वरिष्ठ मीडियाकर्मी एम.आर. सिंघवी की जीवनगाथा को राजेन्द्र सिंह गहलोत ने फिल्मी अंदाज में लिखा। किताब का शीर्षक ‘मैं झुकेगा नहीं ‘ हिट मूवी पुष्पा 2 का डायलॉग है, जो इस किताब के लिए उपयुक्त जान पड़ता है।

गहलोत ने भूमिका में लिखा है कि राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सिंघवी भारतीय सूचना सेवा में चयनित होकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के विभिन्न विभागों तथा आकाशवाणी और दूरदर्शन में संचार की बागडोर संभालने वाले मीडियाकर्मी हैं। आज सिंघवी 87 वर्ष के हो चुके हैं, शरीर अस्वस्थ है, बहुत कुछ उनके जीवन वृत्तांत की बातें उनसे की, लेकिन वह हांफ जाते हैं, बहुत कुछ उनके बताने के बावजूद शेष रह जाता है जो उनकी आंखों में नज़र आता है। सिंघवी की स्मृतियों के चंद टुकड़ों और स्वपन का दस्तावेज है राजेन्द्र सिंह गहलोत द्वारा लिखित पुस्तक ‘मैं झुकेगा नहीं ‘।

मात्र 4 वर्ष की उम्र में सिंघवी पोलियोंग्रस्त हो गये थे, मेडिकली अनफिट होने के कारण अंततः उनकी मंजिल मीडिया ही बना।

आकाशवाणी और दूरदर्शन में समाचार संपादक के पद पर काम करने के दौरान सिंघवी पर कई दबाव और प्रलोभन आए लेकिन उनका एक ही ध्येय रहा ‘मैं झुकेगा नहीं ‘।

इस प्रकार राजेन्द्र सिंह गहलोत ने इस किताब को अभिनंदन ग्रंथ नहीं बनने दिया और पूर्व में चर्चित अपनी किताबों की तरह ही इस किताब को भी अपना टच दे दिया कि ‘मैं झुकेगा नहीं’।