-सवालों के घेरे में वाहन चालक सह मालिक रविन्द्र कुमार साह

-कार्रवाई के हिम्मत क्यों नहीं उठा रहीं प्रशासन

बिहार(सुपौल)- ओम एक्सप्रेस ब्यूरों-गोलीबारी के शिकार एक दवा व्यापारी को ही हाजत में बंद कर छोड़ने के एवज में 15 हजार रुपये लिए जाने शेष 10 हजार को लेकर सुबह आने के मामले में तो बीते रविवार देर रात एसपी मनोज कुमार ने जिले के त्रिवेणीगंज थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार को निलंबित तो कर दिया।

लेकिन इस पूरे मामले में दवा व्यवसायी के साथ मारपीट करने और रुपये के लेनदेन में शामिल निजी वाहन चालक रविन्द्र कुमार साह और उनके साथ सीसीटीवी फुटेज में दिख रहें व्यक्ति के विरुद्ध अबतक भ्रष्टाचार अधिनियम के तहद केस दर्ज नहीं हुआ है। जो बड़ा सवाल खड़ा करता है। इससे लोगों में चर्चा यह हैं कि आखिर लेनदेन में शामिल वाहन चालक सह मालिक पर वरीय पदाधिकारी द्वारा क्यों नहीं एक्शन लिया जा रहा हैं। हालांकि एसपी ने मामले की जांच की जिम्मा एसडीपीओ को दी हैं, लेकिन जानकारों के मानें तो एसडीपीओ निजी वाहन के मालिक रविन्द्र साह पर कलम चलाने की हिम्मत नहीं उठा रहीं हैं, क्योंकि ये वहीं चर्चित रविन्द्र साह हैं जिसे निवर्तमान एसपी मृत्युंजय कुमार चौधरी ने विभिन्न आरोपों के मद्देनजर ऑनर सह ड्राइवर रविन्द्र साह को थाना से हटा दिया था, लेकिन निर्वतमान एसपी की ट्रांसफर होते ही पुनः रविन्द्र साह का आगमन थाना में हो गया और निलंबित थानाध्यक्ष का खासमखास में शुमार हो गया था। हालांकि निलंबित थानाध्यक्ष के खासमखास भाड़े पर अपना वाहन चलाने वाले मालिक सह ड्राइवर रविन्द्र साह का विवाद से चोली दामन का सबंध हैं। अब देखना दिलचस्प हैं कि सीसीटीवी फुटेज में दिख रहें ड्राइवर व तीसरे व्यक्ति के विरुद्ध क्या कार्रवाई होता है।जानकारों के मानें तो निलंबन तो विभागीय प्रक्रिया हैं , लेकिन यह कृत्य अपराध को क्षेणी में आता हैं। मामले में संलिप्त लोगों के विरुद्ध प्रिभेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहद केस दर्ज होनी चाहिए, ताकि ऐसे अनैतिक कार्यो में लिप्त अधिकारी को सबब मिल सकें।