'स्ट्रीट टू स्कूल’ अभियान : प्रत्येक चिकित्सक करेगा एक-एक बच्ची की देखरेख
'स्ट्रीट टू स्कूल’ अभियान : प्रत्येक चिकित्सक करेगा एक-एक बच्ची की देखरेख
‘स्ट्रीट टू स्कूल’ अभियान : प्रत्येक चिकित्सक करेगा एक-एक बच्ची की देखरेख

बीकानेर । झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले विद्यार्थियों को स्कूल भेजने के लिए जिले में नवाचार के रूप में चलाए जा रहे ‘स्ट्रीट टू स्कूल’ अभियान के लिए शनिवार का दिन बेहद महत्वपूर्ण रहा। जिला कलक्टर आरती डोगरा की मौजूदगी में सीएमएचओ सभाकक्ष में आयोजित बैठक में शहर के निजी चिकित्सकों ने अभियान के तहत विभिन्न स्कूलों में पढ़ने वाली बच्चियों की देखरेख का बीड़ा उठाया। सभाकक्ष में मौजूद लगभग पचास चिकित्सकों ने कलक्टर के प्रस्ताव पर एकस्वर में सहमति व्यक्त की और बच्चों को स्टेशनरी, पौशाक एवं अन्य आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के अलावा उनके परिजनों को बच्चियों को खूब पढ़ाने के लिए मॉटिवेट करने का जिम्मा भी लिया।
जिला कलक्टर ने बताया कि भिक्षावृति में संलग्न और झुग्गी-झोंपड़ियो मे रहने वाले गरीब और असहाय बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए राज्य भर में पहली बार ऐसा अभियान संचालित किया जा रहा है। अभियान के तहत झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले 30 बच्चों को शहर की विभिन्न स्कूलों में दाखिल करवाया गया है। ये सभी सरकारी स्कूलें हैं और बच्चों के घर के आस-पास स्थित हैं। उन्होंने बताया कि दाखिले से पूर्व बाल अधिकारिता विभाग, बाल संरक्षण इकाई और चाइल्ड लाइन द्वारा इन क्षेत्रों का संयुक्त सर्वे करवाया गया था। सर्वे के दौरान चिन्ह्ति बच्चों में से 30 बच्चों को पहले चरण में स्कूलों में भेजा गया है। इनमें से बीस बच्चियां हैं। उन्होंने कहा कि बाल अधिकारिता विभाग के अधिकारी इन बच्चों की उपस्थिति का नियमित फीडबैक ले रहे हैं तथा यदि किसी दिन कोई बच्चा नहीं आ पाता है तो उसके परिजनों को समझाइश कर रहे हैं। अभियान के आगामी चरणों में भी बच्चियों को दाखिला दिया जाएगा। इन सभी बच्चियों को शहर में संचालित निजी सोनोलॉजिस्ट संचालकों द्वारा जोड़ा जाएगा।
उनकी लगन से प्रभावित हुई
जिला कलक्टर ने कहा कि शुक्रवार को उन्होंने ‘स्ट्रीट टू स्कूल’ अभियान के तहत आइजीएनपी कॉलोनी की स्कूल जाने वाले बच्चों से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान उनकी लगन और पढ़ाई के जज्बे से मैं स्वयं प्रभावित हुई। उन्होंने कहा कि बच्चे गिनती और पहाड़े बोल रहे हैं। उनका हैंडराइटिंग भी सुधरी है। उन्होंने कहा कि लगभग पंद्रह दिनों में बच्चों की यह लगन सराहनीय है। यदि इन बच्चों को पढ़ाई से नियमित जोड़े रखा तो उनका भविष्य भी सुनहरा हो सकेगा। उन्होंने अभियान को सामाजिक सरोकारों से जुड़ा बताया और चिकित्सकों से इसमें सहयोग करने की अपील की।
प्रत्येक चिकित्सक करेगा एक-एक बच्ची की देखरेख
जिला कलक्टर ने बताया कि प्रत्येक सोनोलॉजिस्ट को एक-एक बच्ची के देखरेख की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसकी सूची पीसीपीएनडीटी समन्वयक द्वारा आगामी एक सप्ताह में तैयार कर ली जाएगी तथा प्रत्येक चिकित्सक को इससे अवगत करवा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके तहत वर्ष में दो बार कार्यक्रम आयोजित होंगे। सत्रा प्रारम्भ होने से पहले अप्रेल में तथा सत्रा के मध्य में अक्टूबर माह में फॉलोअप कार्यक्रम होगा। बैठक के दौरान चिकित्सकों ने जिला कलक्टर के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करते हुए, अभियान को शीघ्र शुरू करने का विश्वास दिलाया। उन्होंने कहा कि बच्चियों की देखरेख के अलावा उनके परिजनों को बच्चियों को नियमित रूप से पढ़ाने के लिए मॉटिवेट भी करेंगे।
लिंग चयन पर लगे प्रभावी अंकुश
डोगरा ने इस अवसर पर कहा कि लिंग चयन पर प्रभावी अंकुश लगे, यह सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि निजी सोनोग्राफी केन्द्रों में टोल फ्री नंबर 104 का सघन प्रचार-प्रसार किया जाए। इसके लिए प्रत्येक सोनोग्राफी केन्द्र में दृश्य स्थान पर निर्धारित आकार के बोर्ड पर टोल फ्री नंबर अंकित करवाने होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा अब इसे मुखबिर योजना से भी जोड़ दिया गया है। कन्या भू्रण हत्या या लिंग जांच की सूचना देने वाले का नाम गुप्त रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि समस्त निजी चिकित्सक एवं चिकित्सा केन्द्रों की प्रेस्किप्सन स्लिप पर ‘कन्या लिंग परीक्षण करवाना जघन्य अपराध है तथा इसकी शिकायत टोल फ्री नंबर 104 पर करवाई जा सकती है’ पिं्रट करवाना होगा। उन्होंने कहा कि सभी पंजीकृत संस्थान यह सुनिश्चित करें कि सोनोग्राफी मशीन पर लगे एक्टिव डिवाइस ऑनलाइन रहे।
डीएचएस की बैठक आयोजित
जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक शनिवार को जिला कलक्टर की अध्यक्षता में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सभाकक्ष में आयोजित हुई। बैठक के दौरान परिवार कल्याण, टीकाकरण एवं संस्थागत प्रसव सहित विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों की समीक्षा की गई। इस अवसर पर डोगरा ने कहा कि जिन योजनाओं की प्रगति लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुई है, उसमें और अधिक गति लाई जाए तथा कहा कि इसमें किसी प्रकार की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी। यदि ऐसा होता है तो संबंधित चिकित्साधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक स्थानों पर परिवार कल्याण के शिविर लगाए जाएं तथा वित्तीय वर्ष के अंत तक प्रगति की साप्ताहिक रिपोर्ट उपलब्ध करवाने के लिए निर्देशित किया। उन्होंने मां कार्यक्रम और स्वाइन फ्लू सहित विभिन्न बिंदुओं पर विचार विमर्श किया।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ देवेन्द्र चौधरी सहित विभिन्न ब्लॉक सीएमएचओ, सीएचसी और पीएससी प्रभारी, निजी सोनोलॉजिस्ट एवं पीसीपीएनडीटी समन्वयक महेन्द्र सिंह चारण आदि मौजूद थे।