बीकानेर ।जाम्भाणी साहित्य में पर्यावरण और प्रकृति को बचाने और सहजने का अनमोल खजाना छुपा हुआ है जरूरत है उस खजाने की ओर आमजन को आकर्षित करने की , अगर प्रकृति रूपी खजाना बचा रहेगा तभी मनुष्य इस धरा पर चैन की सांस ले पायेगा। ये बात जाम्भाणी साहित्य अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ बनवारी लाल साहू ने जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर की और से आयोजित किये जा रहे पंच दिवसीय जाम्भाणी काव्योत्सव के दूसरे दिन आयोजित अखिल भारतीय बिश्नोई कवि सम्मेलन में शिरकत करते हुए अपने उदगार व्यक्त करते हुए कही।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गंगानगर के सुप्रसिद्ध कवि सुरेन्द सुंदरम ने बताया कि कविता ही सच्चे अर्थों में मनुष्य को आत्मबल प्रदान करती है एक अच्छे कवि होने के लिए आदमी को तपना पड़ता है तभी उसकी वास्तविक रचना में निखार आ सकता है।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रसिद्ध हास्य कवि कृष्ण काकड़ ने कहा कि मनुष्य को अपने अंदर के कवि को हमेशा जाग्रत रखना चाइये , अगर मन जाग्रत होगा तो मनुष्य बड़ी से बड़ी विपदा से भी आसानी से पार पा सकता है। विशिष्ठ अतिथि के रूप में अपने उदगार व्यक्त करते हुए व्याख्याता श्री रंगलाल जी ने पूरी महफ़िल को आनंदित कर दिया।
जाम्भाणी साहित्य अकादमी, बीकानेर के प्रैस संयोजक पृथ्वीसिंह बैनीवाल ने बताया कि सम्मेलन में हरियाणा के हिसार से कवि बनवारीलाल ईशरवाल, पृथ्वीसिंह धतरवाल, अशोक बिश्नोई मुरादाबाद के साथ साथ जोधपुर राजस्थानी युवा कवि चंद्रभान ने भी काव्योत्सव में खूब रंग जमाया।
राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य व़िद्वान एवं कार्यक्रम संचालन करते शंकरलाल जी कड़वासरा ने कहा ऐसे कार्यक्रम अत्यंत लाभदायक होते हैं। ये कार्यक्रम निरंतर होते रहने चाहिए। इनमें सम्पूर्ण भारतवर्ष से शामिल कवियों और साहित्कारों के ऐसे कार्यक्रमो के आयोजन से युवा पीढ़ी को असीम ऊर्जा और गहन के साथ प्रेरणा का भी संचार होता है।
अंत मे इस पूरे कार्यक्रम के संयोजक डॉ कृष्णलाल बिश्नोई और डॉ हरिराम बिश्नोई ने सभी वक्ताओं और श्रोताओं का आभार प्रकट किया। तकनीकी संचालन डॉ लालचंद बिश्नोई और विकास बैनीवाल ने किया।