प्रकृति ने मनुष्य को दिमाग दिया शायद यह सोच कर के यह पृथ्वी पर स्वर्ग स्थापित करेगा। अपने दिमाग का अच्छा उपयोग कर सभी के लिए शांति सुरक्षा सुविधा प्रेम मैत्री व आपसी सहयोग सदाचार आदि स्थापित करेगा। परंतु समय गति के साथ कुछ लोग दिमाग का अच्छा उपयोग कर रहे तो कुछ लोगों के दिमाग में फितरत आने लगी और वह लालची बनकर अपने फायदे के लिए दूसरे इंसानों को ही लूटने मे लग गए। कईयो के दिमाग में स्वार्थ झूठ कपट कूट-कूट कर भरा गया तो कई लोगों के दिमाग में प्यार मोहब्बत दया करुणा दूसरों की सहायता का भाव भर गया। मनुष्य की जीवनधारा भी तराजू के 2 पलड़े की तरह बट गई एक पलडा सदाचार दिमाग वालो का और दुसरा अनाचारी दिमाग वालो का। इस समय अनाचारीयो का पलड़ा भारी है इसलिए उनका बोलबाला बढ़ गया। कूटनीतिज्ञो ने जाति धर्म का भेद भाव पैदा कर इंसान द्वारा कई इंसानो का कत्लेआम करवाया भारत के बंटवारे के समय अंग्रेजों ने यह हरकत की। मुगलो ने अपना साम्राज्य फैलाने के लिए दूसरे कई साम्राज्य पर कत्लेआम मचाया औरतों को गुलाम बनाया। सत्ता के लिए अफ़गानिस्तान तालिबान सीरिया इराक आदि कई देशों में खून खराबा हुआ। आतंकवाद, नक्सलवाद, बागी यह कौम क्यों पैदा हो रही। समृद्ध शासक सदाचारी नहीं होंगे तब तक यह सब होता रहेगा। जिसके पास पावर है बस उसके दिमागी गुण पर मनुष्य जाति के लिए शांति या अशांति निर्भर रह गई।
अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)