पटना । बिहार में इन दिनों पत्रकारों पर पुलिसिया उत्पीड़न बढ़ गया है l पुलिस के खिलाफ खबर लिखने और समाचार प्रकाशित करने पर पुलिस के कनीय पदाधिकारी से लेकर आला अधिकारियों तक पत्रकारों को सबक सिखाने के लिए फिराक में रहते हैं ।पत्रकारों पर बढ़ते पुलिसिया हमले को लेकर बिहार प्रेस मेंस यूनियन और बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन ने राज्य के पुलिस महानिदेशक एसके सिंघम को अलग-अलग ज्ञापन सौंपा परंतु नतीजा कुछ नहीं निकला ।
ताजातरीन मामला राजधानी के पटना से सटे मोकामा का है मोकामा के थाना अध्यक्ष राजनंदन ने पटना से प्रकाशित एक हिंदी दैनिक के मोकामा के पत्रकार राहुल कुमार को शराब के झूठे मामले में फसाकर जेल भेज दिया जबकि राहुल का किडनी हॉट और लीवर की बीमारी से पूरी तरह ग्रसित हैं । पत्रकार राहुल का कसूर इतना था कि मोकामा पुल के काले कारनामों समय-समय पर उजागर करते रहते थे। पुलिसिया अत्याचार का आलम यह है कि राहुल के कोरोना नेगेटिव होने के बावजूद उन्हें जबरदस्ती फुलवारी शरीफ के कोरनटाइन जेल फुलवारी शरीफ ने 14 दिनों के लिए रख दिया गया है ।
दूसरा मामला पटना जिला के पारण मंडल का इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकार कमाल आलम को पुलिस ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए मामले को शेयर करने के आरोप में जेल भेज दिया गया । हालांकि इस मामले में जिस शख्स ने उस विवादित पोस्ट का मैसेज किया था पुलिस ने गिरफ्तार करने के बाद तो दूर पता लगाना भी मुनासिब नहीं समझा ।