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हाईब्रिड मामले में अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले सचिन पायलट के फॉलोवर्स बढ़े, आमजन के बीच भी पायलट की छवि में आया निखार वहीं विपक्ष भी कर रहा है सराहना
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✍🏼तिलक माथुर
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के कप्तान व राज्य के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने जिस तरह राजस्थान सरकार द्वारा निकाय चुनाव में लिए गए हाईब्रिड के एक तरफा निर्णय को सिरे से नकारते हुए अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है। पायलट के गहलोत सरकार के इस फैसले पर दिए गए सार्वजनिक बयान से कांग्रेस दो धड़ों में बंटी नजर आ रही है। इसे लेकर लोग तरह-तरह के कयास व अटकलें लगाने लगे हैं कोई कुछ कह रहा है तो कोई कुछ ! लोग तो यहां तक कह रहे हैं कि राज्य की कांग्रेस सरकार में अपनी ही पार्टी के लोगों की ओर से उठ रहे विरोध के स्वर गहलोत सरकार पर संकट के बादल मंडराने के संकेत दे रहे हैं।
गहलोत सरकार के मंत्री और उपमुख्यमंत्री सरकार के निकाय चुनाव में हाईब्रिड निर्णय के खिलाफ हो गए हैं। यह सर्वविदित है कि जिस घर में झगड़ा हो वहां बंटवारा होना शुरू हो जाता है, यहां भी कुछ इसी तरह का माजरा दिखाई दे रहा है। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने हाईब्रिड मामले में अपनी ही सरकार को घेरते हुए जिस तरह दबंगई बयान दिए हैं उससे उनके फ़ॉलोअर्स बढ़ गए हैं, वहीं आमजन में भी पायलट की छवि में औऱ निखार आया है साथ ही विपक्ष भी उनकी कार्यशैली की प्रशंसा कर रहा है। पायलट पूर्व में भी राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर सरकार को घेर चुके हैं, तब भी विपक्ष ने इसे खूब भुनाया था। राज्य के ताज़ा राजनीतिक घटनाक्रम के बाद अब विपक्ष का दावा है कि राजस्थान में कांग्रेस दो धड़ो में बंट गई है। पीसीसी चीफ पायलट का यूं अपनी ही सरकार के फैसले के खिलाफ मुखर होना तरह-तरह की चर्चाओं को जन्म दे रहा है।
चर्चा तो यह जोरों पर है कि राज्य में विधानसभा उपचुनाव के परिणाम के बाद कुछ नया व बड़ा होने वाला है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस की राजनीति में दिवाली बाद बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। खैर पायलट के बारे लोग चाहे जो अटकलें लगाएं मगर पायलट की एक खास बात ये है कि वे कभी किसी से विश्वासघात नहीं करते, मगर यह भी तय है कि विश्वासघात करने वाले को बख्शते भी नहीं ! राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जबसे राहुल गांधी के स्थान पर सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनी हैं गहलोत गुट पायलट पर जरा हावी होने लगा है, हालांकि इससे पायलट की सेहत पर फर्क पड़ने वाला नहीं बल्कि यूं कहें कि इन दिनों पायलट का आमजन के बीच विश्वास बढ़ा है, भाजपा के नेता भी पायलट का ग्राफ बढ़ाने में उनको इनडायरेक्ट रूप से सपोर्ट कर रहे हैं तभी तो इन दिनों यह चर्चा चल पड़ी है कि पायलट भाजपा की पसन्द बनते जा रहे हैं, कुछ लोग तो इसे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पार्ट ऑफ पॉलटिक्स तक बता रहे हैं मगर ये सब कयास ही लगते हैं, पायलट के बारे में ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है। सर्वविदित है कि पायलट की नसों में कांग्रेस का खून प्रवाहित है।
उनके पिता स्व. राजेश पायलट ने भी कांग्रेस को ऊंचाई तक पहुंचाने में विशेष भूमिका निभाई थी, उसी प्रकार सचिन पायलट ने भी राजस्थान में निर्जीव पड़ी कांग्रेस को संजीवनी बूटी दी जिसकी बदौलत आज कांग्रेस के नेता यहां सत्ता का सुख भोग रहे हैं। ये वही पायलट हैं जिन्होंने पीसीसी चीफ रहते हुए पिछले 5 सालों में अपनी कठोर मेहनत से मृत हो चुकी कांग्रेस में जान फूंकी थी। यह उन्हीं की मेहनत का नतीजा है कि आज राजस्थान में कांग्रेस सत्ता में है। ताजा हालात के अनुसार कांग्रेस के कुछ नेता जिस तरह उन्हें बर्फ में लगाने की सोच रहे हैं मानो वे अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मारने का प्लान कर रहे हैं, कहा जा रहा है कि अगर उन्हें दरकिनार करने की कोशिश की गई तो इसका अंजाम कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है ! यह बात पक्की है कि अगर पायलट को किसी षड़यंत्र के तहत क्रेश करने की कोशिश की गई तो कांग्रेस को इसका बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा ! जिस तरह से उन्हें इग्नोर किया जा रहा है उससे उन्हें कोई नुकसान नहीं है बल्कि यूं कहा जा सकता है कि पिछले महीनों में पायलट के लगातार बढ़ रहे फ़ॉलोअर्स में काफी इजाफा हुआ है। कुछ बुद्धिजीवियों का कहना है कि उन्हें कम आंकना कांग्रेस की बहुत बड़ी भूल होगी। उनका कहना है कि पायलट केवल सरकार की गलत नीतियों का विरोध कर रहे हैं, उन्हें बगावत की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। कुल मिलाकर पक्ष-विपक्ष के नेताओं की निगाह इन दिनों सचिन पायलट पर टिकी है, उनकी हर गतिविधि को नोट किया जा रहा, ताजा हालातों को दृष्टिगत रखते हुए यह कहा जा सकता है कि कुछ नया और बड़ा होने वाला है !