जयपुर।शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य पद दायित्व और गरिमा के साथ ग्राम पंचायत स्तर का सर्वोच्च पद है अधिकांश प्रधानाचार्य पंचायत प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी के रूप में भी दायित्व निर्वहन कर रहे हैं इस पद पर पदोन्नति वर्तमान में व्याख्याता स्कूली शिक्षा और प्रधानाध्यापक माध्यमिक विद्यालय पद से 67:33 के अनुपात से होती है, यह अनुपात वर्तमान में विवादास्पद और शिक्षा अधिकारियों में टकराव का कारण बना हुआ है इस अनुपात के समर्थन में राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद के बैनर तले 1 से 5 मार्च तक जयपुर में न्याय धरना दिया गया जिसमें हजारों प्रधानाध्यापक और उच्च अधिकारियों ने भाग लिया तथा मुख्य सचिव राजस्थान सरकार के आश्वासन पर धरना समाप्त किया गया था पुनः मंगलवार से प्रधानाध्यापकों ने वर्तमान पदोन्नति अनुपात यथावत रखने की मांग करते हुए कलेक्ट्रेट सर्किल जयपुर में गांधीवादी राह पर चलते हुए अनिश्चितकालीन सत्याग्रह व आमरण अनशन शुरू किया है जिसमें कई महिला प्रधानाध्यापक छोटे बच्चों को लेकर भी शामिल हो रही है ।
राजस्थान शिक्षा सेवा परिषद रेसा के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण गोदारा ने बताया कि संगठन विशेष द्वारा सरकार पर संख्या बल के आधार पर दबाव बनाया जा रहा है जिसके प्रतिकार स्वरूप रेसा ने भी सत्याग्रह व आमरण अनशन की राह चुनी है । इन शिक्षा अधिकारियों की मांग है कि वर्तमान पदोन्नति अनुपात को यथावत रखा जाए और प्रधानाचार्य पद पर पदोन्नति लीनियर चैनल के माध्यम से करके इस विवाद का स्थाई समाधान किया जाए । अगर सरकार अनुपात परिवर्तन करती है तो यह प्रधानाध्यापक सेवा हितों पर कुठाराघात होगा और इसके विरोध में प्रधानाध्यापक आमरण अनशन पर बैठे रहेंगे ।