– अब जारी 15 नोटिसों से विद्यार्थियों की ढाई महीनों की शिक्षा छीनी

जयपुर। संयुक्त अभिभावक संघ ने शुक्रवार को शिक्षा विभाग पर ” आरटीई ” की प्रक्रिया से एडमिशन प्राप्त विद्यार्थियों की शिक्षा का अधिकार छिनने का बड़ा आरोप लगाया है। संघ का कहना है की ” पिछले 3 महीनों से अभिभावक और विधार्थी ” शिक्षा ” प्राप्त करने को लेकर स्कूलों और शिक्षा विभाग के चक्कर कांट रहा है किंतु उन्हें शिक्षा उपलब्ध करवाने की बजाय शिक्षा से दूर रखा जा रहा है। स्कूलों में नए शिक्षा सत्र को शुरू हुए दो माह से अधिक का समय बीत चुका है किंतु आरटीई प्रक्रिया से एडमिशन प्राप्त विद्यार्थियों की शिक्षा आजतक भी शुरू नही हो पाई है, अब शिक्षा विभाग ने विद्यार्थियों की 15 दिवस की शिक्षा ओर छिनने के लिए 6 सितंबर को 15 वां नोटिस ओर जारी कर दिया है।

प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की स्कूल और सरकार की लड़ाई में ना केवल विद्यार्थियों का भविष्य खराब हो रहा है बल्कि अभिभावकों के सपनों को भी कुचला जा रहा है। इसके अलावा ” शिक्षा के अधिकार ” की इस लड़ाई में देश के संविधान, कानून और कोर्ट के नियमों और आदेशों की खुलेआम धज्जियां प्रशासन के संरक्षण से उड़ाई जा रही है। क्योंकि अभिभावकों की शिकायतों पर जांच कर जयपुर जिला शिक्षा विभाग पहले ही शहर के 24 स्कूलों की ” एनओसी ” रद्द करने की अनुशंसा शिक्षा निदेशक, बीकानेर को 29 अगस्त को कर चुका था, जिस पर कार्यवाही करने से बचाने के लिए जयपुर जिला शिक्षा अधिकारी ने आरोपी निजी स्कूलों को 6 सितंबर को एक ओर नोटिस जारी कर अब 15 दिवस की एक और चेतावनी जारी कर दी है। जिसके चलते विद्यार्थियों की ढाई महीनों की शिक्षा नही मिल सकी है।

जैन ने कहा की ” वही दूसरी तरफ निजी स्कूलों की एसोसियेशन शिक्षा विभाग द्वारा जारी नोटिसों पर दिखावा कर रहे है, अगर अभिभावकों की शिकायतें गलत होती, शिक्षा विभाग की जांच गलत होती तो जयपुर जिला शिक्षा विभाग 24 निजी स्कूलों को लेकर दो माह में 15 नोटिस क्यों जारी करता, अगर स्कूल संचालक संविधान, कानून और कोर्ट की पालना कर रहे है तो इस हिसाब से अभिभावक दोषी होते है जिसकी सजा हर गरीब और जरूरतमंद अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षा से वंचित रखकर भोगनी पड़ रही है। किंतु स्कूल, सरकार और प्रशासन तीनों मिलकर केवल बच्चों को शिक्षा से वंचित रहने का तमाशा देख रही है। जो देश के भविष्य के लिए घातक साबित होगा।