बीकानेर। मुक्ति संस्था बीकानेर के तत्वावधान में राजस्थानी भाषा के युवा साहित्यकार अरविंद सिंह आशिया के राजस्थानी उपन्यास सिंझ्या का लोकार्पण रविवार को स्थानीय बीकानेर व्यापार उद्योग मण्डल के सभागार में किया गया। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ श्री लाल मोहता ने की तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा थे तथा कार्यक्रम के मुख्य वक्ता केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य “आशावादी “थे।
प्रारंभ में संयोजकीय व्यक्तव्य देते हुए कवि कथाकार एवं मुक्ति संस्था के सचिव राजेन्द्र जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा में बराबर लेखन हो रहा है परन्तु अभी भी उपन्यास विधा में और अधिक लेखन की जरूरत है। जोशी ने कहा कि भारतीय भाषाओँ के बराबर राजस्थानी भाषा का कद निरन्तर बढ़ता जा रहा है। जोशी ने कहा कि सिंझ्या इस उतरार्द्ध को उकेरता हुआ उपन्यास है जो अपने आसपास उगी घटनाओं को लेकर आगे बढ़ता है।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ श्री लाल मोहता ने कहा कि अरविंद सिंह आशिया का राजस्थानी उपन्यास सिंझ्या लोक की रचना है उन्होंने कहा कि लेखक ने छोटे छोटे वाक्यों से सिंझ्या को पठनीय बना दिया है, मोहता ने कहा कि उपन्यास की बुनावट और शिल्प बेजोड़ है।
लोकार्पण समारोह के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि आशिया का उपन्यास आधुनिक युगबोध का एक सामाजिक उपन्यास है, जिसमें स्त्री के अस्तित्व और नियति पर सवाल उठाए गए हैं। इस उपन्यास की पृष्ठभूमि एक गांव है, लेकिन यह गाँव राजस्थानी के अब तक के लिखे उपन्यासों से अलग है, जिससे यह उपन्यास महवपूर्ण भी है।
लोकार्पण समारोह के मुख्य वक्ता केन्द्रीय साहित्य अकादमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ने कहा कि समाज के बदलाव, परिवार का सिकुडऩा जैसे महत्वपूर्ण विषयों को बखूबी उकेरा है। आचार्य ने कहा कि नारी के संतोष का मनोविज्ञान। मानसिक व हार्मोन्स बदलाव से व्यवहार गत परिवर्तन को भी बताया गया है।
उपन्यास के लेखक अरविंदसिंह आशिया ने कहा कि राजस्थान में स्त्री की दशा अभी भी चिंतनीय है …ख़ासकर विधवा का जीवन व उसका उतरार्द्ध दयनीय ही होता है। स्त्री को जितनी भी सहायताएँ दी जाती है वे उसकी मनोस्थिति की आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाती है और उसका स्त्री होना ही समाज स्वीकार्य नहीं करता है और वहीं कई प्रश्न खड़े हो जाते है।
कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ नमामी शंकर आचार्य ने स्वागत दिया लेखक का परिचय हरीश बी शर्मा ने पढ़ा तथा अन्त में आभार नदीम अहमद नदीम ने स्वीकार किया।
कार्यक्रम में सोहनदान चारण , डॉ सुचित्रा कश्यप , मीठेश निर्मोही , डॉ अजय जोशी, इरशाद अजीज, डॉ नीरज दइया, नवनीत पाण्डे,कमल रंगा नगेन्द्र किराड़ू, अमित असित गोस्वामी, प्रमोद शर्मा, आत्मा राम भाटी, संग्राम सिंह सोढा, कासिम बीकानेरी उपस्थित रहे।