

✔लंदन ( ओम एक्सप्रेस )
वैज्ञानिकों ने सूरज (Sun) को लेकर एक नई जानकारी दी है. वैज्ञानिकों के मुताबिक सूरज भी लॉकडाउन में चला गया है। इसकी वजह से भीषण ठंड, भूकंप और सूखे की आशंका जताई जा रही है।
सूरज के लॉकडाउन में जाने के पीरियड को वैज्ञानिक सोलर मिनिमम का नाम देते हैं। इस दौरान सूरज की सतह पर एक्टिविटी हैरतअंगेज तरीके से कम हो जाती है। एक्सपर्ट बता रहे हैं कि हम उस दौर में जा रहे हैं, जहां सूरज की किरणों में भयानक मंदी देखने को मिलेगी। ये रिकॉर्ड स्तर की मंदी होगी, जिसमें सनस्पॉट बिल्कुल गायब हो जाएगा।


द सन की एक रिपोर्ट के मुताबिक एस्ट्रोनॉमर डॉ टोनी फिलीप्स ने कहा है कि हम सोलर मिनिमम की ओर जा रहे हैं और इस बार ये काफी गहरा रहने वाला है। उन्होंने कहा है कि सनस्पॉट बता रहे हैं कि पिछली सदियों की तुलना में ये दौर ज्यादा गहरा रहने वाला है।
इस दौरान सूरज का मैग्नेटिक फील्ड काफी कमजोरो हो जाएगा, जिसकी वजह से सोलर सिस्टम में ज्यादा कॉस्मिक रे आ जाएंगे।
टोनी फिलीप्स ने कहा है कि ज्यादा मात्रा में कॉस्मिक रे एस्ट्रोनॉट्स के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक हैं। ये पृथ्वी के ऊपरी वातावरण के इलेक्ट्रो केमिस्ट्री को प्रभावित करेंगे। इसकी वजह से बिजलियां कड़केंगी।
नासा के वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है कि ये डाल्टन मिनिमम जैसा हो सकता है। डाल्टन मिनिमम 1790 से 1830 के बीच में आया था। इस दौरान भीषण ठंड पड़ी थी, फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था, सूखा और भयावह ज्वालामुखी फूटे थे।
इस दौरान 20 वर्षों में तापामान 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया। इसकी वजह से दुनिया के सामने अन्न का संकट पैदा हो गया था।


10 अप्रैल 1815 को 2000 वर्षों में दूसरा सबसे ज्यादा ज्वालामुखी फूटे। इंडोनेशिया में इसकी वजह से करीब 71 हजार लोग मारे गए। इसी तरह से 1816 में गर्मी पड़ी ही नहीं। इस साल को 1800 और ठंड से मौत का नाम दिया गया। इस दौरान जुलाई महीने में बर्फ गिरी।
इस साल सूरज ब्लैंक रहा है और इस दौरान 76 फीसदी वक्त में सन स्पॉट नहीं दिखा है। पिछले साल 77 फीसदी ब्लैंक था।
