बीकानेर से एक केंद्रीय राज्य मंत्री तथा तीन राजस्थान सरकार में मंत्री है। कांग्रेस और भाजपा के ऐसे नेताओं की भी भरमार है जिनका दावा है कि बीकानेर के विकास में उनके होते ही चार चांद लगे है। जब मंत्री, नेता और पार्टियां विकास की उपलब्धियां गिनती है तो चार चांद लग जाते हैं। इसमें एक चांद राजस्थान के एकमात्र आवासीय राजकीय खेल विद्यालय सादुल र्स्पोर्ट्स स्कूल है। इसकी दुर्दशा की तरफ भाजपा नेता डॉ सुरेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखकर ध्यान आकर्षित किया है। यह शिक्षा मंत्री के घर का मामला है। शिक्षा मंत्री और शिक्षा निदेशक की कार्य प्रणाली पर सवाल भी। मुख्यमंत्री से भाजपा नेता को व्यवस्था सुधारने की मांग करनी पड रही है। है ना उपलब्धियां की लम्बी फेहरिस्त पर सवाल ? या नहीं है। शिक्षा मंत्री के पास उचित जवाब भी हो सकता है। वैसे गहलोत सरकार तो खेल प्रेमी है। शायद शिक्षा मंत्री को खेलों से लगाव कम हो सकता है। शिक्षा विभाग का निदेशालय के नाक के नीचे प्रदेश स्तर स्पोर्ट्स स्कूल के हालत के बारे में शेखावत ने मुख्यमंत्री को जो लिखा शायद राजनीति दुर्भावना से लिखा गया होगा ? ऐसी बदतर हालत शिक्षा मंत्री के गृह जिले में स्थित प्रदेश स्तर के विद्यालय की कैसे हो सकती है। फिर योग्य शिक्षा निदेशक गौरव अग्रवाल के रहते? अगर वास्तव में ऐसी हालत है तो विपक्ष के नेता सो रहे थे? केंद्रीय राज्य मंत्री को भी ध्यान तो रखना ही चाहिए कि बीकानेर संसदीय क्षेत्र स्थित इस प्रदेश स्तर के विद्यालय की ये हालत क्यों है! बाकी मंत्री भी विकास के बड़े बड़े गीत गा रहे हैं। यह स्कूल नहीं दिखाई दे रही है ? कोच और तय मानदंडों के अनुरूप स्टाफ नहीं है। बाकी संसाधन तो दूर की कोड़ी लगती है।
शेखावत ने सरकार पर उदासीनता का आरोप लगाया है वो सही है। विपक्ष तो सक्रिय ही है। शेखावत की यह बात सही है कि सादुल स्पोर्ट्स खिलाडियों का मैस भत्ता बढ़ाने , खिलाडियों को मिलने वाली किट मनी खेल परिषद् के छात्रावासों के समान कम से कम 12000/- रूपये प्रति छात्र करने, सभी छात्रवासों में एवं मैस व खेल मैदानो पर पीने के साफ पानी के लिए आर.ओ. तथा वाटर कूलर लगवाने, मैस में खाना बनाने के लिए स्थाई कुक की व्यवस्था करने, विद्यालय में 12 खेलो में खेल उपरकण के लिए बजट राशि 01 लाख रूपये से बढ़ाकर 10 लाख रूपये प्रतिवर्ष करने, विद्यालय में चल रहे 12 खेलों में सख्ती से अच्छे प्रशिक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने ,सभी 12 खेलों के मैदानों की मरम्मत एवं रख-रखाव के लिए अलग से बजट राशि आवंटित करने , विद्यालय में वर्षों से बन्द पडी स्थाई डिस्पेन्सरी को पुनः चालू करने तथा वर्षो से बन्द पड़ें स्विमिंग पुल को पुनः चालू कराने की जरूरत है । अगर मुख्यमंत्री ध्यान नहीं देते हैं तो बिना संसाधनों वाले इस विद्यालय को बन्द क्यों नहीं कर दिया जाए ? खेल के विद्यार्थियों का भविष्य तो खराब नहीं हो। मंत्रियों और नेताओं की उपलब्धियों के बखान में सादुल स्पोर्ट्स स्कूल हमेशा ही सवाल बना रहेगा। जनता समझती तो है ही ध्यान रखना।