येक भारतीय को विदेशी ऋण से मुक्त बना देंगे।