झुंझनू,(दिनेश शर्मा “अधिकारी”)। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जयपुर के निर्देशानुसार झुंझुनूं न्यायक्षेत्र में 12 मार्च, को वर्ष-2022 की “ प्रथम राष्ट्रीय लोक अदालत “ का आयोजन कोविड-19 को दृष्टिगत रखते हुए ऑनलाईन व ऑफलाईन दोनो माध्यमों से किया जावेगा। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,(डालसा) झुंझुनूं सचिव न्यायधीश श्रीमती दीक्षा सूद ने निर्धारित कलेंडर प्रोग्राम के अनुसार न्यायिक अधिकारीगण, अधिवक्तागण, मीड़ियागण आदि के साथ मीटिंग कर अधिक से अधिक प्रकरण राष्ट्रीय लोक अदालत में रखकर निस्तारित करवाने का आग्रह किया । डालसा सचिव श्रीमती सूद ने ऑनलाईन कार्यक्रम आयोजित कर श्रोतागण को बताया कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा संचालित वरिष्ठ नागरिक हैल्पलाईन 14567 हैल्पलाईन वरिष्ठों नागरिकों के अधिकारों का संरक्षण करेगी। झुंझुनूं न्यायक्षेत्र में राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने हेतु न्यायिक अधिकारियों की बैंचों का गठन किया जायेगा जो कि प्रकरणों को सुनकर फेसले करेंगी। लोक अदालत को सफल बनाने हेतु न्यायालयों से अधिक से अधिक प्रकरण रैफर करने व निस्तारण करने हेतु आह्वान किया । इस राष्ट्रीय लोक अदालत में प्रि-लिटिगेशन में एन.आई. एक्ट के प्रकरण, धन वसूली के प्रकरण, श्रम विवाद एवं नियोजन संबंधी विवादों के प्रकरण, बिजली, पानी व अन्य भुगतान से संबंधित प्रकरण, भरण-पोषण से संबंधित प्रकरण इसके अतिरिक्त न्यायालयों में लंबित प्रकरणों में दाण्डिक शमनीय प्रकरण, एन.आई. एक्ट के प्रकरण, धन वसूली के प्रकरण, एम.ए.सी.टी. के प्रकरण, श्रम एवं नियोजन संबंधी विवादों के प्रकरण, बिजली, पानी एवं अन्य बिल भुगतान से संबंधित प्रकरण, वैवाहिक विवाद(तलाक के मामलों को छोड़कर), भूमि अधिग्रहण से संबंधित प्रकरण, तथा अन्य सिविल प्रकरणों को राजीनामे से निस्तारण हेतु पेश किया जा सकेगा। चिन्हित प्रकरणों में लोक अदालत से पूर्व ऑनलाईन प्री-काउंसलिंग भी करवाई जाएगी। बैंक व वित्तीय संस्थाएं ऐसे प्रकरणों प्री-लिटिगेशन स्तर पर दर्ज करावाना चाहते हैं, तो उनकी सूची समय रहते जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या तालुका स्तर पर विधिक सेवा समितियों में प्रस्तुत कर सकेंगे, जिससे नोटिस जारी कर अविलम्ब निस्तारण के लिए प्रभावी कार्रवाई हो सके। अगर लोक अदालत में प्रकरण निस्तारित होने पर प्रकरण का अंतिम रूप से निस्तारण हो जायेगा तथा न्यायालय में जमा करवायी गयी फीस भी वापिस मिलेगी। जिनके भी प्रकरण उक्त विषयों से संबंधित लंबित है तो वे लोक अदालत की भावना से उक्त प्रकरण में समझाईश के माध्यम से निस्तारित करवा सकते है ताकि न्यायालयों में चलने वाली कार्यवाहियों से बचा जा सके।