Narendra Singh Tomar

OmExpress News / New Delhi / किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार को थोड़ी राहत मिली है। कई राज्यों में किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले कम से कम 10 संगठनों ने सोमवार को तीन नए कृषि कानूनों के समर्थन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर मुलाकात की। 10 किसान संगठनों की यह मुलाकात उस समय हुई जब दिन में यूनाइटेड फॉर्मर फ्रंट के 40 नेता आज एक दिन के लिए भूख हड़ताल पर बैठे थे।  (10 Farmer Unions Supports)

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तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और बिहार से आए अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के सदस्य

बता दें कि पिछले एक पखवाड़े में यह किसानों का चौथा समूह है जिन्होंने कानून का समर्थन किया है। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा जैसे विभिन्न राज्यों के 10 संगठनों ने केंद्रीय कृषि मंत्री को एक ज्ञापन सौंपा। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के सदस्य तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और बिहार से आए थे।

उन्होंने कृषि कानून के समर्थन में एक पत्र सौंपा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए ऐसा किया है और वे इसका स्वागत और समर्थन करते हैं। इससे पहले दिन में कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसान नेताओं के साथ अगले दौर की बातचीत के लिए तारीख तय करने की कोशिश में जुटी हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी समय चर्चा के लिए तैयार है और अगली बैठक कब होनी चाहिए किसान नेताओं को निर्णय लेना और बताना है। बैठक निश्चित रूप से होगी।

कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री को सौंपा पत्र

एक दिन पहले रविवार को भी उत्तराखंड के 100 से अधिक किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने कृषि कानूनों को अपना समर्थन दिया था। इससे लहले हरियाणा के 29 किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को कृषि मंत्री से मुलाकात कर नए कानून को समर्थन की बात कही थी। भारतीय किसान यूनियन (मान) हरियाणा राज्य के नेता गुणी प्रकाश के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंड कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र सौंपा।

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प्रदर्शनकारी किसानों की 40 यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ सरकार की बातचीत की अगुवाई तोमर कर रहे हैं। इसमें उनके साथ केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग तथा खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री सोम प्रकाश शामिल हैं। केंद्र और किसान नेताओं के बीच अब तक हुई पांच दौर की वार्ताएं बेनतीजा रही हैं।

सरकार ने किसान संघों को एक मसौदा प्रस्ताव उनके विचारार्थ भेजा है, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को जारी रखने का लिखित आश्वासन भी है, लेकिन किसान यूनियनों ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है और कानूनों को निरस्त करने की मांग की है।