बीकानेर । बीकानेर सदर थाना पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी में फरार चल रहे आरोपी साहिल को भी गिरफ्तार किया गया है। अभी एक आरोपी की तलाश जारी है। एसएचओ सत्यनाराय गोदारा ने बताया कि डीटीएम फोर्टिस अस्पताल में काम करने के दौरान साहिल ने चार-पांच रेमडेसिविर इंजेक्शन वरदान हास्पिटल में नर्सिंगकर्मी अनिल जाट को दिए थे। साहिल को गिरफ्तार कर दो दिन के रिमांड पर लिया है। उससे पूछताछ कर पता लगाया जाएगा कि वह इंजेक्शन कहां से और कैसे लेकर आया। वरदान हॉस्पिटल का मालिक डॉ. सिद्दार्थ असवाल भी फरार है जिसकी तलाश की जा रही है। अभियुक्त अनिल ने वरदान हॉस्पिटल से ही करीब 25 इंजेक्शन लिए थे। गौरतलब है कि पुलिस ने पांच मई को घड़साना निवासी चौधरी लैब में नर्सिंग स्टॉफ संदीप नायक, बल्लभ गार्डन निवासी जीवन रक्षा हॉस्पिटल में मेडिकल स्टोर हेल्पर रमेशसिंह, नोखा निवासी बेस्ट हेल्थ केयर में नर्सिंगकर्मी महेन्द्र बिश्नोई व वरदान हॉस्पिटल में नर्सिंगकर्मी अनिल जाट को गिरफ्तार कर चार इंजेक्शन बरामद किए थे।अभियुक्तों ने इंजेक्शन 14 से 24 हजार रुपए में बेचे। पुलिस रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लायर का पता लगाने में जुटी है।
जांच अधिकारी मोहरसिंह ने बताया की अब तक अनिल , संदीप ,रमेश , महेन्द्र व साहिल उर्फ़ तेजान गिरफ्तार हो चुके हैं। आरोपियों के खिलाफ भादंसं की धरा 420, 120 बी व ओषधि प्रसारण सामग्री अधिनियम की धारा 17 , 17 A ,17 B , 27, 27 A ,27 B के तहत मुक़दमा दर्ज है।
उल्लेखनीय है कि मौत का तांडव मचा रहे कोरोना के कहर में रोगियों के लिये जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों पर शिंकजा कसने के लिये बीकानेर पहुंची एसओजी की टीम ने यहां दवा कारोबार जगत की पांच फर्मो को जांच में दायरे मे लेकर एफआईआर दर्ज कर ली है। जानकारी के अनुसार कहर बरपा रहे कोरोना के दौर में यहां बीकानेर में बीते एक माह के अंतराल में करीब ढाई तीन करोड़ रूपये के रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हुई है। यहां बड़े पैमाने पर हुई इस कालाबाजारी में फिलहाल मित्तल फार्मा, मित्तल ड्रग ऐजेसी, जिन्दल मेडिकोज, तंवर मेडिकोज, गौरव ऐजेंसी और राजेन्द्र मेडिकल एण्ड जनरल स्टोर का नाम सामने आया है। जानकारी के अनुसार जांच पड़ताल के लिये बीते सप्ताह बीकानेर आई एसओजी टीम इन फर्मो के रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद फरोख्त और सप्लाई से जुड़े दस्तावेज भी कब्जे में लिये है। इन इंजेक्शनों की कालाबाजारी के खेल में जीवन रक्षा होस्पीटल, डॉ.तनवीर मालावत अस्पताल, एमएन अस्पताल संचालकों के अलावा औषधी विभाग के सहायक औषधी नियंत्रक की मिलीभगत भी सामने आई है। वहीं दवा कारोबार जगत से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि सबसे ज्यादा कालाबाजारी मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेसी की सामने आई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों फर्मो के संचालकों ने करीब 1011 रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बेचे है। मजे कि बात तो यह है कि मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग एजेंसी ने अपनी बिलिंग में शहर के डॉ. अशोक सुथार, डॉ. केके पुरोहित, डॉ. विजय शांति बांठिया, डॉ. अजय गुप्ता, डॉ. श्रेयासं जैन, डॉ. अच्यूत त्रिवेदी के अलावा कोलकाता, जयपुर और श्रीगंगानगर के कई प्राइवेट अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शनों की सप्लाई देना बताया है,जबकि इनमें अधिकांश बिल ही फर्जी बताये जाते है। इस तरह तंवर मेडिकोज और गौरव ऐजेंसी के बिलों में भी रेमडेसिविर इजेंक्शनों की कालाबाजारी के तथ्य सामने आये है। यह भी पता चला है कि इन फर्मो ने फर्जी बिलों के जरिये बीकानेर की प्रावइेट होस्पीटलों में बड़े पैमाने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई किये।
तीस-तीस हजार में बेचा एक इंजेक्शन
बीकानेर में बड़े पैमाने पर हुई रेमडेसिविर इजेंक्शन की कालाबाजारी से जुड़े मामले की पड़ताल में सामने आया है कि दवा कारोबारियों ने मौके का फायदा उठाने के लिये पहले तो इंजेक्शन की सप्लाई ठप्प कर दी, फिर डिमांड बढने पर एक इंजेक्शन तीस हजार रूपये की किमत में बेचा। इसके पुख्ता तथ्य भी सामने आये है कि बीकानेर में करीब ढाई तीन हजार रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी हुई है। जानकारी के अनुसार इस समय अलग अलग कम्पनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन कर रही हैं. इसकी एक डोज की कीमत 899 रुपये से लेकर 5400 रुपये तक है,लेकिन डिमांड बढने और कोरोना की मारामारी का दौर शुरू होने के बाद दवा कारोबारियों ने इस इंजेक्शन की एक डोज तीस से चालीस हजार रूपये में बेची।
बीकानेर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड पर स्टॉकिस्ट ने जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, श्रीगंगानगर, चूरू, झुंझुनूं, भिवानी, कोलकाता सहित अनेक जगह भेजे। एसडीएमएच हॉस्पिटल जयपुर, महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल जयपुर ने कहा कि ना तो स्टॉकिस्ट को मांग पत्र भेजा और ना ही इंजेक्शन मिले। झुंझुनूं के आरआर हॉस्पिटल ने दो इंजेक्शन मिलना बताया, जबकि स्टॉकिस्ट ने चार बताए। स्टॉकिस्ट ने वरदान हॉस्पिटल को 15 इंजेक्शन देना बताया, जबकि अस्पताल ने साफ इंकार कर दिया। एमएन अस्पताल को भी सात इंजेक्शन देना बताया, जबकि अस्पताल ले इंकार किया।स्टॉकिस्ट ने अस्पतालों के नाम फर्जी बिल काटे। जांच जारी है देखना है की मगरमच्छ पुलिस के हाथ आते हैं या मामले की इतिश्री दो चार चूहों को पकड़ कर कर दी जायेगी।