आचार्य तुलसी पुण्यतिथि : सामूहिक जप, शोभायात्रा का आयोजन

 

बीकानेर । साधना संयम से मिलती है और संयम अणुव्रत से मिलता है। यह बात आचार्य तुलसी की 20वीं पूण्यतिथि के अवसर पर आयोजित भावांजलि समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि भगवानसिंह रोलसाबसर ने कही। कार्यक्रम का शुभारम्भ सामुहिक जप से मुनि पीयुष कुमार ने करवाया। यह समारोह नैतिकता का शक्तिपीठ पर अणुव्रत मंच पर आयोजित किया गया। समारोह में देशभर से आए श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि साधुओं को संगठित रूप से चलाने का क्षेय आचार्य तुलसी को है जो कुषल प्रशासक एंव अनुशास्ता थे। उन्होंने कहा कि अच्छा जीवन जीने के लिए बहिर्मुखी नहीं अन्तर्मुखी होने चाहिए।
समारोह को सान्निध्य प्रदान कर रहे मुनिश्री राजकरण जी ने कहा कि उन्होने तीन आचार्यों की उपासना की है तथा गुरूदेव तुलसी के महाप्राण की स्मृतियों से अवगत कराते हुए कहा कि तुलसी महान प्रतापी आचार्य थे जिनको अनुकूल परिस्थितियां प्राप्त हुईु।
पं. विजयषंकर मेहता आज फिर भावांजलि देने शक्तिपीठ पहूंचे और कहा कि देष की आजादी के वक्त देष की नब्ज पर जिन लोगों ने हाथ रखा तुलसी उनमें से एक थे। उन्होने कहा कि आचार्य तुलसी ने अणुव्रत की स्थापना करके धर्म को नया रूप दिया। उन्होंने अणुव्रत को जागरण आन्दोलन की संज्ञा देते हुए कहा कि आचार्य तुलसी दूरदृष्टा थे।
समारोह को संबोधित करते हुए साध्वी श्री प्रबलयश जी ने आचार्य तलुसी को सत्यम् षिवम्, सुन्दर कहा। उन्होंने कहा कि जैसे सूर्य अस्त होने से पहले अपना साथ तेज अग्नि को समर्पित कर देता है वैसे ही गुरूदेव अपनी सारी शक्ति महाप्रज्ञ जी को सौंप गये। साध्वी श्री लज्जावती ने कहा कि गुरूदेव तुलसी तेरापंथ के आचार्य नहीं होते तो आज तेरापंथ इतिहास कुछ और होता। साध्वी मृदुला कुमारी ने कहा कि तुलसी ने तेरापंथ धर्म को विष्व तक पहूंचाकर इतिहास रचा। उन्होंने कहा कि तुलसी ने जैन धर्म को जन धर्म बना दिया। साध्वी डॉ.परमयशा जी ने कहा कि कोई उन्हे अमीर कहता था कोई उन्हे फकीर कहता था पर यह राष्ट्र उन्हे युग की तकदीर कहता था।
बहुश्रुत साध्वी श्री कनकश्री जी ने कहा कि गुरूदेव को अद्भुत प्रतिभा का धनी बताते हुए उन्हे व्यक्तित्व, कृतित्व व नेतृत्व सभी के बीच में आज अमर स्मारक के रूप में विद्यमान है। आचार्य तुलसी के पारिवारिक पृष्ठभूमी से जुडे राजेन्द्र खरेड़ ने उन्हें पुण्यात्मा व दिव्यात्मा कहते हुए अपने आपको सौभाग्यषाली बताया एवं सबके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।
मुनिश्री गिरीष कुमार जी ने कहा कि गुरूदेव ने व्यक्ति को योग्यता व गुणों के अनुसार परखा। उन्होंने कहा कि अनके वृहद हस्त आज भी सभी के सर पर है। मुनिश्री मुनिव्रत जी ने कहा कि गुरूदेव ने अणुव्रत का कार्यक्रम देष व्यापी व विदेष व्यापी बनाया। आचार्य तुलसी शान्ति प्र्रतिष्ठाान के कोषाध्यक्ष जतनलाल दूगड़ ने आचार्य तुलसी के विसर्जन की व्याख्या करते हु कहा कि सभी विसर्जनकर्ताओं का आभार ज्ञापित किया। स्वागत भाषण अध्यक्ष अनूपचन्द बोथरा ने किया तथा तेरापंथ महासभा अध्यक्ष किसन डागलिया, जैन विष्वभारती के मंत्री अरिविन्द गोठी, स्वागताध्यक्ष मदनलाल तातेड, सवाई सिंह पोकरणा, तेरापंथ प्रोफेषनल फोर्म के अध्यक्ष सलील लोडा, विजय कोचर, रमेष जी बोहरा, इत्यादि वक्ताओं ने भी अपनी भावांजलि अर्पित करते गुरूदेव को महान आचार्य बताया जिन्होंने समाज सुधार की भुमिका अदा की।
