– राजस्थान की सरकार ऑक्सीजन के चार टैंकर प्रतिदिन दिल्ली सरकार को दे-दिल्ली हाईकोर्ट।

— झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज हरी झंडी दिखाकर जबलपुर से दिल्ली के लिए रवाना किए मेडिकल ऑक्सीजन टैंकर

नई दिल्ली,( दिनेश शर्मा “अधिकारी”)l अस्पतालों में भर्ती कोविड मरीजों और प्रतिदिन संक्रमित होने वाले व्यक्तियों की संख्या को देखते हुए राजस्थान को प्रतिदिन ऑक्सीजन के तीस टैंकर चाहिए, लेकिन अभी राजस्थान को 15 टैंकर ही मिल रहे हैं, ऐसे में प्रदेशभर में ऑक्सीजन को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। प्रदेश पहले ही ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है, इस पर 27 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक निर्णय में कहा है कि दिल्ली सरकार पड़ौसी राज्य राजस्थान से ऑक्सीजन के चार टैंकर प्रतिदिन ले सकती है। झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज जबलपुर से मुख्यमंत्री कार्यालय से ऑनलाइन हरी झंडी दिखाकर दिल्ली के लिए टैंकर रवाना भी कर दिए हैं हाईकोर्ट के निर्णय के बाद यदि चार टैंकर दिल्ली चले जाते हैं तो राजस्थान की स्थिति और बिगड़ेगी। दिल्ली हाईकोर्ट ने यह निर्णय राजस्थान का पक्ष सुने बगैर ही जारी किए हैं।

कोर्ट ने यह निर्णय एक जनहित याचिका पर दिया है। स्वाभाविक है कि इस निर्णय का स्वागत दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तहेदिल से करेंगे। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ी राहत दी है। हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट के इस निर्णय का संबंध मुख्यमंत्री केजरीवाल के उस आदेश से नहीं है, जिसमें हाईकोर्ट के जजों और उनके परिजन के कोविड इलाज के लिए दिल्ली की फाइव स्टार होटल अशोका में 100 कमरे बुक करवाए गए हैं। सीएम केजरीवाल ने हाईकोर्ट के जजों का विशेष ख्याल रखते हुए होटल अशोका को कोविड हेल्थ केयर सेंटर में तब्दील किया है। यहां भर्ती होने वाले न्यायिक अधिकारियों और परिजनों की चिकित्सा सुविधा आदि की सभी व्यवस्था दिल्ली सरकार करेगी। दिल्ली में जब आम आदमी ऑक्सीजन और अन्य चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ रहा है, तब आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जजों और उनके परिजन पर खास मेहरबानी की है। राजनीति में केजरीवाल भले ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से छोटे हों, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में गहलोत, केजरीवाल से सीख ले सकते हैं। सब जानते हैं कि गहलोत आए दिन ज्यूडिशियरी और मीडिया पर हमला करते हैं। गहलोत हाईकोर्ट ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट को भी दबाव में बताते है, जबकि केजरीवाल हाईकोर्ट के जजों के इलाज के लिए फाइव स्टार होटल में इंतजाम कर रहे हैं। अब यदि चार टेंकर ऑक्सीजन दिल्ली को देने पर गहलोत नाराजगी प्रकट करेंगे तो केजरीवाल क्या कर सकते हैं? यह तो अपनी अपनी राजनीतिक समझ है।

केजरीवाल न्यूज चैनलों पर जो एक एक मिनट के लम्बे लम्बे विज्ञापन दे रहे है उसी का नतीजा है कि रिपब्लिक टीवी भी केजरीवाल सरकार की प्रशंसा करने लगा है। चाहे कोई मीडिया कितना भी विरोधी हो, लेकिन केजरीवाल ने सभी को करोड़ों रुपए के विज्ञापन दिए हैं। केजरीवाल के लिए यही बड़ी उपलब्धि है कि दिल्ली के अस्पतालों की दुर्दशा की खबरों के बीच केजरीवाल अपनी उपलब्धियां बता रहे हैं। किसी भी मीडिया के लिए विज्ञापन बहुत बड़ी सिफारिश होती है। अब केजरीवाल हर बात पर केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी नहीं कोसते हैं। केजरीवाल के बदले रुख से आमजन को भी सीख लेनी चाहिए कि सत्ता हमेशा प्रभावशाली लोगों से हाथ मिलाने से ही चल पाएगी l केजरीवाल के पास तो अधिकार भी सीमित है, जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत सरकार के पास तो असीमित भी अधिकार है।