शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह वारसी हसरत की यौमे-शहादत पर त्रिभाषा कवि सम्मेलन मुशायरा रखा गया

बीकानेर,।फ्रेंड्स एकता संस्थान बीकानेर की जानिब से देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों की याद में शहीदे-आज़म अशफ़ाक़ उल्लाह वारसी हसरत की शहादत के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय समारोह के प्रथम दिन नगर के हिंदी,उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के कवियों एवं शायरों का त्रिभाषा कवि सम्मेलन मुशायरा आयोजित किया गया। जिसमें लगभग तीन दर्जन से अधिक कवियों और शायरों ने अपनी कविताओं, शेरो शायरी, गीत एवं गज़़लों के प्रस्तुतीकरण से शहीदों के प्रति अपना सम्मान प्रकट किया।
संस्थान के अध्यक्ष नौजवान शायर वली मोहम्मद ग़ौरी ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा के संयोजक मधु आचार्य आशावादी ने की। इस मौक़े पर मधु आचार्य आशावादी ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि शहीदों की शहादत को नमन करना पुनीत कार्य है। हमें बीकानेर पर गर्व होना चाहिए कि यहां आज भी शहीदों की याद में इस तरह के आयोजन लगातार आयोजित होते रहते हैं। आचार्य ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि नगर के रचनाकार बेहतरीन रचनाकर्म कर रहे हैं और नगर की शायरी पूरे देश की शायरी से किसी भी तरह से कम नहीं है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उर्दू शायर ज़ाकिर अदीब ने अपनी देश भक्ति गज़़ल के शेरों के उम्दा प्रस्तुतीकरण से शहीदों की शहादत को नमन करते हुए उन्हें अपनी खऱिाजे तहसीन पेश की।
कार्यक्रम के स्वागताध्यक्ष वरिष्ठ राजस्थानी कवि कथाकार कमल रंगा ने कहा कि हमें शहीदों के जीवन से प्रेरणा हासिल करनी चाहिए। शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह वारसी ने अपनी शहादत देकर नौजवानों में देशभक्ति के जज़्बे का भरपूर प्रचार प्रसार किया । रंगा ने कहा कि फ्रेंड्स एकता संस्थान पिछले कई वर्षों से शहीदों के सम्मान में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रही है इसके लिए संस्थान के तमाम पदाधिकारी बधाई के पात्र हैं।
इस अवसर पर संस्थान के अध्यक्ष वली मोहम्मद ग़ौरी ने शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह वारसी हसरत के जीवन के विभिन्न पहलुओं को सामने रखते हुए कहा कि वे देश की आज़ादी की जंग में हिस्सा लेने वाले एक ऐसे शहीद थे जिन्होंने देश की गंगा जमुनी संस्कृति को भी पोषित किया।
इस मौक़े पर आयोजित त्रिभाषा कवि सम्मेलन मुशायरे में शायर क़ासिम बीकानेरी ने अपनी ताज़ा गज़़ल के शेरों के जरिए शहीदों के सम्मान में अपनी श्रद्धा प्रकट की। मुफ़्ती अशफ़ाक़ उल्लाह वारसी ‘शफ़क़Ó के कलाम को श्रोताओं द्वारा भरपूर दादो-तहसीन से नवाज़ा गया। डॉ. जिय़ाउल हसन कादरी, असद अली असद, बुनियाद ज़हीन, संजय आचार्य वरुण, इरशाद अज़ीज़, सागर सिद्दीक़ी, अमित गोस्वामी, कैलाश टाक, इमदादुल्लाह बासित, अब्दुल जब्बार जज़्बी, गुलफ़ाम हुसैन आही, गोपाल पुरोहित, समीर गोयल, मुइनुद्दीन मुईन, दीपेंद्र सिंह राज, आनंद मस्ताना, हनुमंत गौड़, मुक्ता तैलंग, निर्मल कुमार शर्मा, मोहम्मद इस्हाक़ ग़ौरी शफ़क़, शमीम अहमद शमीम एवं बाबूलाल छंगाणी ने अपनी रचनाओं से शहीदों के प्रति अपने सम्मान को बख़ूबी प्रकट किया। इस अवसर पर अनेक प्रबुद्ध जन मौजूद थे।
अंत में सभी आगंतुकों का आभार मुफ़्ती अशफ़ाक़ उल्लाह उफ़क़ ने ज्ञापित किया । संचालन डॉ. जिय़ाउल हसन क़ादरी ने किया ।