अखण्ड जप- आज प्रात: छतीस कौम के व्यक्तियों ने ऊँ तुलसी, जय तुलसी का जप प्रात: 6 से सायं 6 बजे तक किया तथा उपवास, सामायिक, पौषध सैकड़ो की संख्या में किया गया।
शोभायात्रा – गुरूदेव तुलसी के जीवन वृत वं उनके अवदानों से सम्बन्धित सजीव झांकियों के साथ तेरापंथ भवन से प्रात: शोभायात्रा प्रारम्भ हुई जो शांतिनिकेतन, मुख्य बाजार, इन्द्राचौक, बोथरा चौक, महाप्रज्ञ चौक, अणुव्रत मार्ग होती हुई नैतिकता का शक्तिपीठ पहंुची। हजारों लोगो ने “जब तक सुरज चांद रहेगा तुलसी तेरा नाम रहेगा” के नारे लगा रहे थे। शोभायात्रा में तेरापंथ कन्या मंडल, किषोर मंडल, ज्ञानषाला के छात्र, युवक परिषद, अनुव्रत समिति, महिला मंडल, तेरापंथ सभा गंगाषहर बीकानेर, भीनासर की सक्रिय भुमिका रही तथा बाहर से आए सभी यात्री भी शोभायात्रा में शामिल हुए।
पदयात्रा – अणुव्रत समिति बीकानेर के अध्यक्ष इन्द्रचंद सेठिया के नेतृत्व में व्यास कॉलोनी, सादुलगंज व उदासर से पद यात्री शक्तिपीठ पहुंचे जहां जैन पताका पहनाकर जतनलाल दूगड़ ने सभी यात्रीयों का स्वागत किया।
जैन अध्यात्म प्रदर्षनी – प्रज्ञा नौलखा एवं तेरापंथ कन्या मंडलों के द्वारा समाधि पर लगायी गई जैन अध्यात्म प्रदर्षनी का लोकार्पण मांगीलाल छाजेड, भरत दूगड व चम्पालाल चौपड़ा द्वारा किया गया इस अवसर पर भगवान सिंह रोल साहब सर एवं पं. विजय शंकर मेहता का सान्निध्य रहा। प्रदर्षनी में मुनिश्री पियुष कुमार एवं मुनिश्री विनीत कुमार के निर्देषन में तैयार किया गया जिसमें मोना सरदार डूडी एवं उनकी टीम का अभिन्दन किया गया। इसमें विनीत बोथरा एवं कन्हैयालाल रामुरिया का सहयोग रहा।
जैन कन्या महाविद्यालय – आचार्य तुलसी ने नारी षिक्षा पर बल दीया अतत् आचार्य तुलसी की 20वीं पुण्यतिथि की अमर यादगार बानाए रखने के लिए आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान ने जैन पाठषाला सभा द्वारा संचालित जैन कन्या महाविद्यालय में एक विंग का निर्माण “आचार्य तुलसी महाप्रज्ञ-महाश्रमण” भवन के नाम से करवाने की घोषणा की जिसमें तेरापंथ सभा बीकानेर का भी सहयोग रहेगा। इस घोषणा पर पाठषाला अध्यक्ष विजय कोचर ने आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठाान के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि हजारों कन्याओं के षिक्षण का कार्य होगा।
इस समारोह में विभिन्न शहरों एवं गांवों से आए यात्री, पदयात्रा, बसों से कारो के माध्यम से होटल पहुंचे। यात्रियों के आवास की व्यवस्था मिलेनियम, हंषा गेस्ट हाऊस, डागा गेस्ट हाऊस, आषीर्वाद भवन व तेरापंथ भवन में की गई। गंगाषहर, बीकानेर भीनासर से श्रज्ञालुओं के आने-जाने के लिए गाडियों की व्यवस्था की गई। अतिथिदेवो भवः की बीकानेर संस्कृति निभाते हुए अतिथियों के सात्विक एवं स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था डी.सी.भुरा, जतन दूगड़ व गणेष बोथरा ने संभाली।
सम्मान समारोह – आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान ने सभी अर्थ सहयोग करने वाले भामाषाहो को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
महाप्राण भक्ति संध्या – महाप्राण गाया प्रतियोगिता में प्रथम तीन स्थान पर गौरव सामसुखा, सुरतगढ़, पुरा सारस्वत बीकानेर, कोमल पुगलिया रही। समारोह का संचालन जैन लूणकरण छाजेड़ ने कीया।