हाल ही में ब्रिटेन की एक अदालत ने रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी को २१ दिनों के अंदर तीन चीनी बैंकों को लगभग ७१.७ करोड़ डॉलर (करीब ५४.४८ करोड़ रु) का भुगतान करने का निर्देश दिया है। अनिल अंबानी पर चीनी बैंकों का कर्ज है। कोरोना वायरस को देखते हुए लागू की गई प्रोसेस के तहत सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति निगेल टीयर ने लंदन में इंग्लैंड और वेल्स के उच्च न्यायालय के वाणिज्यिक प्रभाग में फैसला सुनाया और कहा कि अंबानी द्वारा विवादित निजी गारंटी उनके लिए बाध्यकारी है। अदालत ने जारी किए गए आदेश में कहा कि “यह घोषित किया जाता है कि गारंटी प्रतिवादी (अंबानी) के लिए बाध्यकारी है। साथ ही उन्हें बैंकों को ये रकम चुकाने का आदेश दिया गया।“
अम्बानी का पक्ष है जहां तक ब्रिटेन की अदालत के फैसले का सवाल है तो भारत में किसी भी तरह से इसके बाध्यकारी होने का सवाल निकट भविष्य में नहीं उठता। मामले में इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ़ चाइना लिमिटेड, मुंबई ब्रांच, चाइना डेवलपमेंट बैंक और एक्ज़िम बैंक ऑफ़ चाइना शामिल है। जानकारी के लिए बता दें कि फरवरी में जज डेविड वाक्समैन ने मामले में सुनवाई पूरी होने तक ६ हफ्तों में १० करोड़ डॉलर के भुगतान का निर्देश दिया था।
फरवरी में मामले की सुनवाई के दौरान यूके की अदालत में अनिल अंबानी कहा था कि उनकी संपत्ति ‘शून्य’ है। उन्होंने कोर्ट के सामने ये भी माना था कि वे दिवालिया हैं। उन्होंने कहा था कि शेयरहोल्डिंग का वर्तमान मूल्य और देनदारियों को ध्यान में रखते हुए मेरी संपत्ति शून्य है। हालांकि फोर्ब्स के मुताबिक एक समय २००८ में ४२ अरब डॉलर के साथ अनिल अंबानी दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे। मगर १२ सालों बाद अदालत में गरीबी का हवाला देते हुए उन्होंने दावा किया कि उनके पास कोई संपत्ति नहीं है।
दूसरी और बड़े भाई मुकेश अम्बानी की सस्ती कॉल दर और डाटा के जरिये घरेलू टेलीकॉम क्षेत्र पर कब्जा जमाने के उद्देश्य से निगाहें अब ई-कॉमर्स क्षेत्र पर टिकी हैं। उन्होंने देश में सबसे ज्यादा ग्राहक संख्या वाली अमेजन को टक्कर देने के लिए विशेष रणनीति बनाई है। मुकेश अंबानी ने छोटी-छोटी करीब २६ कंपनियों में हिस्सेदारी खरीद अपनी रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है।इनमे चीनी कम्पनी भी हैं ।
दरअसल, मुकेश अंबानी ने यह दांव अमेजन के मालिक जेफ बेजोस के तर्ज पर ही चला है। बेजोस ने भी अपने कारोबार विस्तार के लिए पिछले दो दशक में ७५ से ज्यादा छोटी-छोटी कंपनियां खरीदी या उनमें निवेश किया और दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बनाई।
अंबानी भी दो वर्षों में १७.४१ हजार करोड़ का निवेश इस क्षेत्र में कर चुके हैं। ब्लूमबर्ग इंटेलीजेंस का कहना है कि ये डील देखने में भले ही छोटी रही हों, लेकिन एकसाथ मिलकर इनसे काफी प्रतिभाशाली टीम बनाई जा सकती है, जो किसी उत्पाद को बड़ा प्लेटफॉर्म दे सकते हैं। रेटिंग एजेंसी मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, वर्ष २०२८ तक भारत का ई-कॉमर्स बाजार करीब सात गुना बढ़कर १४ लाख करोड़ का हो जाएगा।