-अफसर फेर रहे मंत्री विधायकों की उल्टीमाला
राजस्थान की सत्ता के जागदूरजी भले ही दावे कर रहे हो कि हमारी सरकार रिपिट होगी,मगर सरकार के मंत्री और विधायकों का ऑउट ऑफ कंट्रोल रवैया देखकर लग रहा है कि सरकार अपनी आखिरी बाजी खेल रही है । इसकी सबसे ज्यादा पीड़ा अफसरों को झेलनी पड़ रही है, ज्यादात्तर मंत्री और विधायकों ने सरकार के अफसरों को अपनी कमाई में इस कदर झोंक रखा है कि बस पूछो मत! ऐसे में अफसर भी उनकी उल्टी माला फेरने लगे है। अब किसी एक मंत्री या विधायक की ऐसी कहानी हो तो बात समझ आती है,ताजा हालात में तो तमाम मंत्री-विधायकों ने कमाई का एकसूत्री कार्यक्रम चला रखा है। हालांकि सत्ता के जागदूगजी भी इससे अच्छी तरह वाकिफ है,मगर सियासी मजबूरी के चलते वह चाहकर भी कुछ करने की हालत में नहीं है,इसलिये फिलहाल सब खैरियत है।
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-प्रशासनिक मुखिया बनने के लिये मैराथन शुरू
राजस्थान की प्रशासनिक मुखिया दो माह बाद रिटायर हो जायेगी,उनकी जगह अब किस की तैनाती होगी इसके लिये एक के बाद एक कई दिग्गज अफसरों के नाम भी सामने आने लगे है। इनमें सीएमओं संभाल रहे एक तेज तर्रार रांका का नाम प्रमुखता से सामने आया है मगर सिनियरिटी में उनका नंबर काफी नीचले पायदान पर होने से मामला बैठना मुश्किल लग रहा है। इनके अलावा खनन,खाद्य आपूर्ति और वित्त विभाग का जिम्मा संभाल रहे करीब चार अफसर भी नंबर में लगने के लिये तैयार है। जो अपनी परफोर्मेंस से सीएम सॉब को खुश करने में लगे है। हालांकि यह भी तय माना जा रहा है कि प्रशासनिक मुखिया की तैनाती के लिये इस बार भी सीनियरिटी लांघी जायेगी और तेज तर्रार रांका की प्रशासनिक मुखिया की कुर्सी पर ताजपोशी भी हो सकती है। मगर फिलहाल सब खैरियत है ।
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-खूब सुर्खिया बटोर रही कांग्रेसी मोहत्तरमा!
राजस्थान के सत्तायी गलियारों में इन दिनोंं बीकानेर एक कांग्रेसी मोहत्तरमा खासी छायी हुई है । कुण्डली खंगालने पर पता चला कि पार्टी में छोटे पद से सियासी पारी की शुरूआत करने वाली मोहत्तरमा एक के बाद एक मजबूत कंधे के सहारे आज बड़े कद पहुंच गई और कई कांग्रेसी दिग्गजों की करीबी बन गई है। किसी के साथ मामूली सी मुलाकात में ही उसके साथ मजबूत गठबंधन में माहिर इस मोहत्तरमा ने चंद ही सालों में प्रदेश के सियासी और प्रशासनिक गलियारों में रंगीन मिजाजी अफसरों से तगड़ा तालमेल बैठा लिया। हैरानी की बात तो यह है कि कांग्रेसी दिग्गजों को भी शासन सचिवालय में अपना काम कराने के लिये चक्कर पे चक्कर लगाने पड़ते है,मगर बीकानेर की इस मोहत्तरमा का काम एक ही चक्कर हो जाता है। अब मोहत्तरमा के अति करीबी भी उसे सीडी वाली भंवरी से दो कदम आगे बताने लगे है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।
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-ठेकों के साथ थानों की कमाई भी प्रभावित
बीकानेर में शराब ठेकों के जरिये होने वाली कमाई थानों के लिये अब दूभर हो गई है। वजह यह सामने आई है कि पहले वाले कप्तान सॉब तो रात आठ बजे बाद ठेकों पर शराब बिक्री रोकने के लिये सिर्फ फरमान ही जारी करते थे,मगर नयी कप्तान साहिबा ने खुद मौके पर जाकर शराब ठेकों की चैकिंग शुरू कर दी है,जो रात गहराते ही ठेकों को संभालने के लिये निकल पड़ती है। इतना ही नहीं सिटी वाले उप कप्तान सॉब भी इस मामले खासी सख्ती दिखा रहे है,इसलिये रात आठ बजते ही ठेकों पर ताले लगवाकर आस-पास से भीड़ हटवाने का जिम्मा खुद थानेदारों ने संभाल लिया है,क्योंकि वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते । ऐसे रिस्की माहौल की वजह से ठेकों के साथ थानों की कमाई भी प्रभावित होने लगी है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।
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-झंवर ने बढ़ाई किसान केसरी की पेरशानी
पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान पैराशूट में सवार होकर सीधे बीकानेर पूर्व सीट के मैदान से उतरे सिनियर झंवर का अबकी इस सीट से पूरी तरह मोह भंग हो गया है और वह अपनी पुस्तैनी नोखा सीट पर चुनावी मोर्चाबंदी मजबूत करने में जुट गये है। जहां उनकी चुनावी सरगर्मियों से नोखा वाले कांग्रेसी किसान केसरी की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे में कांग्रेस के लिये नोखा सीट चुनावों से पहले ही सियासी भंवर में उलझती नजर आ रही है,अब नोखा में अपनी डूबती नैया का बचाने के लिये कांग्रेस सिनियर झंवर को अपनी नैया में सवार करती है तो किसान केसरी को विधायकी के लिये लूणकरणसर या श्रीडूंगरगढ़ की ओर रूख करना पड़ सकता है। मजे कि बात यह है कि इन दोनों ही सीटों पर किसान केसरी के कांग्रेसी कारसेवक पहले से ही तैयार बैठे है,मगर फिलहाल सब खैरियत है।
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-बात-बात पर बिदकने लगे मंत्रीजी
पहले जिप्सम माफियाओं और उसके बाद रॉयल्टी वसूली के मामले को लेकर सुर्खियों में आये उर्जावाले मंत्रीजी की विधायकी इस बार खतरे में है। यह हम नहीं बल्कि अभी हाल ही में कांग्रेसी सर्वे की चुनावी रिपोर्ट बता रही है। इस रिपोर्ट के बाद उजावाले मंत्री अपनी सीट बचाने के लिये उन घर-घरानों में दस्तक देने से भी नहीं चूक रहे,जहां कदम रखना अपनी शान के खिलाफ समझते थे। इधर पार्टी से लेकर सत्ता के गलियारों तक इन मंत्रीजी के कारनामों की कई दिन से चर्चाएं भी खूब चल रही है,इनके कई कारनामें के सबूत भी हाईकमान तक पहुंचाए गए हैं। चुनावों पहले गहरा रहे इन संकटों के कारण मंत्रीजी बात-बात पर बिदकने भी लगे है मगर फिलहाल सब खैरियत है।