

बीकानेर।मित्रों आज प्रकाशक और मुद्रक मे क्या फर्क होता है और हो सकता है ये स्पष्ट रूप से जानने और समझने का अवसर मिला और अवसर बना राजस्थानी बाल साहित्य उपन्यास मोळियो के लोकार्पण समारोह से जो आयोजित हुआ रविवार को बीकानेर के अजित फाउंडेशन में
साहित्यकार ,उपन्यासकार, बाल साहित्यकार श्री मनीष कुमार जोशी द्वारा लिखित उपन्यास मोळियो ( राजस्थानी बाल साहित्य ) बाल पाठकों व अभिभावकों के पठन और मनन हेतु प्रस्तुत की गयी।
लोकार्पण समारोह सुबह आरम्भ हुआ और समारोह के अध्यक्ष रहे साहित्यकार ,राजस्थानी भाषा साहित्य एव संस्कृति अकादमी के कोषाध्यक्ष , महाराजा सादुल रिसर्च इंस्टिट्यूट बीकानेर की पत्रिका राजस्थान भारती के प्रधान संपादक , कथाकार श्री राजेंद्र जोशी , उनके साथ मुख्य अतिथि साहित्यकार , राजस्थानी बाल साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष श्री बुलाकी शर्मा विशिष्ठ अतिथि सुचना एवम जनसम्पर्क अधिकारी बीकानेर , कवि , साहित्यकार श्री हरिशकर आचार्य और कोलकाता से पधारे विप्र पुष्करणा समिति कोलकाता के कार्यकारणी अध्यक्ष श्री राजकुमार व्यास।उपन्यास पर पत्र वाचन किया साहित्यकार , लघु कहानीकार , कवि श्री सुनील गजानी ने
लोकार्पण के इस कार्यक्रम को बखूबी संचालित किया साहित्यकार , गीतकार, राष्ट्रीय साहित्य अकादेमी से पुरस्कृत श्री संजय पुरोहित ने
मोळियो उपन्यास का मंच से लोकार्पण होने के तत्पश्चात साहित्यकार सुनील गजानि ने अपने पत्र वाचन में ये बात स्पष्ट रूप से इंगित कि , की प्रकाशक ने एक मुद्रक की भांति , यानी छापने की प्रक्रिया भर का ही काम किया है प्रकाशक की भूमिका पुस्तक से कोशो दूर नजर आ रही है।अगर ऐसा न होता तो ये बाल साहित्य का राजस्थानी उपन्यास राजस्थानी बाल साहित्य के क्षेत्र में एक अगल मुकाम रच लेता।पुस्तक एक सफल मुद्रक की प्रति प्रतीत होती है साहित्य प्रकाशक की नहीं।ऐसा इस लिए है की पुस्तक में असंख्य त्रुटिया है , जो किसी भी कारणों से रही है पर वे रही है और इसकी जिमेवारी प्रकाशक की ही होती है और प्रकाशक को ये जिमेवारी सामने आकर स्वीकारनी चाहिए क्यों कि बाल साहित्य को प्रकाशित करना और बालकों तक पहुँचाने की क्रिया मे अगर कोई चूक या गलती है तो वो एक गलत परिभाषा जैसी स्थिति है जिस के परिणाम भी फिर बाल साहित्य के उदेश्य से अलग ही आएंगे ये बात भी तय है।
मैं मोळियो बाल साहित्य की इस प्रति का प्रथम पाठक ( पाण्डुलिपि ) रहा हूँ ! क्यों की पुस्तक के आधार पर कुछ रेखा चित्र मैंने प्रकाशन हेतु रचे है जो पुस्तक में मुद्रित हुए है।लेखक द्वारा लिखी गयी पुस्तक में त्रुटि टाइप के जरिये शुद्ध की जाती ये प्रकाशन की परम्परा या मानदंड है।फिर उसकी प्रूफ रीडिंग और फिर फाइनल रीडिंग और उसके बाद प्रकाशन तक पुस्तक पहुँचती है।
पर इस मोळियो पुस्तक जो की अकादमी के मूल्यों और विषय की मांग को पूर्ण करती हुई कृति है का प्रकाशक द्वारा सिर्फ मुद्रण कर देना वो भी त्रुटि की शुद्धि किये बगैर मुझे न्यायोचित प्रतीत नहीं हो रहा। सो ये आलोचना का बिंदु मुझे सही प्रतीत होता है साहित्यकार सुनील गजानि का उनके पत्रवाचन से ! सही अर्थो में समालोचना का यही अर्थ है जिसे सुनील गजानि ने प्रस्तुत किया मंच से।
मोळियो उपन्यास के लेखक ने मंच से सपष्ट किया की आप पुस्तक के कंटेंट तक जाए ( विषय वस्तु ) उसे मनन करे और बाल मन की पीड़ा या व्यथा को समझने का प्रयास करे ! क्योंकि समकालीन और इस अतिआधुनिक समय में बाल विकास हेतु बाल मन को समझना अति आवश्यक है ! उनके स्वाभाविक चहुमुखी विकास के लिए।
साहित्यकार हरिशंकर आचार्य जी ने बाल साहित्य को लिखना बड़ा कठिन कार्य माना उन्होंने कहा की बाल साहित्य लेखन के लिए लेखक को स्वयं बाल्यावस्थ को पुनः जीना और उसे कल्पित करना होता है और साहित्यकार मनीष कुमार जोशी ने इसे बखूबी किया है जिसका प्रमाण ये उपन्यास मोळियो हमारे सामने है !
साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने मोळियो उपन्यास को एक सशक्त अभिव्यक्ति माना लेखक मनीष कुमार जोशी की ! उन्होंने इस उपन्यास में लेखक के संवेदनशील होने और मनोविज्ञान को समझने वाला लेखक कहा ! साथी उन्होंने लेखक के पूर्व प्रस्तुत किये हुए उपन्यास केयर टेकर और बाल उपन्यास चन्दन की भी भूरी भूरी प्रशंसा की।
समाज सेवी श्री राजकुमार व्यास ( कोलकाता ) ने साहित्यकार मनीष कुमार जोशी की रचनात्मक ऊर्जा और चिंतन को प्रेरणास्पद मानते हुए उन्हें निरंतर साहित्य सृजन करते रहने की बात कही।
लोकार्पण कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री राजेंद्र जोशी जी ने ये स्पष्ट किया की ये उपन्यास मोळियो मात्र बच्चों के लिए ही नहीं वरन बड़ो के लिए भी अवश्य रूप से पठन हेतु प्रस्तुत किया गया है लेखक मनीष कुमार जोशी द्वारा।बिना अभिभावकों के अध्ययन उपन्यास मोळियो का उदेश्य अधूरा ही रहेगा।
लोकार्पण समारोह में मोळियो बाल उपन्यास के प्रथम बाल पाठकों को पुस्तक की प्रति भेंट की गयी जिसमे मास्टर केशव जोशी , मास्टर माधव हर्ष को पुस्तक दी गयी।
पुस्तक में मुद्रित रेखाचित्रों ( चित्रकार योगेंद्र कुमार पुरोहित ) को रंगीन चित्र बनाकर कुमारी दिशा पुरोहित ( 6 वर्ष ) ने मोळियो उपन्यास में अपने बाल मन और कल्पना से रंग भरने का प्रयास किया जिसे चित्र प्रदर्शनी के रूप में प्रदर्शित किया गया और वहाँ उपस्थित सभी गुणी जनों ने बाल कलाकार को प्रोत्साहित भी किया और मंच से एक मैडल और प्रसस्ति पत्र दिशा पुरोहित को भेंट किया गया ।
साहित्यकार मनीष कुमार जोशी ने सम्मानित मंच को पुष्प माला के साथ साहित्य गुलदस्ता अपने साहित्य पुस्तकों का भेंट किया साथ ही मोळियो उपन्यास की प्रति कुछ विशिष्ठ गणमान्य व्यक्तित्वों को मंच से भेट की !
लोकार्पण समारोह में आये हुए समस्त साहित्य परिवार के प्रबुद्धजनो साहित्यकार डॉ. अजय जोशी , साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार , व्यंगकार आत्माराम भाटी ,साहित्कार , साहित्यकार आनंद हर्ष , स्पोर्ट्स मैन राजकुमार जोशी , खिलाडी शरद जोशी ,तीरंदाजी कोच अनिल जोशी , उमेश माली , बद्री नारायण , के के व्यास , गोपाल बोहरा , नदीम अहमद नदीम , गोविन्द लाला व्यास , संस्कृति कर्मी विजय शंकर पुरोहित , संजय श्रीमाली और मनीष कुमार जोशी के समस्त परिवार के सदस्य गण का आभार ज्ञापित किया साहित्यकार मनोज व्यास जी ने !