बीकानेर।विश्व के सबसे बड़े दार्शानिक सर्वसिद्ध एवं सर्वाभोमिक है। श्री कृष्ण द्वारा दिये गये गीता दर्शन की शिक्षा आज हमारी सरकार द्वारा लागु नई शिक्षा नीति 2020 में भी समावेश की गयी है। ये उदगार कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ पुनीत गोड़ भारतीय वेश्विक कार्य परिषद नई दिल्ली के शोध सदस्य ने ,”विश्व के महान दार्शनिक, मनोवैज्ञानिक एवं समाजशास्त्री का शिक्षा में योगदान नई शिक्षा नीति 2020 के विशेष सन्दर्भ में विषय पर दिनांक को 18 दिसम्बर से आयोजित दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार के समापन सत्र में कही। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ वेद शर्मा , पूर्व विशेषाधिकारी महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर ने अपने उद्बोधान में कहा कि यूनानी,जर्मन, ब्रिटिश,अमेरिकी दर्शनिको में भारतीय दर्शन एक सर्वोच्च दर्शन है जिसे संपूर्ण विश्व स्वीकार कर चुका है। कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री ईश्वर चंद बैद ने जैन दर्शन की सर्वज्ञता प्रकाश डाला।
सेमिनार के सयोंजक डॉ राजेंद्र कुमार श्रीमाली ने संगोष्ठी कि रुपरेखा प्रस्तुत की। मंच से आभार डॉ. मेघना शर्मा, असिस्टेंट प्रोफेसर इतिहास विभाग महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालाय ने ज्ञापित किया ।इस कार्यक्रम में हरियाणा से डॉ. ज्योति बठैजा, पंजाब से कंवरजीत कौर, उत्तरप्रदेश से डॉ. सुनीता गौड़, महाराष्ट्र से नयना मच्छिन्द्र औताड़े, झुंझुंनू से डॉ. राकेश कुमार बुड़ानिया, सीकर से डॉ. मनीषा वर्मा, हनुमानगढ़ से डॉ. शशि मरोलिया, श्रीगंगानगर से डॉ. राजपाल वर्मा, टोंक से डॉ. बी. एस. राणा तथा श्रीमती नीरू भारद्वाज पंजीयक शिक्षा विभागीय परीक्षाएं, राजस्थान सरकार, बीकानेर अपना पत्रवाचन किया।
विदित है कि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय श्री नेहरू शारदा पीठ पी.जी. कॉलेज, गुरूकुल बी. एल. मोहता लर्निंग इंस्टीट्यूट सींथल एवं शुभम् एज्यूकेशन एवं इनफोरमेशन सेन्टर बीकानेर अन्तरराष्ट्रीय सेमिनार के सहयोगी रहे।