जयपुर: राजस्थान में मंत्री पद और राजनीतिक नियुक्तियों का सपना देख रहे कांग्रेस के नेताओं की बेचैनी लगातार बढ़ती जा रही है. पहले पंचायत चुनाव की अधिसूचना और फिर पार्टी आलाकमान के विदेश दौरे की वजह से हाल फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का मामला लटक गया है. ऐसे में दिसंबर से पहले इन नेताओं के लिए अच्छी न्यूज़ आने की कोई संभावना नहीं है.

– राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे कांग्रेस के विधायकों और नेताओं की उम्मीदों पर पानी फिर गया है

– राजस्थान में हाल-फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने जा रही हैं._

– पंचायत चुनाव की अधिसूचना के चलते रुकी मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीति नीतियों की कवायद दिसंबर से पहले होने की संभावना नहीं है.

फिलहाल कांग्रेस पार्टी आलाकमान सोनिया गांधी और राहुल गांधी विदेश में है, ऐसे में उनके लौटने के बाद ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह दिल्ली जाकर उनसे मुलाकात करेंगे. उसके बाद ही कोई संभावना बन सकती है.

– मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों के डिले होने के पीछे एक बड़ी वजह अभी तक अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और सचिन पायलट कैंप के बीच नामों को लेकर सहमति नहीं बन पाई है.

अजय माकन ने प्रदेश के दौरे को लेकर आलाकमान को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें राजस्थान कांग्रेस में गुटबाजी की बात साफ तौर पर सामने आई है. ऐसे में दोनों कैंप के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए बनाई गई कोआर्डिनेशन कमेटी के नेताओं ने अपनी एक्सरसाइज शुरू कर दी है.

– जानिए क्या है सचिन पायलट की मंशा

कोआर्डिनेशन कमेटी के समक्ष मंत्रिमंडल विस्तार में और राजनीतिक नियुक्तियों में दोनों ही कैंप के नेताओं का उचित समायोजन एक बड़ी चुनौती होगी. पायलट कैंप के नेताओं के मुताबिक सचिन पायलट की मंशा है कि मंत्रिमंडल विस्तार में वह ना केवल अपने कैंप के नेताओं की फिर से बहाली करवाए बल्कि साथ खड़े नेताओं को भी मंत्रिमंडल और राजनीतिक नियुक्तियों में उचित जगह भी दिलाए. इसके साथ-साथ पायलट की कोशिश रहेगी कि राजस्थान में सरकार बनने के समय उन्होंने जिन नेताओं को मंत्री पद दिलाया था और समय आने पर वे उनके साथ खड़े नहीं दिखाई दिए, उनकी मंत्री पद से छुट्टी भी करवाई जाए._

-दरअसल, आलाकमान के समक्ष बड़ी चुनौती होगी किन नेताओं को मंत्री पद और राजनीतिक नियुक्तियों में जगह दी जाए.

अशोक गहलोत की सरकार बचाने वाले सभी नेता किसी ने किसी बड़ी जिम्मेदारी की उम्मीद पाले हुए हैं. ना केवल कांग्रेस के विधायक बल्कि बसपा से आए छह विधायकों के अलावा 10 निर्दलीय विधायक भी बड़ी भूमिका के सपने देख रहे हैं.

-सचिन पायलट की वापसी ने सारे समीकरण बदले

दरअसल, सचिन पायलट गुट के सरकार से बगावत करने के बाद आए सियासी संकट के बीच विधानसभा में बहुमत परीक्षण के दौरान बहुमत साबित के बाद ही मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की कवायद शुरू हो गई थी. मंत्रिमंडल फेरबदल को लेकर सीएम गहलोत की केंद्रीय नेताओं के साथ चर्चा भी हो चुकी थी. सरकार बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले निर्दलीय, बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों को मंत्रिमंडल के साथ-साथ संसदीय सचिव और राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट करने की बात कही जा रही थी. लेकिन सचिन पायलट की वापसी ने सारे समीकरण बदल दिए हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि कांग्रेस के सियासी घमासान के दौरान बड़े बंदी में मंत्री पद और राजनीतिक नियुक्तियों का सपना देख चुके कांग्रेस के नेताओं के लिए इंतजार अभी लंबा होने वाला है.