बीकानेर,।वाशिंगटन, डीसी में रक्षा भाषा संस्थान (डीएलआई) में दक्षिण एशियाई भाषाओं के प्रो. लखन गुसाईं का मानना है कि भाषा वैज्ञानिक आधारों पर राजस्थानी एक संपूर्ण और समृद्ध भाषा है। वे अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी समाज द्वारा आयोजित ‘राजस्थानी भासा अर साहित्य री बात’ विषय पर बोल रहे थे, उन्होंने कहा कि मेरा काम राजस्थानी की विभिन्न बोलियों पर अंग्रेजी में है और वर्षों के लंबे अध्ययन के आधार पर राजस्थानी पर मढ़े जा रहे सभी आरोप निराधार है इस भाषा को जल्दी मान्यता मिलनी चाहिए।

झुंझुनू के कथाकार श्याम जांगिड़ ने कहा कि राजस्थानी भाषा के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए जन जन की भागीदारी जरूरी है इसके लिए हमें मन से घर-परिवार में इसे सम्मान देना होगा। जोधपुर से जुड़े भाषाविद भंवरलाल सुथार ने कहा कि राजस्थानी मान्यता का मुद्दा केवल राजनीति की बात है, वोट मांगते वक्त जिस भाषा में हमारे जन प्रतिनिधि संवाद करते हैं उसी के बारे में जीतकर संदेह करना गलत है। चर्चा के संयोजक कवि आलोचक नीरज दइया ने कहा कि राजस्थानी की बात अंग्रेजी और हिंदी में होने से बात दूर तक जाएगी । अंतरराष्ट्रीय राजस्थानी समाज द्वारा आयोजित सजीव प्रसारण में साहित्कार नंद भारद्वाज, बुलाकी शर्मा, मीठेश निर्मोही, विजय जोशी, राजेंद्र जोशी, मदन गोपाल लढ़ा, दीनदयाल शर्मा, श्याम सुंदर भारती,शिवदान सिंह जोलावास, गौतम अरोड़ा, सीमा राठौड़, विनोद सारस्वत, रेखा लोढ़ा स्मित, निर्मला राठौड़, जितेंद्र सिंह रावत, छत्र छाजेड़, प्रशांत जैन, महावीर मूड, हरिचरण अहरवाल समेत सौ से अधिक लेखकों-दर्शकों ने विचार साझा किए और दो सौ से अधिक द्वारा इसे देखा ।