ओम पुरोहित ‘कागद’ का जन्म 5 जुलाई 1957 को श्रीगंगानगर के केसरीसिंहपुर में हुआ था। उन्होंने एक चित्रकला-शिक्षक के रूप में राजस्थान शिक्षा विभाग में सेवाएं करते हुए शैक्षिक प्रकोष्ठ अधिकारी तक का सफर किया। वे हनुमानगढ़ के जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक शिक्षा कार्यलय में सेवारत थे। उनको राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर, राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर के अलवा अनेक मान सम्मान और पुरस्कार मिले। वे उदयपुर और बीकानेर अकादमी में सदस्य के रूप में जुड़े रहे और लंबे समय तक अकादमी की पत्रिका “जागती जोत” का संपादन भी किया। राजस्थानी भाषा मान्यता अनंदोलन के साथ ही साक्षरता एवं सतत शिक्षा के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान रहा। हिंदी और राजस्थानी के अनेक पुस्तकों प्रकाशित हुई जिनमें प्रमुख है- बात तो ही, आंख भर चितराम, थिरकती है तृष्णा, आदमी नहीं है आदि। राजस्थानी भाषा विमर्श पर उनकी पुस्तक मायड़ भाषा बेहद चर्चित रही और इसी वर्ष उनकी सुरंगी संस्कृति बहुप्रतीक्षित पुस्तक का प्रकाशान हुआ था। ओम पुरोहित कागद ने राजस्थानी के अप्रकाशित कवियों की कविताओं को पुस्तकार करने का महत्त्वपूर्ण कार्य “थार सप्तक” के माध्यम से किया जिसके सात खंड़ों में 49 कवियों की कविताओं का संपादन प्रकाशन आपने कर ऐतिहासिक कार्य किया।
उनके निधन पर बुलाकी शर्मा, मधु आचार्य ‘आशावादी’, राजेन्द्र जोशी, नवनीत पाण्डे, नीरज दइया, हरीश बी. शर्मा आदि साहित्यकारों ने शोक प्रगट किया है।