बीकानेर। पश्चिमी राजस्थान में जल संकट इस कदर बढ़ गया है कि यहां के दस जिलों में पानी पर सशस्त्र पहरा लगा दिया गया। पानी की निगरानी के लिए सरकार ने पुलिस व सेना के जवानों के साथ साथ एक दर्जन विभागों को पहरेदारी पर लगा दिया है। रेगिस्तानी इलाकों में गर्मियों में पानी की चोरी रोकने और आपूर्ति नियमित बनाए रखने 70 दिन तक 24 घंटे सघन चेकिंग की जाएगी। पंजाब से पानी लाकर राजस्थान के दस जिलों की प्यास बुझाने वाली इंदिरा गांधी नहर परियोजना में अब तक की सबसे बड़ी नहर बंदी शुरु हो गई है। सत्तर दिन तक चलने वाली नहरबंदी के कारण राज्य सरकार ने दस जिलों के पचास शहरों और 7500 गांवों में हाई अलर्ट जारी किया है। इंदिरा गांधी नहर परियोजना के रख-रखाव के कारण पहली बार भीषण गर्मियों में दो महीने के लिए नहर बंदी की जा रही है। सरकार ने दस जिलों में पानी के स्टॉक वाले स्थानों पर हाई सिक्योरिटी तैनात कर दी है। पानी के बांध, तालाब और नहरों पर सशत्र सेना और पुलिस कर्मी लगातार तैनात रहेंगे। इसके साथ ही राजस्व विभाग, वन विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग सहित एक दर्जन से ज्यादा महकमों के अधिकारी कर्मचारी सभी नहरों, बांधों और जमा पानी की 24 घंटे पेट्रोलिंग करेंगे। दरअसल, पहली बार इंदिरा गांधी नहर के रखरखाव के लिए सत्तर दिन की नहरबंदी हो रही है। इस बार तपती गर्मियों में दस जिलों में पानी का संकट बढ़ गया है। भांखड़ा नांगल बांध परियोजना में कम बारिश के कारण चालीस फीसदी पानी कम था, जिसके कारण राजस्थान को निर्धारित समझौते के अनुसार कम मात्रा में पानी मिला है। वहीं, पिछले साल कोविड संक्रमण के कारण नहरबंदी नहीं सकी थी।
इस लिए दोनों साल का रख-रखाव का कार्य इसी साल किया जाना है।
पानी की चोरी रोकने के लिए पहरा
राज्य सरकार ने पानी चोरी रोकने के लिए दस जिलों में पानी पर सख्त पहरा लगा दिया है। हर साल इन जिलों में सैकड़ों लोगों के खिलाफ अवैध रूप से पानी खेत में लेने व पानी चोरी करने के मामले दर्ज होते हैं। इसके अलावा पानी की बारी (टर्न) व पानी चोरी को लेकर मारपीट व हिंसा का घटनाएं भी होती हैं। जलदाय विभाग मुख्य अभियंता हेडक्वार्टर चंद्रमोहन चौहान का कहना है कि इस बार पानी पर सख्त पहरा रखा जाएगा। पानी के पोंडिंग, स्टोरेज व ट्रांसपोर्टेशन पर प्रशासन की पैनी निगरानी रहेगी।