जयपुर। कर्नाटक में आचार्य काम कुमार नंदी महाराज की निर्मम हत्या, पद विहार के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में हो रही साधुओं की हत्या, जैन तीर्थ स्थलों पर हो रहे कब्जों एवं जैन मंदिरों में हो रही चोरियों सहित विभिन्न मांगों को लेकर सकल जैन समाज भारतवर्ष में एकजुट हो गया है। देशभर में पिछले 11 दिनों से मौन जुलूस, विरोध प्रदर्शन कर सरकार से संतो और मंदिरों की सुरक्षा की मांग कर रहे है किंतु किसी सरकार के आजतक कानों पर जू तक नही रेंगी। गुरुवार को सकल जैन समाज, भारतवर्ष ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर रखने का आह्वान किया है। राजधानी जयपुर, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, भीलवाड़ा, अजमेर, जोधपुर, पाली, कोटा, टोंक सहित दिल्ली, यूपी, एमपी, महाराष्ट्र, बिहार, उत्तराखंड, हरियाणा सहित विभिन्न राज्यों में भी सकल जैन समाज एकजुट होकर अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद कर विरोध दर्ज करवाएगा।

-जयपुर में सुबह 9 बजे भट्टारक जी की नसियां में जुटेंगे समाज बंधु,- राज्यपाल, मुख्यमंत्री और कलेक्टर को देगे ज्ञापन

राजधानी में श्री महावीर जी प्रबंध समिति, मुनि संघ व्यवस्था समिति, राजस्थान जैन सभा, राजस्थान जैन युवा महासभा, जयपुर जैन सभा, अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवा एकता संघ सहित विभिन्न संगठनों ने 20 जुलाई को बंद का आह्वान किया है और गुरुवार को सभी समाज बंधु नारायण सिंह सर्किल स्थित भट्टारक जी की नसियां में सुबह 9 बजे एकजुट होगे। यहां से राज्यपाल, मुख्यमंत्री और कलेक्टर को ज्ञापन देने जायेगे और अपनी मांग रखेगे।

आचार्य सौरभ सागर ने कहा ” संत सुरक्षित रहेंगे, संस्कार और संस्कृति की गंगा बहती रहेगी “

प्रताप नगर में चतुर्मासरत आचार्य सौरभ सागर महाराज ने कहा की ” गुरुवार को बंद का आह्वान करना समाज की अपनी व्यवस्था, जिसे प्रत्येक समाज बंधुओ को एकजुटता के साथ पालन करना चाहिए। साधु, तीर्थ, मंदिर अगर सुरक्षित रहेंगे तो धर्म सुरक्षित रहेगा और धर्म सुरक्षित रहेगा तो संस्कार और संस्कृति सुरक्षित रहेगी। संस्कार और संस्कृति सुरक्षित रहेगी तो इसकी गंगा बहती रहेगी जो इस देश की प्रमुख पहचान है।

-आचार्य नवीननंदी ने कहा ” साधु, संतो, पुजारियों की सुरक्षा से पीछे क्यों हट रही है सरकारें “*

बरकत नगर में चातुर्मास कर रहे आचार्य नवीन नंदी महाराज ने कहा ” किसी संत की समाधी होने और हत्या होने में बहुत फर्क है। संत की समाधी होती है तो जैन धर्म में कहा गया है उन्हे उच्च स्थान की प्राप्ति हो गई, किंतु जब हत्या होती है तो वह हत्या कहलाती है। आचार्य काम कुमार नंदी महाराज बहुत सरल साधु थे, ना कोई राग, ना द्वेष केवल ईश्वर की कामना करते थे और मोक्ष मार्ग की साधना में लीन रहते थे। ऐसे संत की हत्या कर दी गई, किंतु प्रश्न केवल काम कुमार नंदी महाराज नही बल्कि प्रश्न यह है की साधुओं के साथ ऐसा व्यवहार कब तक होता रहेगा ?, जो भारत सनातन संस्कृति, धर्म और अहिंसा के लिए जाना जाता है उस भारत देश में साधु सुरक्षित क्यों नही है ? साधुओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी जितनी समाज की है उतनी ही जिम्मेदारी सरकार की भी है, समाज अपनी जिम्मेदारी निभा रहा किंतु सरकार इस विषय से क्यों दूर भाग रही है ?

यहां केवल जैन साधुओं के सुरक्षा की बात नही है, समुदाय कोई भी हो साधु केवल साधु होता है, प्रत्येक साधु अपने धर्मानुसार ही साधु व्रत का पालन करता है और धर्म का प्रचार-प्रसार करता है, सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है धर्म के प्रचारकों को सुरक्षा प्रदान की जाए।

-समाज की मांगों से पीछे क्यों हट रही है सरकारें

अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवा एकता संघ ने कहा की विगत पिछले काफी वर्षो से अहिंसक संतो और मंदिरों की सुरक्षा की मांग कर रहा है। किंतु कोई भी सरकार समाज की मांगों को लागू करना तो दूर चर्चा तक करने से पीछे हट रही है, लोकतंत्र में सबको सामान अधिकार दिए हुए है उसके बावजूद सरकारों द्वारा बात ना सुनी जाना, सुरक्षा प्रदान नही किया जाना लोकतंत्र का अपमान है। इन्ही बातों को ध्यान में रखकर सकल जैन समाज भारतवर्ष ने 20 जुलाई को भारत बंद का आह्वान किया है जिसमें संपूर्ण जैन समाज शामिल होगा और अपने बिजनेश, दुकान, ऑफिस आदि सभी प्रतिष्ठान बंद रखेगा और नौकरीपेशा नागरिक अवकाश रखकर अपना विरोध दर्ज करवाएंगे।

-समाज की मांगे

अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की जैन समाज अपनी मांगों को लेकर विभिन्न मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री व राज्यपाल से मुलाकात कर चुके है। किंतु आजतक कोई समाधान निकलकर नही आया। यही कारण है की 20 जुलाई को सकल जैन समाज एकबार फिर से सड़कों पर उतर रहा और अपनी मांगे रख रहा है –

1-पदविहार के दौरान साधु, संतो, आर्यिका माताजी को सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए।

2-जैन श्रमण संस्कृति बोर्ड का गठन किसी कार्यकाल में किया जाए।

3-जैन तीर्थो, मंदिरों, धर्मशालाओं में हो रही चोरियों के खिलाफ तत्काल ” जैन संस्कार बोर्ड ” का गठन किया जाए।

4- अल्पसंख्यक जैन समुदाय को ” जैन छात्रावास ” के लिए प्रत्येक जिलों में जमीन उपलब्ध करवाई जाए।

5-पद विहार करने वाले प्रत्येक साधुओं के रात्रि विश्राम को लेकर प्रत्येक बीस किलोमीटर ” सामुदायिक विश्राम स्थल ” बनाएं जाए।