बीकानेर ,।हिंदी और राजस्थानी के वरिष्ठ बाल साहित्यकार व्यंग लेखक बुलाकी शर्मा द्वारा संपादित “21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां राजस्थान का लोकार्पण बीकानेर साहित्य संस्कृति कला संगम द्वारा एक सादे समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मी नारायण रंगा, वरिष्ठ कवि और ‘जागती जोत’ के संपादक शिवराज छंगाणी और चर्चित कवि-आलोचक डॉ. नीरज दइया ने किया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रतिष्ठित साहित्यकार लक्ष्मी नारायण रंगा ने कहा कि बुलाकी शर्मा ने राजस्थान के श्रेष्ठ बाल कहानीकारों की श्रेष्ठ बाल कहानियों को संपादित कर अनुपम कार्य किया है, इससे राजस्थान के बाल साहित्य को भारतीय परिप्रेक्ष्य में जानने समझने का अवसर मिलेगा।
        मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि शिवराज छंगाणी ने कहा कि बुलाकी शर्मा ने ‘जागती जोत’ के संपादन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मैं इनके संपादक रूप से भलीभांति परिचित हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि बाल कहानियों के चयन और संपादन में जिस मेहनत और लगन की आवश्यकता होती है उसी के अनुरूप लोकार्पण पुस्तक का संपादन किया गया है।
      वरिष्ठ कवि-कहानीकार कमल रंगा ने कहा कि बुलाकी शर्मा बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। वे जितनी प्रखर लेखनी से व्यंग्य लिखते हैं उतनी ही प्रखरता से साहित्य की अन्य विधाओं में कार्य करते हैं। बच्चों की कहानियां लिखना अथवा उन्हें संपादित करना बेहद कठिन काम है जो बुलाकी शर्मा ने बेहतरीन ढंग से इस संग्रह में कर दिखाया है।
       कवि-आलोचक और नेगचार पाक्षिक ई-पत्रिका के संपादक डॉ. नीरज दइया ने कहा कि डायमंड बुक्स की भारत कथा माला सीरीज में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत प्रकाशित बुलाकी शर्मा के संपादन में यह एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, जिसमें बाल पाठकों को उनके समय के अनुरूप अच्छी कहानियां मिलेंगी जिनसे उनका स्वस्थ मनोरंजन के साथ ही मानसिक विकास भी होगा।
      संस्था के अध्यक्ष शायर कासिम बीकानेरी ने संपादक बुलाकी शर्मा का विस्तार से परिचय देते हुए कहा कि वे मौजूदा समय में बीकानेर ही नहीं वरन राजस्थान के एक महत्वपूर्ण लेखक हैं जो निरन्तर सृजन करते हुए हिंदी और राजस्थानी साहित्य समृद्ध कर रहे हैं।
     लोकार्पित पुस्तक के संपादक  बुलाकी शर्मा ने इस संग्रह में शामिल सभी कथाकारों के प्रति आभार प्रदर्शित करते कहा कि उनके सहयोग के बिना यह संपादन कार्य सम्भव ही नहीं हो पाता। उन्होंने डायमंड बुक्स की सराहना की कि सभी प्रांतों के रचनाकारों को सामने लाने की उनकी यह पहल प्रेरणादायक है।
कार्यक्रम में डॉ. मो. फारूख चौहान, राजेश रंगा, हरि नारायण आचार्य, पुनीत रंगा, कार्तिक मोदी, आशीष रंगा, मुख्तियार अहमद समेत अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित रहे । आभार प्रदर्शन कवि गिरिराज पारीक ने किया।