देश में खाद्य तेल खौल रहा है | इसकी आंच सीधी गरीब की थाली को लग रही है | पिछले एक महीने में पाम तेल के दाम करीब १४ प्रतिशत बढ़ चुके हैं। देश में सोयाबीन की फसल खराब होने और रबी सीजन की तिलहन फसल आने में करीब दो महीने विलंब से लगभग सभी खाद्य तेलों का महंगा होना निश्चित माना जा रहा है। नागरिकता संशोधन कानून तथा कश्मीर मामले पर मलेशिया की टिप्पणी के बाद सरकार ने रिफाइंड पाम तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाया है। घरेलू बाजार में बीते दिनों पाम तेल की कीमत बढ़कर ८९० रुपये प्रति १० किलो पर पहुंच गई। देश के गरीब की इसी तेल पर गुजर बसर होती है | पिछले एक महीने में रिफाइंड पाम तेल के भाव १३.७ प्रतिशत, तीन महीने में ४० प्रतिशत और अक्टूबर से अब तक करीब ४३ प्रतिशत बढ़ चुके हैं। पाम तेल के साथ दूसरे खाद्य तेलों के दाम भी तेजी से बढ़े हैं। पिछले एक महीने में मूंगफली तेल ९.२ प्रतिशत बढ़कर ११३० रुपये प्रति १० किलो, सूरजमूखी तेल १०.४ प्रतिशत बढ़कर ९२५ रुपये प्रति १० किलो, सोयाबीन तेल ९.६ प्रतिशत बढ़कर ९१० रुपये प्रति १० किलो और सरसों तेल करीब ९ प्रतिशत बढ़कर ९८० रुपये प्रति १० किलो पहुंच गए हैं।  देश के समस्त वर्ग पर इसका प्रभाव होगा, वैसे शीत ऋतु में तेल की खपत ज्यादा होती है | दरों के बढने और आयत प्रतिबंध का विपरीत असर होगा | सरकार को अपनी नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए |


एक सरकरी सूचना के अनुसार विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) के मुताबिक रिफाइंड ब्लीच्ड डिओडोराइज्ड पाम तेल और रिफाइंड ब्लीच्ड डिओडोराइज्ड पामोलिन तेल की आयात नीति में संशोधन किया गया है। अब इन तेलों के आयात को मुक्त श्रेणी से हटाकर प्रतिबंधित श्रेणी में रखा दिया गया है। इसका अर्थ यह है कि इन तेलों के आयात के लिए अब आयातकों को सरकार से अनुमति लेनी होगी अथवा इसके लिए लाइसेंस लेना होगा।बाज़ार और सरकारी अधिकारियों का अनुमान है कि देश में हर साल डेढ़ करोड़ टन तक खाद्य तेलों का आयात किया जाता है जिसमें सबसे अधिक मात्रा पाम तेल की है। इंडोनेशिया और मलेशिया से सबसे ज्यादा ९० लाख टन पाम तेल का आयात किया जाता है, जबकि शेष६० लाख टन सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का आयात किया जाता है। कारोबारियों के अनुसार ३० प्रतिशत पाम तेल का आयात मलेशिया से जबकि ७० प्रतिशत का आयात इंडोनेशिया से होता है। निर्यात के कारण भारत में उत्पादित खाद्य तेल विदेश जा रहा है और देश में भाव बढ़ रहे हैं | इस पर फ़ौरन नियन्त्रण जरूरत है |


पाम तेल आयात पर प्रतिबंध के अलावा घरेलू कारण भी खाद्य तेलों में तेजी आएगी ऐसा बाज़ार का अनुमान हैं, जो सही भी है । चालू फसल सीजन में भारी बारिश से सोयाबीन की १५-३० प्रतिशत फसल बरबाद होने की सूचनाये है जिसका असर उत्पादन पर पड़ेगा। कमोडिटी फर्मों की रिपोर्ट के मुताबिक सोयाबीन उत्पादक प्रमुख राज्य मध्य प्रदेश में इस साल ८५ लाख टन सोयाबीन के उत्पादन होने का अनुमान है, जबकि पिछले साल १०० लाख टन से अधिक उत्पादन हुआ था। मांग बढऩे और आयात प्रतिबंध के कारण इंदौर में सोयाबीन की कीमतें चार साल के ऊपरी स्तर पर चल रही हैं। रबी सीजन की प्रमुख तिलहन फसल सरसों की बाजार में आपूर्ति फिलहाल कम है। हालांकि कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू रबी सीजन में तिलहन फसलों का रकबा पिछले साल से कुछ अधिक हो चुका है। चालू सीजन में तिलहन फसलों का रकबा ७५.७२ लाख हेक्टेयर हो चुका है जबकि पिछले साल इस समय तक ७५.७१ लाख हेक्टेयर था। कारोबारियों के मुताबिक ठंड के मौसम में मांग के मुताबिक आपूर्ति कम होने से कीमतें बढऩे के आसार हैं। प्रतिबंध पर उद्योग जगत का कहना है कि इससे उनकी रिफाइंड क्षमता का इस्तेमाल बढ़ेगा। इससे रोजगार के अवसर बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इसके विपरीत गरीब की थाली महंगी होगी | इस पर भी ध्यान देना जरूरी है |