– जस्टिस एसएस सरों को एसजीपीसी का मुख्य चुनाव कमिश्नर किया गया नियुक्त
पंजाब ब्‍यूरो। केंद्र सरकार ने जस्टिस (सेवामुक्त) एसएस सरों को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का मुख्य चुनाव कमिश्नर नियुक्त कर दिया है। आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक एडवोकेट एचएस फूलका सहित कई सिख संगठन एसजीपीसी के मुख्य चुनाव कमिश्नर की नियुक्ति के लिए लंबे समय से मांग कर रहे थे। बता दें कि एचएस फूलका ने पंजाब विधानसभा के अधिवेशन में सीएम से मांग की थी कि वह एसजीपीसी के चुनाव के लिए केंद्र सरकार को चुनाव कमिश्नर की नियुक्ति के लिए एक पैनल भेजें। इसके बाद कैप्टन ने फूलका को विश्वास दिलाया था कि वह जल्द ही इस मामले में अमल करेंगे। चुनाव आयोग के कमिश्नर की नियुक्ति के बाद अब एसजीपीसी के चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। नियुक्त किए गए कमिश्नर का मुख्य कार्य जिलों के चुनाव अधिकारियों से वोटर लिस्ट तैयार करवाने के साथ-साथ गुरुद्वारा एक्ट 1925 के अनुसार चुनाव करवाना है।

_शिअद (बादल) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल ने मोदी मंत्रिमंडल से कृषि कानून के विरोध में इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद शिअद ने भाजपा से 23 साल पुराना नाता भी तोड़ लिया। एसजीपीसी चुनाव के लिए कमिश्नर की नियुक्ति के बाद बादल विरोधी संगठनों ने कमर कसनी शुरू कर दी है। अकाल पुरुख की फौज के मुखिया एडवोकेट जसविंदर सिंह के अनुसार चुनाव कमिश्नर की नियुक्ति से स्पष्ट है कि एसजीपीसी के चुनाव अगले छह माह के बीच हो जाए जाएंगे।_
_एसजीपीसी का पिछला चुनाव जुलाई, 2011 में हुआ था, लेकिन सहजधारी सिखों के मतदान करने पर मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया। वर्ष 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में सहजधारियों को एसजीपीसी चुनाव में वोट न देने के आदेश जारी किए थे। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 2011 के चुनाव के बाद गठित साधारण सभा को भी बहाल कर दिया था। गौर करने वाली बात है कि लगभग आठ लाख सहजधारी सिख इस चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। एसजीपीसी के चुनाव करवाने का प्रावधान हर पांच वर्ष के बाद है। अब 2011 के बाद अगले वर्ष जुलाई में चुनाव होने की संभावना है। एसजीपीसी चुनाव में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल व चंडीगढ़ से 170 सदस्य निर्वाचित होकर आते हैं, जो साधारण सभा के सदस्य होते हैं। देशभर के गणमान्य 15 सिखों को मनोनीत करने का अधिकार साधारण सभा के पास होता है। पांचों तख्तों के जत्थेदार भी साधारण सभा के सदस्य होते हैं, लेकिन उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं होता है। पिछले एसजीपीसी चुनाव में मतदाताओं की संख्या लगभग 56 लाख थी।