जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद प्रदेश में ओरण-गोचर व वन भूमि पर आबाद कच्ची बस्तियों का नियमन कर भूखंडों के पट्‌टे जारी करने पर अंतरिम रोक लगा दी। राज्य सरकार ने इस मामले में जवाब पेश करने के लिए सात दिन का समय मांगा है।

अध्यात्मिक पर्यावरण सेवा संस्थान के अध्यक्ष रामजी व्यास व रामाकिशन व्यास की तरफ से एटवोकेट मोतीसिंह ने याचिका पेश कर न्यायाधीश संगीतराज लोढ़ा व न्यायाधीश मनोज कुमार गर्ग की खंडपीठ को बताया कि राज्य सरकार शीघ्र ही प्रशासन शहर के संग व प्रशासन गांवों के संग अभियान शुरू करने जा रही है। इन अभियान के तहत जगह-जगह शिविर लगा कर कच्ची बस्तियों को नियमित कर उन जमीन पर काबिज लोगों को भूखंडों के पट्‌टे देने की तैयारी की जा रही है।

नियमानुसार वन भूमि के साथ ही ओरण व गोचर भूमि पर पट्टे नहीं दिए जा सकते है। ऐसे में इस प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने खंडपीठ से इस मामले में राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए सात दिन का समय देने का आग्रह किया। इस पर खंडपीठ अग्रिम आदेश तक प्रदेश के ओरण-गोचर व वन भूमि पर आबाद लोगों को पट्‌टे देने पर रोक लगा दी।

उल्लेखनीय है कि किसी वन भूमि पर आबाद लोगों के भूखंडों को नियमित कर पट्‌टे देने से पूर्व यह आवश्यक है कि उस भूमि को पहले केन्द्र सरकार से अनारक्षित कराई जाए। अनारक्षित कराने के आवश्यक है कि राज्य सरकार इस भूमि के समान आकार की भूमि वन क्षेत्र विकसित करने के लिए उपलब्ध कराई जाए। हालांकि निकायों के पास अभी तक मिले दिशा निर्देशों में ओरण-गोचर व वन भूमि पर आबाद कॉलोनियों को नियमित करने के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।