जयपुर।सरकारी क्षेत्र में कदाचार पर नियंत्रण के लिए मजबूत लोकायुक्त तथा शराबबंदी की मांग को लेकर जस्टिस फॉर छाबड़ा की राष्ट्रीय अध्यक्ष पूनम छाबड़ा सोमवार से राजधानी में शहीद स्मारक जयपुर पर आमरण-अनशन पर बैठ गयी हैं। गांधीवादी विचारधारा वाली पूनम ने इसी अहिंसक आंदोलन आरंभ किया है। उनको समर्थन देने के लिए राजनीतिक लोग भी एकजुट हो रहे हैं। जयपुर के पूर्व विधायक गोपीचंद गुर्जर (नगर) भी पहुंचे और अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
श्रीमती पूनम छाबड़ा ने कहा है कि शराब बिक्री के लिए अभी तक सरकार ठोस नियम नहीं बना सकी है। नाबालिग बच्चों को भी शराब की बिक्री सरकारी ठेकों पर की जा रही है। इससे आने वाले समाज की हम कल्पना कर सकते हैं कि वह किस राह पर जा सकता है? उन्होंने कहा कि उनकी मांग सम्पूर्ण शराबबंदी की है। इसको लेकर उनका पूर्व में भी आंदोलन हुआ, सरकार ने समझौता किया किंतु उसकी पालना नहीं की। इस बार वे आर-पार की लड़ाई का निर्णय कर चुकी हैं।
छाबड़ा ने जारी किये गये वक्तव्य में कहा है कि संविधान निर्माता डॉ. बीआर अम्बेडकर की जयंती और पुण्यतिथि पर भी शराब की बिक्री होती है। रमजान और नवरात्रि जैसे पवित्र दिनों में भी शराब की बिक्री की रोकथाम के लिए नियम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनका मत है राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तरह सभी धर्मों के पवित्र दिनों में शराब की बिक्री पर तुरंत रोक लगायी जाये और सम्पूर्ण शराबबंदी के लिए सरकार क्या विचार कर रही है, इसकी जानकारी भी सार्वजनिक की जाये।

उन्होंने कहा कि लोकायुक्त के लिए कानून तो बनाया गया किंतु यह नियम इतने सरल हैं कि भ्रष्टाचार करने वालों को लोकायुक्त का भय ही नहीं दिखाई देता। लोकायुक्त के पास मानव संसाधनों की कमी है। उनके पास ऐसी टीम नहीं है जो लोकायुक्त की टीम कहला सके। इस तरह से हम कैसे कल्पना कर सकते हैं कि सरकारी क्षेत्र में होने वाला कदाचार थम जायेगा?इसके लिए किसी को आगे आना ही था और पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा के सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने आज से प्रात: 10 बजे आमरण अनशन आरंभ कर दिया है। उनका यह अनशन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार इस संबंध में कठोर कदम उठाने की घोषणा नहीं करती।
वहीं आंदोलनकारी पूनम को समर्थन देने वाले लोग सैकड़ों की संख्या में पहुंचे। राजधानी ही नहीं अपितु प्रदेश के अन्य हिस्सों से भी उनको पूर्ण समर्थन मिल रहा है। गांधीवादी विचारधारा वाले लोग मानते हैं कि शराब बंदी तथा भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए प्रभावी कानून की मांग को लेकर जो अहिंसक आंदोलन का रास्ता पूनम ने अपनाया है, वह निसंदेह प्रशंसनीय है और सरकार को भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के लिए कठोर कदम उठाना ही होगा।
ध्यान रहे कि पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा ने शराबबंदी को लेकर आंदोलन का मार्ग अपनाया और आमरण अनशन करते हुए अपनी शहादत दे दी थी। सरकार ने उनके साथ तथा उनके बाद आंदोलन की कमान संभालने वाली पूनम छाबड़ा के साथ सरकार के समझौते भी हुए किंतु उन समझौतों की पालना आज तक नहीं की गयी। इसी कारण एक बार फिर से पूनम को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ रहा है।

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