बीकानेर , ( कविता कंवर राठौड़ ) वन्दे मातरम टीम द्वारा शिवबाडी मठ के अधिष्ठाता महान संत संवित सोमगिरीजी महाराज के किए कार्यों को याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित लिए गए ।
लालेश्वर महादेव शिवबाडी में संवित सोमगिरीजी के बैठक होल में आयोजित नमन कार्यक्रम का संयोजन करते हुए वन्दे मातरम टीम के जिला संयोजक मुकेश जोशी ने काव्यमयी श्रद्धांजलि अर्पण हेतु नेमचंद गहलोत को आमंत्रित किया । नेमचंदजी ने–बनो तो ऐसे बनो, सोमगिरीजी जैसे बनो, कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने-सोमगिरीजी महाराज की वनस्थली/ लालेश्वर महादेव मंदिर बना तपस्थली/ गीता ज्ञान का मर्म बताया/ घर-घर ज्ञान का दीप जलाया । कवि शिव दाधीच ने-हम सबके दिलों में बसी है सोमगिरीजी की अमिट यादें, डॉ.पंकज जोशी ने-जिस तरह हर एक पर्वत हिमगिरी नहीं होते वैसे ही हर संत सोमगिरी नहीं होते, कवि राजेन्द्र स्वर्णकार ने करुणा सागर सौम्य श्री, स्नेह मूर्ति गुणवत / श्रेष्ठ दिव्य उत्तम मनुज, नमन भारती मय संग विजय कोचर ने कहा कि मुझको ऐसा लगता है कि बीकानेर वासियों हेतु महाराजजी ने अपना त्याग किया ताकि बीकानेर की आम जनता कोविड 19 से सुरक्षित रह सके । भावविव्हल कोचर ने काव्यमयी पंक्तियाँ कही-एक कान्तिमयी आभा, सम्मोहन महान था | गुरुवर अचानक चले गए ये कौनसा विज्ञान था ? सुनाकर अपने भावों से श्रद्धांजलि अर्पित की । उद्योपति सुभाष मित्तल ने कहा कि महाराजजी बड़े विनम्र, धीर गंभीर थे | मैं जब इनसे मिलने आया और अचानक से मेरा स्वास्थ्य खराब हो गया और मैं अचेत होकर गिर पड़ा तब महाराजजी ने तुरंत पानी में मन्त्र बोलकर मेरे चहरे पर छींटे मारे और मुझे होश आ गया उसके बाद मैं महाराजश्री का मुरीद बन गया ।
वन्दे मातरम टीम के मालचंद जोशी, दीपककुमार माहेश्वरी, श्यामसुन्दर भोजक, आनन्द गौड़, हेमंत शर्मा, नारायण पारी, भंवरलाल लिम्बा ने वन्दे मातरम टीम के साथ संवित सोमगिरीजी के वार्तालापों का स्मरण करते हुए नमन किया । लालेश्वर महादेव मन्दिर प्रन्यास के वरिष्ठ साधक रमेशचंद्र जोशी, हरीश शर्मा, हरिनारायण खत्री, राजकुमार कौशिक, बजरंग शर्मा, भवानीशंकर व्यास, घनश्याम स्वामी, विवेक मित्तल, राजीव मित्तल, विवेक सारस्वत, के.के.व्यास, कन्हैयालाल पंवार, बीकानेर प्रवासी गाजियाबाद से आए शलभ शर्मा, किशन आचार्य, महेंद्र कुमार गुप्ता, हनुमान कच्छावा, एन.डी.रंगा ने अपने संस्मरणों से स्वामीजी को याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए ।
अधिष्ठाता स्वामी विमर्शानंदगिरिजी ने कहा कि आप सभी का सहयोग बराबर मिलता रहेगा तो स्वामीजी के अधूरे कार्य पूरे करने में मुझे बल मिलेगा । उनका जो अप्रकाशित साहित्य जो अभी प्रेस में पड़ा है उसकी प्रूफ रीडींग करके उसका प्रकाशन करवाना है । प्रत्येक रविवार सुबह 9.00 बजे से 10.00 बजे तक पहले की भांति सहयोगियों से वार्तालाप का सिलसिला बदस्तूर जारी रहेगा । आपसे मुझे सम्बल मिलता रहेगा । टीम की तरफ से सभी उपस्थितों का आभार हेमंत शर्मा ने ज्ञापित किया ।