हर्षित सैनी
रोहतक, 14 दिसम्बर। एथनो फार्माकोलोजी का क्षेत्र वैज्ञानिक संभावनाओं का क्षेत्र है। जरूरत है कि इस विषय में उच्च अध्ययन तथा शोध योजनाबद्ध ढंग से किया जाए। भारत में एथनो फार्माकोलोजी क्षेत्र में शोध की अच्छी गुंजाइश है।
एथनो फार्माकोलोजी चैलेंज्स एंड ऑपरच्युनिटीज एट द फेस ऑफ ग्लोबलाइजेशन विषयक इस ज्ञान कार्यक्रम में प्रो. माइकल हैनरिच ने कहा कि कोई भी एथनो फार्माकालोजीकल अध्ययन एवं शोध करने से पहले सुव्यवस्थित तैयारी तथा योजना निर्धारण जरूरी है।
उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को इस संबंध में उत्कृष्ट शोध प्रविधि तथा पद्धति का चुनाव करना चाहिए। शोध का फील्ड वर्क भी फोकस्ड होना चाहिए। प्रो. हैनरिच ने संपोषणीय शोध पद्धति पर भी जोर दिया।
इससे पूर्व मदवि के अधिष्ठाता शैक्षणिक मामले प्रो. ए.के. राजन ने इस ज्ञान प्रोग्राम का उद्घाटन किया।
उन्होंने कहा कि इस ज्ञान कार्यक्रम के जरिए प्राध्यापकों तथा शोधार्थियों को वैश्विक स्तर का ज्ञान उपलब्ध होता है। इससे यहां के प्राध्यापक वैश्विक वैज्ञानिक ज्ञान तथा नए रूझानों से अवगत होंगे। प्रो. राजन ने कहा कि ज्ञान कार्यक्रम के जरिए शोध गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी। उन्होंने विश्वविद्यालय की शैक्षणिक एवं शोध प्रगति का भी उल्लेख किया।
स्वागत भाषण इस कार्यक्रम के समन्वयक तथा औषध विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता प्रो. मुनीष गर्ग ने दिया। प्रो. गर्ग ने प्रो. माइकल हैनरिच का परिचय भी दिया। औषध विज्ञान विभाग की अध्यक्षा प्रो. संजू नंदा तथा एमडीयू ज्ञान कार्यक्रम के लोकल समन्वयक प्रो. जेपी यादव ने भी उद्घाटन सत्र में संबोधन किया। आभार प्रदर्शन औषध विज्ञान विभाग के प्रोफेसर तथा इस कार्यक्रम के उप-समन्वयक प्रो. हरीश दुरेजा ने किया।