– फोर्टी ने आगामी बजट हेतु राजस्थान सरकार को दिए सुझाव
जयपुर। राजस्थान फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज (फोर्टी) अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि राजस्थान सरकार के आगामी बजट वित्तीय वर्ष 2021-22 की तैयारी के लिए सुझाव/विचार आमंत्रित किये जाने हेतु ” राज्य स्तरीय कर परामर्शदात्री समिति” की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की गई मीटिंग में फोर्टी की तरफ से कार्यकारी अध्यक्ष अरुण अग्रवाल ने सम्पूर्ण व्यापार व् उद्योग जगत से प्राप्त सुझावों को मुख्यमंत्री के समक्ष रखे
अरुण अग्रवाल ने बताया कि कोरोना के पश्चात सम्पूर्ण व्यापार व् उद्योग जगत वेंटीलेटर पर है, हाल ही में पेश किये गये केन्द्रीय बजट से व्यापारियों को काफी उम्मीदें थी परन्तु केंद्रीय बजट व्यापारियों के अनुरूप नहीं रहा, ऐसे में राजस्थान के व्यापारियों को पेश होने वाले स्टेट बजट से राहत की काफी ज्यादा उम्मीदे है ।
फोर्टी के मुख्य सुझाव निम्न प्रकार से है :-
मिनिस्ट्री ऑफ पावर द्वारा दिनांक 31 दिसम्बर को ग्रॉस मीटरिंग व नेट मीटरिंग के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है । जिसके तहत ग्रॉस मीटरिंग शुरू हो जाएगी एवं 10 किलोवाट से ऊपर नेट मीटरिंग बंद हो जाएगी । यदि केंद्र सरकार द्वारा इस नियम को लागू किया जाता है तो राजस्थान के उपभोक्ता, एमएसएमई यूनिट्स व रोजगार का बहुत बड़ा नुकसान होगा । इसलिए फोर्टी ने अनुरोध किया है कि इस विषय पर सरकार द्वारा आवश्यक राहत भरे कदम उठाये जाये |
वैट व एन्ट्रीटैक्स कानून के अन्तर्गत कर निर्धारण अधिकारी के समक्ष विभिन्न प्रार्थना पत्र जैसे कि रेक्टीफिकेशन आदि पेन्डिंग पडी हैं अथवा इनपुट टैक्स क्रेडीट के मिलान सम्बन्धी प्रार्थना पत्र भी पेन्डिंग है, इनका कैंप लगाकर निश्चित समयावधि में समाधान किया जाना चाहिए।
डीएलसी दरों को कम किया जाना चाहिए। वर्तमान में रियल एस्टेट सेक्टर काफी समस्या में है। कुछ क्षेत्र में वास्तविक बाजार मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित डीएलसी दरों से बहुत कम है। इसके अलावा डीएलसी दरों का आयकर पर भी संक्रामक प्रभाव पड़ता है क्योंकि धारा 50 सी / 43 सी ए और 56 (2) (एक्स) के तहत कर संपत्ति की डीएलसी दरों पर निर्भर करता है। डीएलसी दरों में कटौती से संपत्तियों की खरीद और बिक्री को बढ़ावा मिलेगा |
राज्य के अन्दर आरम्भ होकर राज्य के अन्दर समाप्त होने वाले मालों के परिवहन पर 50 हजार रूपये से अधिक मूल्य के बिलों पर ई-वे बिल लगाना आवश्यक है जबकि दुसरे राज्य बिहार, महाराष्ट्र में 1 लाख मूल्य से अधिक के बिलों पर ही ई-वे बिल बनाना जरूरी है । अतः यहाँ भी दुसरे राज्यों कि तरह 1 लाख रूपये से अधिक के बिलों पर ही ई-वे बिल बनाने कि बाध्यता की जावे ।
लेबर वेलफेयर सेस जो 2009 से लागू हुआ है, उसमें ब्याज एवं पेनल्टी लगाने से परेशानी बढ़ी है। लेबर वेलफेयर के कारण उधमियो को काफी नोटिस प्राप्त हो रहे है जिसमें क़ानूनी कार्यवाही के नोटिस भी शामिल है हमारा आपसे आग्रह है इस पर भी कोई एमनेस्टी स्कीम लायी जाये जिससे जिन उधमियों के नोटिस निकले हुए है वे बिना पेनल्टी व् ब्याज के अपने पैसे जमा करवा सके ।
मजदूर संघ के ठेकेदारों से मजदूरों की अनुपलब्धता के कारण उद्योगों में उत्पादन प्रभावित होता है और माल भेजने में बहुत कठिनाई होती है। इसलिए आपसे अनुरोध है कि श्रम विभाग द्वारा पांच हजार रुपये तक का एक परिपत्र जारी किया गया है, जिसे बढ़ाया जाना चाहिए और लघु उद्योगों की सुविधा के लिए पन्द्रह रुपये तक की छूट दी जानी चाहिए।
एम.एस.एम.ई. के लिए बी 2 बी फेयर्स वेंडर डेवलपमेंट प्रोग्राम व अन्तराष्ट्रीय खरीददारों के विजिट के लिए ट्रेड के अनुसार वेंडर डेवलपमेंट फेयर्स आयोजित किये जाये ।
सरकार द्वारा कोई भी टेंडर ऑनलाइन निकला जाता है वो सबके लिए ओपन होता है, जिससे आर्डर दुसरे स्टेट से ही पूरा हो जाता है यहाँ के स्टेट को कुछ कार्य ही नही मिलता है इसलिए सरकार को ऐसा नियम लागु करना चाहिए जिससे वर्तमान में जो भी टेंडर निकाले जाते है उसमें अगर राजस्थान के बाहर की भी कोई कंपनी टेंडर डालती है तो राजस्थान के एम.एस.एम.ई. उद्योगों से 15 प्रतिशत कार्य आदेश लेना पड़े जिससे राज्य के उद्यमियों को भी कार्य मिल सके ।
विद्युत निगमों द्वारा आर ई आर सी की आड़ में बड़े उद्योगों पर फिक्स चार्ज 185 रूपये से बढ़ा कर 270 रूपये प्रति केवीए कर दिया है । पहले ही फिक्स चार्ज बहुत ज्यादा था और अब लगभग 70 प्रतिशत और बढ़ा दिया गया है ।
उद्योगों पर फिक्स चार्ज के कारण 9 से 15 रूपये प्रति यूनिट बिजली की दर पड़ रही है जो पुरे देश में कही भी नहीं है जिसे उद्योग सहन नही कर पाएंगे । इस कारण अब की बार जो फिक्स चार्ज बढ़ाया वो +40 पैसे इलेक्ट्रिक ड्यूटी +10 पैसे वाटर सेस कम करवाने कि मांग की है |