जोधपुर /आज रविवार को एक तरफ तो मुख्यमंत्री जोधपुर में उद्घाटन के फीते काट रहे होंगे तो वहीं दूसरी तरफ उनके द्वारा नियुक्त कुलपति, कुलसचिव व मनोनीत सिंडिकेट सदस्य व विधायक घोटाले के लिफाफे खोल रहे होंगे।

– जिनको करना था बर्खास्त, उनको दे रहे हैं पदोन्नति

जोधपुर : जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर में पिछली कॉंग्रेस सरकार के समय हुआ “जेएनवीयू शिक्षक भर्ती महाघोटाला, वर्ष 2012-13” की आग अभी ठण्डी भी नहीं हुई और वापस एक बार फिर कॉंग्रेस सरकार की सरपरस्ती में इसी घोटाला में चयनित शिक्षकों को पदोन्नति देकर सीएएस-पदोन्नति घोटाला कर रहे है।

सरकार की सरपरस्ती में इसलिए क्योंकि पिछले कुछ दिनों से इस घोटाले को रोकने हेतु हर स्तर पर पत्र भेजें, ईमेल्स की, जिम्मेदार व्यक्तियों के व्यक्तिगत वाट्सअप नम्बर पर पूरा मामला भेजा और उनसे फोन पर बात भी की। (कुलपति, कुलसचिव, सिंडिकेट सदस्य, उच्च शिक्षा विभाग, वित्त विभाग, मुख्यमंत्री निवास, राजभवन इत्यादि) बावजूद इसके यह घोटाला हो रहा है। अतः इसे सरकार की मौन-स्वीकृति ही माना जाना चाहिए।

जेएनवीयू शिक्षक भर्ती महाघोटाला में चयनित कई शिक्षक व उनके रिश्तेदार तो स्वयं को मुख्यमंत्री से कम भी नहीं आंकते हैं। यह सही भी प्रतीत होता हैं क्योंकि वो ताल ठोककर जो अनुचित कार्य करवाने की बात करते हैं, वो हो भी जाता हैं।

दुःख इस बात पर भी होता हैं कि पिछले कुछ वर्षों से जेएनवीयू का जो भी कुलपति बना है, उसने विश्वविद्यालय को गहरे गर्त में ही धकेला हैं। और यह परम्परा बदस्तूर जारी है।

सीएएस-पदोन्नति घोटाले के प्रमुख तथ्य-
(1) जो शिक्षक भर्ती के समय अपने मूल पद पर योग्य नहीं था तो फिर वो अब पदोन्नति के लिए कैसे योग्य हो गया?

(2) राजभवन के 15 जून 2018 व राज्य सरकार के जुलाई 2018 के आदेशों से जिस सम्पूर्ण शिक्षक भर्ती को निरस्त करना था। उन शिक्षकों को पदोन्नति देकर बेवजह राजकोष को करोड़ो रूपये की हानि क्यों पहुँचाई जा रही हैं?

(3) जब पूरा प्रकरण एसीबी व माननीय हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो फिर जल्दबाजी में पदोन्नति क्यों दी जा रही हैं?

(4) विवि प्रशासन किन रसूखदारों के दबाव में पी0के0 दशोरा जांच कमेटी की रिपोर्ट को अब तक सिंडिकेट के समक्ष नहीं रख पाया?

(5) कुलपति रामपाल सिंह के समय पदोन्नति हेतु इन शिक्षकों के आवेदनों की स्क्रूटनी की गई थी। उसमें ये सब अयोग्य पाए गए थे तो फिर अब ये योग्य कैसे हो गए?

(6) इंटरव्यू खत्म होते होते ही रविवार को ही तुरन्त लिफाफे खोलने के लिए अर्जेन्ट सिंडिकेट बैठक बुलाने की जल्दबाजी बेवजह क्यों दिखाई जा रही हैं?

(7) वर्ष 2008 में नियुक्त स्थायी शिक्षकों की पदोन्नति रोककर, वर्ष 2012-13 घोटाला में नियुक्त व वर्तमान में अस्थायी शिक्षकों को पदोन्नति क्यों दी जा रही हैं?

(8) जब अधिकांश विभागाध्यक्ष इस पदोन्नति के पक्ष में नहीं है तो फिर जानबूझकर घोटाला की पदोन्नति क्यों कर रहे हैं?

मुख्यमंत्री की चुप्पी क्यों…?
विवि तथा कोंग्रेसी हलकों में चर्चा हैं कि इस महाघोटाला में मुख्यमंत्री के ब्लड-रिलेशन वाले रिश्तेदार लगे हुए हैं, इसीलिए उनको बचाने के लिए मुख्यमंत्री ने चुप्पी साध रखी है। पूरा मामला उनकी जानकारी में हैं, फिर भी वो चुप्प हैं। ये चुप्पी भविष्य में जेएनवीयू के लिए बेहद घातक साबित होगी।

भाजपा व कॉंग्रेस सरकार में अंतर–
पिछली भाजपा सरकार में कुलपति रामपालसिंह के समय भर्ती घोटाला हो रहा था। इस घोटाले की भनक विवि सिंडिकेट में मनोनीत सदस्य व विधायक अर्जुन गर्ग व पब्बाराम विश्नोई को लगी तो उन्होंने कुलपति व भर्ती घोटाला के खिलाफ सर्किट हाउस में प्रेस-कॉन्फ्रेंस करके इसका विरोध किया था और राज्य सरकार से उक्त भर्ती घोटाला को रोकने की मांग की थी। बात तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तक पहुंची तो उन्होंने भी कुलपति को भर्ती रोकने को कहा। कुलपति रामपाल सिंह ने बात नहीं मानी और भूगोल व संगीत में 5 जनों को नियुक्ति दे दी थी। इससे राज्य सरकार खफ़ा हुई और पूरी भर्ती प्रक्रिया पर ही रोक लगा दी, जो आज दिनाँक तक जारी है।

ऐसा माद्दा वर्तमान कोंग्रेसी विधायकों (सिंडिकेट सदस्य) में नहीं दिखता है। और ना ही मुख्यमंत्री में।

अगर सिंडिकेट बैठक में पदोन्नति घोटाला के ये लिफाफे खोलकर अयोग्य शिक्षकों को पदोन्नति दे दी जाती हैं तो यह तो तय है कि इस सरकार में पिछले कार्यकाल से ज्यादा ही विवि में घोटाले होने वाले हैं।

यह सब बेहद दुःखद हैं कि जोधपुर की जनता मौन होकर देख भी रही हैं और सहन भी कर रही हैं। फिर तो इस अपणायत वाले शहर में ऐसे घोटाले होने ही है।