OmExpress News / बीकानेर / भागवत में स्वयं भगवान भागवत करते हैं। ब्रम्हा जी से नारद जी ने भागवत सुनी, नारदजी से व्यासजी महाराज सुनते हैं, व्यास जी से सुखदेव जी सुनते हैं, सुखदेव जी से परीक्षितजी सुनते हैं। इस प्रकार से भागवत रूपी अमृत फल धरती पर अवतरित होता है। यह यूं ही नहीं अवतरित हो जाती है। भगवान ने मनुष्य पर बड़ी कृपा करके ही इसे पृथ्वी पर भेजा है। Bhagwat Katha Kshamaram Maharaj
इसलिए इसका श्रवण कर अपने जीवन को परमात्मा की अराधना में और सेवा में लगाना चाहिए। यह विचार श्रीश्री 1008 सींथल पीठाधीश्वर महंत क्षमारामजी महाराज ने व्यक्त किए। सर्व पितृ कल्याणार्थ गोपेश्वर महादेव मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा वाचन करते हुए क्षमारामजी महाराज ने सुखदेव जी का प्रसंग सुनाते हुए उनके द्वारा भगवान शंकर के श्रीमुख से अमर विद्या श्रीमद्भागवत की प्राप्ती का विस्तृत वृतांत बताया ।
महाराज ने धर्म के मर्म को समझाते हुए कहा कि व्यक्ति को सौ काम छोड़कर पहले भोजन करना चाहिए,हजार काम छोड़कर स्नान करना चाहिए, पवित्र तो हों और लाख काम छोड़कर के दान पुण्य करना चाहिए और करोड़ काम छोड़ करके भगवान का स्मरण करना चाहिए। क्षमाराम जी ने कहा कि आज व्यक्ति धर्म से दूर होता जा रहा है। वह यह समझ नहीं पा रहा है कि उसके जीवन की मुक्ति का मार्ग इसी धर्म में छुपा है। लेकिन कलयुग में सब नियम अस्त-व्यस्त हो गए हैं। आज मनुष्य जीवन के नियम कायदों को भूल सा गया है।
सुबह से लेकर देर रात तक सांसारिक मोह-माया में उलझा है। भगवान का स्मरण करना तो भूल ही गया है। महाराज जी ने भगवान के लीलाओं की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान का अवतार जनता के कल्याण के लिए होता है। भगवान की लीलाऐं ऐसी होती हैं जिन्हं कितना ही सुन लो दिल भरता ही नहीं है। उनका तो आप जितना स्मरण करोगे आप को ‘दिने-दिने, नवम-नवम अर्थात दिनों दिन नया ही लगेगा।
जीवन दर्शन पर व्याख्यान देते हुए क्षमारामजी महाराज ने कहा कि जो आदमी जेसा आचरण करता नहीं है और वैसा उपदेश देता है वह नरक में जाता है, उसकी बड़ी दुर्दशा होती है। महाराज ने कहा कि यह अविद्या है। उन्होंने कहा कि शास्त्रअनुसार स्त्री को अपने पति का और पति को अपनी पत्नी का नाम लेकर नहीं बुलाना चाहिए तथा शिष्य को गुुरु के प्रति श्रद्धालु होना चाहिए जो अपनी भक्ति से उनकी गूढ़ बात को भी खींच ले। Bhagwat Katha Kshamaram Maharaj
डॉ. बीडी कल्ला का किया सम्मान
कथा का श्रवण करने पहुंचे राज्य सरकार के ऊर्जा, जलदाय, कला-साहित्य, संस्कृति व पुरातन मंत्री डॉ. बीडी कल्ला का सम्मान श्रीमद् भागवत समिति की ओर से किया गया। सींथल पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 श्री महन्त क्षमारामजी महाराज ने उन्हें दुपट्टा पहनाकर एवं प्रतीक चिन्ह स्वरूप तस्वीर प्रदान की।
भक्तों की भीड़ से खचाखच भरा पण्डाल
गोपेश्वर महादेव मंदिर में चल रही पन्द्रह दिवसीय सर्व पितृ कल्याणार्थ श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन ही पण्डाल में कथा श्रवण करने वालों की होड़ रही। महिलाओं व पुरुषों की भारी भीड़ से पण्डाल खचाखच भर गया। आयोजनकर्ता श्रीमद् भागवत कथा समिति के गोपाल अग्रवाल ने बताया कि भक्तों के बैठने के लिए अतिरिक्त टैण्ट लगाया गया है। साथ ही भीषण गर्मी को देखते हुए शीतल जल एवं कूलर पंखों का विशेष प्रबंध किया गया है। Bhagwat Katha Kshamaram Maharaj