– :डॉ सचिन बांठिया :-

निश्चित तौर पर कोरोना के ख़िलाफ़ वैश्विक लड़ाई में डॉक्टर के योगदान को कोई नकार नहीं सकता लेकिन लड़ाई के महारथी के साथ साथ सारथी का ज़िक्र करना भी ज़रूरी है. सारथी के रूप में कोरोना महामारी में रेडियोलाजिस्ट भी शूरवीर बनकर उभरे हैं।रेडियोलाजिस्ट की रिपोर्ट के बिना आधुनिक चिकित्सा प्रणाली बेहतर मानवीय और चिकित्सीय सेवाएं देने में सक्षम नहीं है।रेडियोलाजिस्ट ही वो प्रथम योद्धा हैं जो चिकित्सा के क्षेत्र और कोरोना जैसी महामारी में डॉक्टरों और मरीजों दोनों को सही और तेजी से इलाज करने में मदद कर रहे हैं जिससे डॉक्टर रोगों का सही निदान खोज पाते हैं। सकारात्मक दृष्टिकोण, सेवा में समर्पण, कुशल तकनीकी कौशल, धाराप्रवाह संचार कौशल जैसे गुणों में निपूर्ण बीकानेर के सभी रेडियोलाजिस्ट एक टीम भावना के साथ कोरोना को हराने में जुटें हैं।

किसी भी मरीज़ की सोनोग्राफ़ी बिना मरीज़ को छुए सम्भव नहीं है , साथ ही इस जाँच में डॉक्टर एवं मरीज़ का फ़ेस- टू- फ़ेस सम्पर्क 7 से 10 मिनट तक रहता है । कोरोना जेसी महामारी में जहाँ लोग एक दूसरे को दूर से भी हाय हेलो कहने में कतराते हैं, इन सब के बावजूद सभी रेडियोलाजिस्ट निस्वार्थ भाव से पूरे मनोयोग एवं जज़्बे के साथ अपने काम में जुटे हैं। ऐसा कहना है पीबीएम अस्पताल के रेडीआलॉजिस्ट डॉक्टर सचिन बाँठिया का , जो वर्तमान में सहायक आचार्य के पद पर अपनी सेवाये दे रहें हैं ।

बीकानेर के उपनगर गंगाशहर के रहने वाले डॉक्टर सचिन बाँठिया बताते हैं कि इस महामारी में रेज़िडेंट डाक्टर्ज़ के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने से ना सिर्फ़ उनकी हौसला अफ़्जाई होती है , बल्कि उन्हें मानसिक संबल भी मिलता है ।

ख़तरा हर क़दम पर है । ज़रूरत है तो थोड़ी सावधानी की एवं विशेसज्ञो द्वारा मुहैया कराए गए प्रोटोकोल से काम करने की । मुंबई , पुणे , इंदौर जेसे बड़ों महानगरों में जहाँ कई रेडीआलॉजिस्ट इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं , ऐसे समय में सिर्फ़ विशेसज्ञो द्वारा सुझाए गए प्रोटोकोल से काम करके ही इस संक्रमण से बचा जा सकता है ।
लॉकडाउन का एवं सोशल डिस्टन्सिंग के नियमो का कड़ाई से पालन करें । जल्द ही भारत इस वैश्विक महामारी पर पूर्ण सफलता प्राप्त करेगा ।

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